नमस्कार दोस्तों
आज फिर में एक नया ब्लॉग लेकर आई हुं आज में आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताऊगी जिसके बारे में शायद बहुत कम लोगो ने सुना या पढ़ा है | आज में आपको सिरमोर के भूरसिंह महादेव के मंदिर के बारे में बताऊगी | यहाँ मंदिर बहुत ही सुंदर है ये मंदिर एक बहुत ऊँची चोटी पर स्थित है | यह सिरमोर का एक स्थानीय मंदिर है जो स्थानीय देवता भूर सिंह और उनकी बहन देही देवी की याद में एक चट्टान पर बनाया गया है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सिरमोर जिले में एक ऊँची चोटी पर स्थित है जिसकी समुंदर तल से ऊंचाई लगभग 1800 मीटर है यह मंदिर चारों और से सुंदर नजारो से घिरा हुआ है | इसके दक्षिण दिशा की और गिनी गढ़ घाटी और उतर दिशा में चूड़धार शिखर का बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देता है | यह हर साल वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे ज्यादातर यह के स्थानीय लोग ही शामिल होते है
भूरसिंह महादेव मंदिर (BHURSINGH MAHADEV TEMPLE ) |
इस मंदिर से जुडी कुछ पुराणिक कथाये और मान्यताये है
इस मंदिर से जुड़ी कुछ कथाये और मान्यताये है वह के स्थानीय लोग इस मंदिर से जुड़ी एक कथा सुनाते है उनके अनुसार यह कथा वह के स्थानीय देव भूरसिंह और उनकी बहन देही की है कहा जाता है की भुर सिंह और देही भाई बहन थे जो एक ब्राहमण वश से संबंध रखते थे | उन्हें भट्टों के रूप में भी जाना जाता था जो विभिन्न अनुष्ठानो में भगवान का आह्वान करते थे | भुर सिंह की माँ एक दिन बहुत बीमार हो गई जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई और उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली| सोतेली माता उन दोनों भाई बहन से बिलकुल प्यार नहीं करती थी और उनसे घर के सारे कार्य कराती थी | एक बार उनकी माँ ने भुर सिंह को बछड़ो को चराने के लिए जंगल में भेजा | जब वह वपिस बछड़े चुगा के वपिस घर पहुँचा तो उसकी माँ ने देखा की एक बछड़ा घर वपिस नहीं लौटा तो उसने भुर सिंह को वपिस जंगल में भेज दिया और कहा की बछड़ा लेकर ही वपिस आना | जब काफी समय बीत गया और उसके पिता को अपने पुत्र की चिंता हुई की मेरा बेटा कहा चला गया तब वह अपने पुत्र को ढूढ़ते हुए जंगल में गया तो उसने देखा की उसका पुत्र और बछड़ा एक ऊँची चोटी पर मृत पड़े हुए है | ये वही स्थान है जहा आज यह मंदिर स्थित है | उनकी बहन उनकी याद में बहुत दुखी हुई | जब वह बड़ी हुई तो उनकी शादी एक आँख वाले व्यक्ति से कर दी | कहते है जब उनकी डोली उसी जगह से गुज़र रही थी जहाँ उनके भाई की मृत्यु हुई थी तब उन्होंने डोले उठाने वाले लोगो से कहा की कृपया करके थोड़ी देर के लिए उसके डोले को वह रोक दिया जाऐ | जैसे ही उन्होंने डोला नाचे रखा तो देही ने डोले से उतर कर उसी चटान के उपर छलांग मार दी जिस चटान पर भुर सिंह मरा हुआ था |
चटान (ROCK) |
यह पर हर साल दीपावली के 11 दिन बाद मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे कहा जाता है की उस दिन रात को ठीक 12 बजे रात को दोनों भाई बहन आपस में मिलते है |लोग मेले वाले दिन, दिन भर उस चटान पर खूब दूध दही और घी चढाते है और रात को वह देवता उस चटान पर नृत्य करता है | इस मंदिर में कभी भी किसी भी पशु की बलि नहीं दी जाती क्योंकि कहा जाता है की भुर सिंह देवता दुघ पर जीवित रहे | इसीलिए उनके भगत उनको प्रसाद के रूप में दुघ ,घी और दही का प्रसाद का भोग लगाते है |
यह तक पहुचने का रास्ता
आप यहाँ पर बस कार अपने निजी वाहन से पहुँच सकते है यह मंदिर कुम्हारटी - नाहन रोड पर स्थित है यह नाहन को गेट हुए नेना टिकर से लगभग 7 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यह मंदिर बहूत ही सुंदर है आप जब भी हिमाचल प्रदेश आयें इस मंदिर में ज़रुर जाऐं यह पहुँच कर आपको बहुत ही अदभुत सी ख़ुशी का अनुभव होगा यह चारों तरफ बहुत शांति है और सुंदर नज़ारा है |
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1 टिप्पणियाँ
Very nice
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