Kali mata temple Kalka ( प्राचीन काली माता मंदिर कालका )

  प्राचीन श्री काली माता मंदिर कालका  

                                                 प्राचीन श्री काली माता मंदिर कालका 

                                    कालका मे काली माता का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है  पौराणिक कथाओं के अनुसार काली माता के नाम पर ही इस शहर का नाम कालका पड़ा था  यहां पर श्रद्धालु बहुत ही दूर दूर से आकर माता  के दर्शन करते हैं  यहां की यह मान्यता है कि  यहां पर मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है  काली माता  के  मंदिर को कालका मंदिर के नाम से भी जाना जाता है  वास्तव में कालका एक शहर है  यह मंदिर पंचकूला के पुराने मंदिरों में से एक है  यहां हिमाचल प्रदेश के पूर्वी  हिस्से में स्थित है यह मंदिर हरियाणा क्षेत्र के आखिरी सीमा पर और हिमाचल  की सीमा के पहले द्वार पर स्थित  सिद्ध शक्ति पीठ काली माता मंदिर है 

                         


          

     इस  मंदिर से जुडी कुछ कथाए और  मान्यताये है                      

                                                         इस मंदिर का संबंध पुराणिक कथाओ से भी है  कहां जाता है कि जब सतयुग में महिषासुर , चंड मुंड, शुंभ निशुंभ और रक्तबीज आदि राक्षसों का उपद्रव बढ़ गया था  तब सभी देवी देवता डरकर गुफाओं में  छुपते  फिर रहे थे  तभी एक दिन सभी देवताओं ने आदिशक्ति  श्री जगदंबा मातेश्वरी  के पास जाने की सलाह बनाई  सभी देवता  इकट्ठे होकर श्री जगदंबा जी के पास गए  और उनकी खूब  स्तुति की जिससे प्रसन्न होकर माता एक बालिका के रूप में प्रकट हुई  सभी देवी देवताओं ने उन्हें अपना दुख बताया  सभी देवी देवताओं की बात सुनकर माता ने अपना एक विशाल रूप धारण किया जिसके सेकड़ो हाथ थे  सभी देवी देवताओं ने आदिशक्ति को अपना एक-एक शस्त्र दिया  श्री विष्णु भगवान जी ने उन्हें अपने चक्र में से एक चक्र दिया श्री शिवजी भगवान अपने त्रिशूल में से एक त्रिशूल दिया श्री ब्रह्मा जी ने कमंडल में से एक कमंडल दिया  इंदर ने अपने वज्र से वज्र दिया श्री शेषनाग भगवान ने  शेष पास दिया यमराज ने यम पास दिया  ऐसे ही सभी देवी देवताओं ने  माता को बहुत से अस्त्र-शस्त्र अर्पण किए  इसके बाद माता रणभूमि में  लड़ने के लिए उतरी  और महिषासुर सहित कई रक्षाशो का संघार करके  कालका की भूमि स्थल पर स्थित हुई  जो कालांतर में  काली माता के नाम पर प्रसिद्ध हुआ 


 शिवलिंग 

                                  एक धारणा ऐसी भी है कि  द्वापर युग में  पांडव जुए में हार गए थे तो उन्हें सजा के सवरूप  बारह वर्ष का वनवास और  एक वर्ष का अज्ञातवास हुआ था  इस दौरान उन्होंने अपना बारह वर्ष का वनवास  विराटनगर में बिताया था  उस समय उस राज्य  मैं गाय की बहुत ही सेवा की जाती थी  उस समय वहां एक श्यामा नामक गाय  थी  जो प्रतिदिन अपने दूध से माता की पिंडी का अभिषेक करती थी  यह करिश्मा देख पांडव आश्चर्यचकित रह गए  और पांडवों ने उस स्थान पर मंदिर की स्थापना की  जो आज काली माता कालका के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है लोग यहाँ बहुत दूर दूर से दर्शन करने और मनते  पूरी करने आते है नवरात्रों के समय यहाँ बहूत भीड़ होती है सरधालो सुबह सुबह से लाइन में लग कर माता के दर्शन करने आते ह 

                 

       यहाँ पहुचने के लिए आप किसी भी तरीके से पहुच सकते है बस से भी और रेल से भी यहाँ मंदिर एक दम सड़क के किनारे स्तिथ है और यहाँ पर नवरात्रों में बहूत भीड़ होती है यहाँ पर नवरात्र के अवसर पर मेला भी लगता है अत यदि आप कभी भी हिमाचल आये तो माता के मंदिर जरुर जाये

      

                                                         जय माता दी (JAI MATA DI )



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