सिरमौर का प्रसिद्ध रेणुका मंदिर (The famous Renuka Temple of Sirmoure )

नमस्कार दोस्तों,

                             आज में आपके लिए फिर  एक नया ब्लॉग लेकर आई हुं | आज में आपको  सिरमौर जिले में स्थित  नाहन के रेणुका मंदिर के बारे में बताने जा रही हुं |  यह एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है और जितना प्रसिद्ध है उतना ही सुंदर है | यह मंदिर माता रेणुका को समर्पित है और उन्ही के नाम पर इस मंदिर का नाम है | इस मंदिर के अंदर एक बहुत बड़ी झील है जो राज्य की सबसे बड़ी झील होने के साथ साथ बहुत पवित्र झील भी है | कहा जाता है की यह झील भगवान परशुराम की माता रेणुका जी का स्थाई निवास है | जो बहुत वर्षो से इस झील में निवास कर रही है  



रेणुका मंदिर ( renuka temple )


इस मंदिर से जुड़ी एक बहुत ही रोचक कहानी है |

                                      कहा जाता है की इसी जगह पर भगवान विष्णु जी के छठे स्वरूप भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था | भगवान परशुराम के पिता महाऋषि जम्दागिनी और  माता रेणुका जी ने इसी झील के साथ खड़े एक टिब्बे में सदियों तक तपस्या की थी | और उन्ही की तपस्या से खुश होकर भगवान विष्णु जी ने स्वयं उनके पुत्र के रूप में पैदा होने का आशीर्वाद दिया था |और कुछ समय बाद भगवान विष्णु ने उनके यह पुत्र बनकर जन्म लिया जिनका नाम परशुराम रखा गया |

 

                        



                                                    कहा जाता है की कुछ वर्षो बाद वह सहस्त्रबाहु नमक एक शक्तिशाली राजा ने हमला कर दिया | उस समय ऋषि के पास एक कामधेनु नाम की गाय हुआ करती थी राजा ने जब उस गाय को देखा तो उसने उसे पकड़ने का प्रयास किया जब ऋषि ने उसे ऐसा करने से रोका तो उसने ऋषि को भी पकड़ लिया | और उनके साथ गाय देने के लिए ज़ोर ज़बरदस्ती करने लगा | मगर महर्षि  जमदाग्नि ने यह कहकर गाय देने से इंकार कर दिया की यह गाय उन्हें भगवान विष्णु जी ने दी है अंत यह गाय वो किसी और को नहीं दे सकते और नहीं भगवान्  का भरोसा तोड़ सकते है | यह बात सुनते ही सहस्त्रबाहु क्रोधित हो गया और उसने महर्षि की हत्या कर दी | यह देख कर माता रेणुका जी ने भी उस सरोवर में छलांग लगा दी  और हमेशा के लिए जल समाधि ले ली |उस समय इस झील  का नाम रेणुका  झील नहीं अपितु राम सरोवर होता था | जब यह सब घटना हुई उस समय भगवान् परशुराम वह नहीं थे |

                                         



                                          जैसे ही भगवान परशुराम  जी को इस घटना के बारे में पता चला वह तुरंत ही वह पहुँच गए उन्होंने सबसे पहले आते ही सहस्त्रबाहु का वध किया | उन्होंने जितनी भी शक्ति अपनी तपस्या से हासिल की थी उन सभी के बलबूते पर उन्होंने अपने पिता को नया  जीवन दान दिया | और अपनी माता से भी  विनती  की कि वह भी झील  से बहार आ जाए परन्तु उन्होंने बहार आने से मना कर दिया | किन्तु परशुराम भगवान् के बार बार आग्रह करने पर उन्होंने भगवान परशुराम जी को साल में एक बार उनसे मिलने का वचन दिया | कहा जाता है की इस घटना के बाद ही इस झील का नाम रेणुका झील पड़ा |

                                        



                                            यह झील लगभग ३ किलोमीटर का लम्बाई में पहेली हुई है यह एक प्राक्रतिक  झील है | कहा जाता है की यदि इसे उपर से देखा जाऐं  तो इसकी आकृति एक स्त्री  की तरह है |इसका जीकर पुरानो में भी किया गया है | इस झील को माता रेणुका की प्रतिछाया माना जाता है | कहा जाता है की कई वैज्ञानिको ने इस झील की गहराई  नापने की कोशिश की परन्तु कोई भी आज तक सफल नहीं हो पाया |

                         




                                              इस झील की यह भी  मान्यता है की  यदि कोई व्यक्ति इस झील को तैर  कर पर करने की कोशिश करता है तो वह इस झील के बिच में जाकर डूब जाता है |इस झील के किनारे माँ रेणुका और भगवान् परशुराम जी का भव्य मंदिर है | इस मंदिर पर लोगो की अटूट श्रद्धा है दशमी से एक दिन पहेल माँ परशुराम से मिलने आती है इसी कारण से हर वर्ष यह पर बड़े घूमघाम से मेला मनाया जाता है और शोभा यात्रा भी निकली जाती है | जिसमे हजारो की संख्या में लोग इसमे भाग लेते है |

                         



                                        अब इस झील में वोटिंग का आनंद भी ले सकते है आप इस  झील की प्रकारिमा कर सकते है अब आप इस झील के चक्र अपने निजी वाहन में या फिर बैटरी से संचालित एक गाड़ी भी पर्यटकों के लिए रखी गई है |  जब आप इस  झील के चक्र लगेगा  तो आप  प्रकृति का मज़ा उठाने  के साथ साथ मिनी चिड़ियाघर का भी मज़ा उठा सकते है |इस चिड़ियाघर में तेंदुआ ,हिरण ,कक्कड़ ,जंगली बिल्ली व  भालू सहित कई सुंदर पक्षी भी मौजूद  है |

                               


लेख 


                अगर आप यह जाकर ठहर ना  चाहते है तो सरकार ने उसका भी प्रबंध कर रखा है यह पर धर्मांशाला का निर्माण कर रखा है यह पर हिमाचल टूरिज़्म के होटल सराय और निजी होटल भी है 

                           

यहाँ तक पहुचने का रास्ता 

                                       आप यह पर बस कार द्वारा पहुच सकते है यहाँ पर सोलन से नाहन से राजगढ़ से समय समय पर बसे चलती है आप यह किसी भी तरह से पहुच सकते है
                       हमे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधर के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए |

                                                                                   धन्यवाद 

                                  

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