A mysterious story tunnel no 33/103 Barog (एक रहस्यमय कहानी टनल नo 33/103 बड़ोग)

                            कहानी

   नमस्कार दोस्तों ,

                                आज में आपके लिए एक औऱ नया ब्लॉग लेकर आईं हुं । आज में अपने ब्लॉग में आपको एक सच्ची घटना के बारे मे बताने जा रही हुं । यह एक हॉन्टेड स्टोरी है । आज में जिस घटना के बारे में बताने जा रही हुं । यह घटना हिमाचल प्रदेश के ज़िला सोलन में घटित हुई है । ज़िला सोलन का एक छोटा सा नगर हैं जो बडोग नाम से जाना जाता है । हिमाचल प्रदेश में शिमला कालका रेलवे लाइन सबसे ज्यादा मशहूर है जो लोग भी बाहर से शिमला घूमने आते है वह ज्यादातर रेल से आना पसंद करते है शिमला कालका रेलवे हेरिटेज आज पूरी दुनिया में मशहूर हैं । शिमला कालका रेलवे लाइन में कुल 103 सुरंगे आती हैं । इन्ही में से एक सुरंग है जिसे टनल नम्बर 33 के नाम से जाना जाता है जिसे लोग हॉन्टेड टनल के नाम से भी पुकारते है ।  


बड़ोग टनल नo 33

 

                               कहा जाता हैं कि 1898 इसवी में जब यहाँ अंग्रेजों का राज था । उस समय अंग्रेजों ने शिमला से कालका तक एक रेलवे लाइन बिछाने की योजना बनाई । अँग्रेज़ शिमला को अपना मुख्यालय बनाना चाहते थे इसीलिए उन्होंने शिमला तक पहुंचने के लिए रेलवे लाइन बिछाने की तैयारी शुरू कर दी । क्योंकि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है और यह चारों ओर ऊँचे ऊँचे पहाड़ ओर चटाने है अतः यह पर रेलवे लाइन  बनाना आसान नही था अतः उन्होंने यह रेलवे लाइन बनाने के लिए इंग्लैंड से बड़े बड़े और अनुभवी इंजीनियरो को बुलाया । और उन्हें यह ट्रैक बनाने का काम सोप दिया । कर्नल बड़ोग नाम के एक इंजीनियर जो इसी टीम का हिस्सा थे ।

                       सब इंजीनियरो ने मिल कर ज़ोर शोर से काम शुरू किया अंग्रेजों ने अपनी सभी बडी मशीनें इस  ट्रैक को बनाने में लगा दी ओर जल्द ही काम कालका से शिमला की ओर शुरू हो गया कहीं पर पुल बनाकर तो कहीं छोटी  सुरंगे बनाकर काम जोरों शोरो से शुरू हो गया । कहा जाता हैं कि जब सुरंग का काम बडोग तक पहुंचा तब एक बड़ी चटान उनके सामने आ गई । इस चटान को काटे बिना ट्रैक बनाना मुश्किल था । इसीलिए उस पहाड़ को काट कर टनल बनाने का फैसला किया । कर्नल बडोग इस टीम के अगुवाई करने लगे । दोनो और से पहाड़ काटने का काम शुरू किया गया । जब दोनों और से पहाड़ काटा गया परंतु ट्रैक आपस मे नही मिल पाए कई बार पहाड़ काटा ओर खोदा गया परंतु ट्रैक आपस मे नहीं जुड़ पाए अंग्रेज़ सरकार का काफी पैसा इस काम मे लग गया अंत मे अंग्रेज सरकार ने कर्नल बड़ोग को इस टीम से बाहर निकाल दिया।

                       बाद में इस काम की जिम्मेदारी एक ओर अंग्रेज इंजीनियर हेरिगटअन को सोपा गया परंतु वह भी इस कार्य को करने में असफल रहा । आखिरकार एक बाबा जिसे सब बाबा भूलक के नाम से जानते थे उन्होंने इस ट्रैक को पूरा करने में मदद की । 

                           कहा जाता है कि इंजीनियर बड़ोग अपनी इस हार को सहन नही कर पाए ओर उन्होंने आत्महत्या कर ली । कहा जाता हैं कि इस घटना के बाद लोगों को इंजीनियर की आत्मा दिखाई देने लगी  लोगों का यह भी कहना है कि कई लोग जो रात्रि के समय उस स्थान से गुजरते थे उन्हें उस इंजीनियर के चीखने चिल्लाने की आवाज़ सुनाई देती हैं । वह पर रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि आज भी रात को लोगों को उस इंजीनियर की आत्मा दिखाई देती है । अब लोगों ने रात के समय उस जगह से गुजरना छोड़ दिया है । ये टनल बन्द  कर दी गई है जिसे मरने से पहले इंजीनियर बड़ोग द्वारा बनाया गया था ।

                     कहा जाता है कि स्थानीय लोगों ने उस इंजीनियर की आत्मा की शान्ति के लिए वह कई पूजा पाठ भी कराये परंतु आज भी उस जगह लोगो को उस इंजीनियर की आत्मा दिखाई देती हैं और उसकी आवाज़े सुनाई देती हैं । बड़ोग स्टेशन के पास इस घटना से संबंधित जानकारी प्रदर्शित की गई हैं । बाद में इसी इंजीनियर के नाम पर इस टनल का नाम बड़ोग टनल रखा गया 


                        हमे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधर के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए |

                                                                                                                          धन्यवाद 

                                                                                                                                                                                                                           C 

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

महामाया मंदिर