Betiya

                                                      बेटियाँ


एक शहर  में दो  बहने रहती  थी | एक का नाम था शीला और दूसरी बहन का नाम था कमला | उनके माँ बाप उन्हें बहुत प्यार करते थे | वो उनकी हर जरूरत का पूरा ध्यान रखते | शीला बड़ी बहन थी और कमला छोटी | अक्सर कमला कोई ना कोई ग़लती  करती और आरोप  शीला पर लगा देती | पर शीला उसे छोटी बहन समझ कर हमेशा उसे माफ़ कर देती | जब वह बड़ी हुई तो उनकी शादी उनके माँ बाप ने एक ही घर में कर दी | दोनों बहने बड़ी खुश थी और ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन बिता रही थी |कुछ समय बाद कमला ने अपना अलग घर बना लिया और वह अलग रहने लग गई | दोनों का घर बस कुछ दूरी पर ही था | कुछ समय बाद दोनों बहनों के बच्चे हो गए | शीला के दो बेटीया हुई और कमला के दो बेटे |  कमला को अपने ऊपर बड़ा घमंड हुआ की मेरे तो दो बेटे हो गए | वो अक्सर इस बात को लेकर शीला को ताने मार देती थी की बुढ़ापे में अब तुम्हारा ख्याल कोन रखेगा | क्योंकि तुम्हारे तो दो  बेटीया है कल को जब इनकी शादी हो जाएगी तब तुम दोनों पति पत्नी क्या करेंगे  कोन तुम्हारा ख्याल रखेगा यह सब बोल कर वह बहुत हस्ती | शीला उसे अक्सर कहती की अब जमाना बदल  गया है अब बेटा बेटी सब एक बराबर है | पर कमला इस बात को भी हंसी में  उड़ा देती और कहती की मन बहेलाने के लिए तुम ये सब बाते करती हो पर अंदर से तुम दुखी हो पर शीला हंस कर उसकी बातो को टाल देती थी |





                      देखते ही देखते दोनों के बच्चे बड़े हो गए | शीला की बेटिया पढ लिख कर सरकारी नौकरियों में लग गई और वही कमला के लड़के ना ज्यादा पढ़े और नहीं किसी नौकरी में लगे वो अक्सर घर में ही रहते और अपने माँ बाप से ही अपने  जेब खर्च के पैसे मांगते | वो दोनों भाई गलत राह में पड गये कई बार शीला ने अपनी बहन से अपने बेटों को समझाने को कहा  पर उसने उल्टा शीला पर ही आरोप लगा दिया की तू मुझसे और मेरा बच्चों से जलती  है क्योंकि भगवान ने तुझे बेटे नहीं दिए पर शीला  कभी कमला की बात को दिल पर नहीं लेती थी वो अक्सर अपनी बेटियों को सबकी मदद करने और सबसे प्यार से रहने को कहती थी | 






                                         जहाँ  शीला की बेटियों ने अपने माँ बाप की मर्ज़ी से बड़े ही धूमधाम से शादी अच्छे घरों में की | वही कमला के बेटों ने अपनी पसंद की शादियाँ की | बेटों की शादी के बाद कमला का जीवन बड़ा ही दुःख तकलीफ़ से गुजरने लगा उसकी बहुऐ ना उसे खाना देती थी और सारा घर का काम भी उसी से कराती उसे गलियाँ देती जब वह इस बारे में अपने बेटों से कहती तो वो भी अपनी माँ को ही दोष देते और उसे चुप  रहने को कहते | वही कमला बड़ी ख़ुशी से जीवन व्यतीत कर रही थी उसकी बेटिया समय समय पर घर आती रहती थी और कभी कभी अपने माँ बाप को भी अपने साथ अपने घर ले जाती | वो सब मिल कर बहार घूमने जाते खूब मस्ती करते | यह सब देख कर कमला को अपने किए गए बर्ताव पर बड़ा पछतावा होता पर वो अपनी बहन को ऐसे दिखाती जैसे वो बहुत खुश है और मजे से अपनी बहुओ के ऊपर राज कर रही है | एक दिन जब शीला  अपने  परिवार के साथ घूमने जा रही थी तो उसने रास्ते में अपनी बहन कमला और उसके पति को एक वृद्धि आश्रम के बहार खड़े हुए देखा | यह देख कर वो जल्दी से उसकी और दोडी  और पूछा की तुम यह क्या कर रही हो तुम तो अपने बहु बेटे  के साथ घूमने गई थी तब कमला ने रोते हुए उसे अपना सारा हाल सुनाया की किस तरह उसके बहु बेटे ने उन दोनों पति पत्नी को झूठ बोल कर यह वृद्ध आश्रम में छोड़ दिया  | यह सुनकर शीला भी रोने लगी शीला ने अपने बहन और जीजा जी को अपने साथ गाड़ी में बिठा या और अपने घर ले गई  जब कमला ने देखा की कैसे शीला  की बेटीया  अपने माँ बाप का ध्यान रखती है उन्हें कितना प्यार करती है उनकी  खूब सेवा करती है | तब  कमला को अपनी की गई बातों की अपने बहन से माफ़ी मांगी और कहा  की सही कहती  थी दीदी आप बेटीया बेटों से कम नहीं होती अपितु उनसे दो कदम आगे ही होती है एक बेटी अपने माँ बाप का दर्द बहुत अच्छे से समझती है 




      बहुत भाग्य वान होते है वो लोग जिनके घर बेटियाँ पैदा होती है |किसी ने ठीक ही कहा  है की बेटे भाग्य से पैदा होते है पर बेटियाँ सौभाग्य से पैदा होती है 

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