Maa Shailputri (माता शैलपुत्री )

 नमस्कार दोस्तों 

                                     आज से नवरात्रि शुरू होने जा रहे है आप सभी को नवरात्रों की  बहुत बहुत बधाई हो | हिन्दू धर्म में नवरात्रि की बहुत ज्यादा अहमियत है | नवरात्रि का अर्थ है वो 9 दिन जिनमे 9 देवियों की पूजा होती है | आज में इसी विषय पर अपना ब्लॉग लेकर आई हुं | ऐसे तो हिन्दू धर्म में 36 करोड़ देवी देवता है पर नवरात्रों के ये 9 दिन इन देवियों को समर्पित है | आज पहला नवरात्र है यानि माता शैलपुत्री का दिन | शैल का शाब्दिक अर्थ है पर्वत |



माता शैलपुत्री

                             नवरात्रि के 9 दिनों में माँ के 9 रूपों को पूजा की जाती है | आज नवरात्रि का पहला दिन है जो माता शैलपुत्री को समर्पित है |हिमालय राजा की पुत्री होने के कारण इनका नाम माता शैलपुत्री पड़ा है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ शैलपुत्री की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य और मान समान प्राप्त होता है |माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना यदि  कोई क्वारी कन्या करती है तो उसे अच्छे वर की प्राप्ती होती है | माता को सफ़ेद रंग के वस्त्र अति प्रिय है | माता का यह रूप बहुत ही सुंदर  है माता के एक हाथ में त्रिशूल है और दुसरे हाथ में कमल का फूल है | यह देवी वृषभ पर विराजमान है | जिनका राज पुरे हिमालय पर है |

                      

माता शैलपुत्री से जुडी पोराणिक कथा

                              शैलपुत्री माता को हिमालय की पुत्री कहा जाता है | इसके पीछे की कथा यह है की भगवान शिव की शादी माता सती से हुई थी माता सती  के पिता का नाम राजा दक्ष था वो भगवान शिव को अपने बराबर नहीं मानता था | एक बार महाराज दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ का आयोजन किया उन्होंने सभी देवी देवताओं की निमंत्रण भेजा किन्तु भगवान शिव और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा गया | यह देखकर माता सती को बहुत क्रोध आया और उन्होंने वह जाकर अपने पिता से इस अपमान का कारण  पूछने के लिए  शिव भगवान से वह जाने की आज्ञा  मांगी किन्तु भगवान शिव ने उन्हें वह जाने से मना की किन्तु माता सती के बार बार आग्रह करने पर शिव भगवान ने उन्हें जाने दिया | जब माता सती  बिना बुलाए यज्ञ में पहुंची तो उनके पिता दक्ष ने उन्हें काफी बुरा भला कहा और साथ ही साथ भगवान शिव के लिए काफी बुरी भली बातें कही जिसे माता सती सहन नहीं कर पाई और उन्होंने उसी  यज्ञ की आग में कूद कर अपनी जान दे दी | अगले जन्म में सती माता ने हिमालय की पुत्री के रूप में जनम लिया इसीलिए इन्हे शैलपुत्री कहा जाता है  और बाद में इनकी शादी  भी शिव भगवान् से ही हुई  थी  |


                माना जाता की माता शैलपुत्री का निवास स्थान काशी नगर वाराणसी में है | वहा पर माता का एक अति प्राचीन मंदिर है जिसके बारे में यह मान्यता है की यह आकर माता के दर्शन मात्र से ही सभी मुरादे पूरी हो जाती है | 

                  जय माता दी 

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                                                                                   धन्यवाद 

                                  

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महामाया मंदिर