Maa Naina Devi Temple (नैना देवी मंदिर )

 नमस्कार दोस्तों 

                          आज फिर में आपके लिए एक नया ब्लॉग लेकर आई हुं | जैसे की आप सब जानते ही है हिमाचल को देव भूमि के नाम से जाना जाता है इसका मुख्य कारण यहाँ पर स्थित मंदिर है जो बहुत ही पूजानिय  है  | आपको शायद पता होगा की हिमाचल प्रदेश में मुख्य 51 शक्ति पीठ है आज में आपको उन्ही में से एक शक्ति पीठ के बारे में बताने जा रही हुं | आज में आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रही हुं उसका नाम है नैना देवी मंदिर  |  नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है | यह मंदिर एक बहुत ऊँची चोटी पर स्थित है जिसे शिवालिक पर्वत श्रेणी के नाम से भी जाना जाता है यह मंदिर हिन्दुओ के तीर्थ स्थलों में से एक है | जैसे की मैने आपको बताया की नैना देवी मंदिर 51 शक्ति पीठो में से एक है इन  सभी शक्ति पीठो की उत्पति की एक ही कहानी है


नैना देवी मंदिर की चोटी 


     इस  मंदिर से जुडी कुछ कथाए और  मान्यताये है 

                                         कहानी कुछ इस तरह है की भगवान शिव की शादी माता सती से हुई थी माता सती  के पिता का नाम राजा दक्ष था वो भगवान शिव को अपने बराबर नहीं मानता था | एक बार महाराज दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ का आयोजन किया उन्होंने सभी देवी देवताओं की निमंत्रण भेजा किन्तु भगवान शिव और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा गया | यह देखकर माता सती को बहुत क्रोध आया और उन्होंने वह जाकर अपने पिता से इस अपमान का कारण  पूछने के लिए  उन्होंने शिव भगवान से वह जाने की आज्ञा  मांगी किन्तु भगवान शिव ने उन्हें वह जाने से मना की किन्तु माता सती के बार बार आग्रह करने पर शिव भगवान ने उन्हें जाने दिया | जब बिना बुलाए यज्ञ में पहुंची तो उनके पिता दक्ष ने उन्हें काफी बुरा भला कहा और साथ ही साथ भगवान शिव के लिए काफी बुरी भली बातें कही जिसे माता सती सहन नहीं कर पाई और उन्होंने उसी  यज्ञ की आग में कूद कर अपनी जान दे दी | यह देख कर भगवान  शिव को बहुत क्रोध आया और  उन्होंने माता सती  का जला हुआ शरीर  अग्नी कुंड से उठा कर चारों और तांडव करने लग गये जिस कारण सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया यह देख कर लोग भगवान विष्णु के पास भागे तब भगवान  विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े किये ये टुकड़े जहाँ जहाँ गिरे वह पर शक्ति पीठ बन गए |  ऐसे  ही माता के  नेत्र  बिलासपुर के इस पर्वत पर गिरे जहाँ आज नैना देवी का मंदिर है |


नैना देवी मंदिर 


                                                               यह मंदिर बहुत ही बड़ा और बहुत सुंदर है यह पर लोग दूर दूर से माता के दर्शन करने के लिए आते है मंदिर के अंदर कई सालों पुराना पीपल का पेड़ है जो मुख्य आकर्षण का केंद्र है | जैसे ही आप मंदिर के अंदर प्रवेश करते है वेसे ही दाई और भगवान गणेश की और हनुमान जी की प्रतिमाये स्थापित है | सामने की और दो शेर की बड़ी बड़ी मूर्तियां है शेर माता का वाहन है | मंदिर का मुख्य गर्भ ग्रह में मुख्य तीन मूर्तियां स्थापित है जिसमे दाई तरफ माता काली मध्य में  नैना देवी जी और बाई और भगवान गणेश जी की मूर्तियां स्थापित है | मंदिर के कुछ ही दूरी पर पवित्र जल का एक तालाब भी है | थोड़ी ही दूरी पर एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है | इस मंदिर में आकर एक अदभुत शांति का एहसास होता है | 

माता की उत्पति की कहानी

                                     यह मंदिर महिशपीठ के नाम से भी प्रसिद्ध  है क्योंकि इस स्थान पर माता नैना देवी ने राक्षस  महिषासुर का वध किया था पुरानो  के अनुसार महिषासुर एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था | जिसे भगवान ब्रह्मा द्वारा एक वरदान प्राप्त था की उसका वध कोई नहीं कर सकता केवल एक अविवाहित स्त्री ही उसका अंत कर सकती थी | किन्तु राक्षस को अपने उपर इतना घमंड था की वह खुद को अमर मानता था उसका कहना था की जब कोई देवी देवता दानव मुझे नहीं मार सकते तो फिर एक स्त्री मेरा क्या  बिगाड़ लेगी | इस वरदान के अहकार में आकर उस राक्षस ने चारों और आतंक मचा रखा था | उसे डर कर सभी देवी देवता इधर उधर छिपते फिर रहे थे | एक दिन सब इक्कठा होकर भगवान शिव और विष्णु जी के पास गए |  सभी ने अपनी आप बीती भगवान को सुनाई यह सुनते ही विष्णु और शिव भगवान जी  को बहुत क्रोध आया और उनके शरीर से एक तेज़ उत्पन्न हुआ भगवान शिव के तेज़ से उस देवी का मुख उत्पन्न हुआ भगवान विष्णु जी से उस देवी की बाय , ब्रह्मा जी के तेज़ से चरण और यमराज के तेज़ से उस देवी के कैश बने इसी  तरह  सभी देवी देवताओं की शक्ति से उस देवी के अंग बने |सभी देवी देवताओं ने उस देवी की खूब स्तुति की जिसे देवी खुश हो और उनके कष्टों का अंत हो और ऐसा हुआ भी माता ने महिषासुर का वध कर दिया  | तभी से देवी का नाम महिषासुर मर्दनी पढ  गया |

इस मंदिर से  संबंधित एक और कहानी भी है |

                                             इस मंदिर से संबंधित एक और कहानी है कहा जाता है जो की एक नैना  नाम के लड़के से संबंधित  है | कहा जाता है की एक बार एक नैना नाम का लड़का अपने मवेशियों को रोज़ चराने जंगल में जाता था | एक दिन उसने देखा की एक सफेद रंग की गाय अपना दूध एक पत्थर के ऊपर गैर रही थी उस लड़के को यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ | वह अगले कई दिनों तक देखता रहा की सफ़ेद गाय रोज़ आकर उसी  पत्थर पर अपना दूध चढाती है | एक दिन जब वह सो रहा था तो उसे सपने मे माता के दर्शन हुए और माता ने उसे बताया की उस जगह पर मेरी पिंडी है | नैना ने सुबह उठकर अपना यह सपना राजा बीर चंद को सुनाया जो उस समय वह के शासक  थे | जब राजा ने देखा की उस लड़के की बताई हुई सारी बातें सच है तब राजा ने उसी जगह पर माता नैना  देवी माता का मंदिर का निर्माण करवाया | 

इस मंदिर से जुड़ी कुछ मान्यताये है |

                  इस मंदिर से जुड़ी भी बहुत सी मान्यताये है कहा जाता है की  इस मंदिर की यह मान्यता है की जो भी भगत यहाँ सच्चे मन से मुराद मांगता है माता उसकी हर मुराद पूरी करती है माता के भगतो का कहना  है की माता बहुत से चमत्कार करती है कई लोग जो बहुत दुखी होकर  माता के पास आते है माँ उनके सभी दुःख दूर कर देती है |                      

यह तक पहुचने का मार्ग 

                               आप यह पर किसी भी तरह से पहुँच सकते हो | बस से ,कार से ,अपने निजी वाहन से जो लोग दुसरे राज्य से या  दूसरे देश से यहाँ आने वाले सरधालो अगर माता के दर्शन करना चाहते है तो  वह चंडीगढ़ तक हवाई यात्रा के द्वारा आ सकते है उसके आगे आप बस या कैब बुक कर सकते है यह मंदिर हिमाचल के बिलासपुर जिले में है |आपको यह ठहरने  के लिए भी काफी सुविधाएँ मिल जाएगी यह पर धर्मशाला निजी होटल आदि की व्यवस्था है |


                                                                      जय नैना देवी माता 

               हमे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी ल ,,गी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधर के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए |

                                                                                   धन्यवाद 

                                   

                                                                                

      



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