relations (रिश्ते)

नीना अपने माँ बाप की इकलोती औलाद थी | और बचपन से ही अपने माँ बाप की बहुत लाडली थी | वह शुरू से ही अपने माँ बाप के साथ रही वह किसी से भी ज्यादा मिलजुल कर रहना पसंद नहीं करती थी | नीना 25 साल की हो गई थी उसकी पढ़ाई भी पूरी हो चुकी थी |उसके माँ बाप उसके लिए एक अच्छे परिवार का  लड़का ढूढ़ रहे थे | उन्होंने अपने रिश्तेदारो को भी शादी के लिए लड़का ढूढ़ने के लिए कहें रखा था पर कही बात बन नहीं पा रही थी | तभी नीना की बुआ ने अपने एक दूर के रिश्तेदार से नीना की शादी की बात चलाई | सारी बात हो जाने के बाद देख दिखाई वाला दिन आ गया नीना की माँ ने उसे एक बहुत सुंदर साड़ी पहनने को दी पर नीना को साड़ी पहनी नहीं आ रही थी तब उसने अपनी माँ आवाज़ दी की माँ प्लीज़ मेरी मदद कर दो माँ ने हंस कर नीना को कहा ससुराल में किसको कहेगी माँ तुम्हारे साथ ससुराल थोड़ी ना जाएगी नीना ने भी हंस कर माँ को कहा में तो दहेज़ में अपनी माँ को साथ ले कर जाऊगी | नीना की माँ नीना को साड़ी पहनाते हुए समझाने लगी की बेटा वह जाकर सबसे ठीक ढंग से बात करना बड़ों के पैर छूना और  छोटों को नमस्ते करना |

                                   राम जो एक बड़ा ही शांत और सुंदर लड़का था नीना को देखने अपने परिवार के साथ आया | राम के परिवार में उसके माँ बाप और दो बहने और एक छोटा भाई था | बहनो की शादी हो चुकी थी | नीना को राम और राम को नीना पसंद आ चुकी थी परिवार को भी यह रिश्ता पसंद था | जल्द  ही उनकी शादी तय कर दी गई | शादी का समय नज़दीक आ गया था नीना की नन्दे अक्सर नीना को फोन करके तैयारी के बारे में बात करती रहती थी | पर नीना को उनसे बात करना ज्यादा पसंद नहीं था इसीलिए अक्सर कोई ना कोई बहाना लगा कर उनसे बात करने से टाल जाती | उसकी माँ को उसकी ये बात बिलकुल अच्छी नहीं लगती वो अक्सर नीना को समझती की बेटा ऐसा मत किया कर वो तेरे रिश्तेदार है  कल जब तुम्हारी शादी होगी तो तुम्हें उन्ही के साथ रहना है वो ही तुम्हारा असली घर है | पर नीना तो बस अपनी ही दुनिया में खोई रहती वो हमेशा सपना देखती की वो अपने पति के साथ अलग एक आलीशान घर में रहेगी और रानी की तरह जीवन बिताएगी | 

                              आखिर वो दिन भी आ गया जब  बड़ी धूमधाम से  नीना की शादी हुई | विदाई का वक्त आया नीना खूब अपने माँ बाप के गले लग के रोई नीना को रोते देख वह खड़े हर इन्सान की आंखे नम हो गई नीना को उसकी माँ पकड़ कर गाड़ी की और ले गई और जाते जाते बस यही बात समझाई की बेटा आज से वो ही तेरा घर है और उस घर के लोग ही तेरा परिवार है सबके साथ मिलजुल कर रहना अपनी सास को अपनी माँ समझना और अपने ससुर को अपना पिता तब देखना वो भी तुझे अपनी बेटी समझेंगे | इस तरह नीना की विदाई हो गई |

                नीना अपने  ससुराल पहुँच गई सब ने बड़े प्यार से नीना का स्वागत किया | नीना  भी अपने नये घर में खुश हो गई सारे रीति रिवाज़ पूरे हो गये सब रिश्तेदार अपने अपने घर चले गए | नीना अक्सर सो कर लेट उठा करती थी पर उसकी सास उसे कुछ नहीं कहती थी वो अक्सर नीना के उठने से पहले ही घर के सारे काम निपटा लेती थी | राम अक्सर अपनी माँ से कहता  की आप क्यों सारा काम अकेले करते हो आप नीना से क्यों नहीं कुछ बोलती हो पर राम की माँ उसे अक्सर ये बोल कर चुप करा देती की अभी उसके लिए सब कुछ नया नया है थोड़े दिनों में वह सब समझ जाएगी | पर ऐसे करते करते काफी समय बीत गया पर नीना नहीं सुधरी वो घर का कोई काम नहीं करती थी अगर राम उसे कुछ काम करने को बोल देता तो वो लड़ाई करने लग जाती | वो अक्सर राम को अलग घर में रहने के लिए बोलती पर राम नहीं मानता | कुछ ही समय बाद नीना माँ बन गई उसने एक लड़के को जन्म दिया और देखते ही देखते नीना दो बेटो की माँ बन गई | नीना की सास उसका बहूत ख्याल रखा करती थी  वो उसे हमेशा अपनी बेटी की तरह प्यार करती | 

                              अब राम के माता पिता काफी बूढ़े हो गए थे |उनसे ज्यादा काम नहीं होता था अगर कभी नीना की सास उसे अपना कुछ काम करने को बोल देती तो नीना मुहँ बना लेती और उन्हें चार बातें सुना देती | राम उसे अक्सर कहता की तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए पर नीना ने तो मानो अपने सास ससुर से अलग होने की ज़िद पकड़ ली आखिर कार रोज़ के लड़ाई झगडे से तंग आकर राम की माँ ने भी राम को नीना की बात मानने के लिए बोल दिया | और आखिर कार नीना अब सब से अलग अपने पति और बेटों के साथ रहने लग गई | राम अक्सर अपने माँ बाप से मिलने अपने घर जाता रहता था पर नीना को ये बात बिलकुल पसंद नहीं आती एक दिन वो राम से बहुत लड़ी और बोली की अगर तुम फिर वह गये तो मेरा मरा हुआ मुहँ देखोगे ये सुन कर राम ज़ोर ज़ोर से रोने लग गया उसने नीना को बहुत समझाया की तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए तुम्हारे भी दो बेटे है कल को जब इनकी शादी होगी तब ये भी तुम्हें छोड़ कर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अलग रहने को कहेंगे तब तुम क्या करो गी क्योंकि बच्चे अपने माँ बाप को देख कर ही बड़े होते है और उन्ही के  नक्शे कदम पर चलते है पर नीना के कानों पर तो जू तक नहीं रेंगी | और आखिरकार राम ने नीना को छोड़ अपने माँ बाप के साथ रहने का फैसला किया  नीना ने उसे रोकने की काफी कोशिश की परन्तु राम  उसे छोड़ कर वह से चला गया |

          अब वो दिन भी पास आ गया जब नीना के बेटों की भी शादी हो गई | नीना ने सोचा की अब तो वह बड़े शान से अपनी बहुओ पर राज करेगी | पर ऐसा नहीं हुआ नीना की बहुए नीना की कोई बात नहीं मानती थी उल्टा नीना को ही घर का सारा काम काज करना पड़ता था वो सब अक्सर बहार खाना खा कर आते और नीना को घर में बचा हुआ खाना खाने को दे देती | ये देख कर नीना को बड़ा घुसा आता एक दिन उसने सोचा की वो अपनी बहुओ की शिकायत अपने बेटों से करेगी | जब उसके बेटे काम से घर लौटे तो नीना ने रो रो कर अपनी सारी आप बीती अपने बेटों को सुनाई तो नीना के बेटों ने हंस कर नीना से कहा  की माँ तेरी बहोए तुम्हें जैसा रखती है वैसे रह लो और अगर तुझे हमारे साथ रहना पसंद नहीं तो तू यह से जा सकती है | नीना की आँखों में ये सब सुनते ही आसू भर गए | अपने बेटो से अलग होने के विचार से ही उसका दिल कांप गया | थोड़े समय बाद ही नीना  की हालत खराब हो गई उसे इतनी कमजोरी हो गई की वो उठ कर अपने लिए पानी का गिलास  भी नहीं ले पाती थी  अगर वो अपनी बहूओ  को उसका काम करने को बोल देती तो नीना की बहुए मुहँ बना लेती और उसे चार बातें सुना देती | थोड़े समय बाद नीना की बहु बेटे उसे अलग हो गए और नीना अकेली रहे गई जब उसने अपने बेटों को ऐसा ना करने  को कहा तो उसके बेटों ने जवाब दिया की माँ तूने भी तो बुढ़ापे में अपने सास ससुर को अकेले छोड़ दिया था | अब नीना को अपनी सारी ग़लतियाँ याद आई और वो रोती हुई राम के पास गई और उसे माफ़ी मांगने लग गई पर राम ने उसे माफ़ नहीं किया और उसे अपने घर से निकाल दिया | और आखिर में नीना अकेले ही रहे गई |

  किसी ने ठीक ही कहा  है  अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत | 

अक्सर इन्सान ये भूल जाता है की वो भी तो एक दिन बुढ़ा होगा और जैसे वो दूसरों के साथ करेगा कल को उसे भी यही सब भुगतना होगा | इसीलिए अपने बुजुर्गो की सेवा करो | उन्हें सास ससुर नहीं अपने माँ बाप समझो |



 

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