Karol ka tibba ( करोल का टिब्बा )

नमस्कार दोस्तों ,

                             आज फिर में एक नए ब्लॉग के साथ आपके पास आई हुं आज में जिस जगह के बारे में आपको बताने जा रही हुं उसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते है यह जगह हिमाचल के ही एक जिले सोलन में स्थित है और इस जगह का नाम है करोल का टिब्बा | हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है और यह चारो और हरे भरे पहाड़ नदिया ओर गुफाएं है आज में आपको एक ऐसे ही गुफा के बारे में बताने जा रही हु जो हिमाचल के सोलन जिले में एक पहाड़ पर स्थित है जो  करोल के टिब्बे के नाम से जाना जाता है इस जगह की सुंदरता देखते ही बनती है यह टिब्बा एक बहुत ही ऊंची चोटी पर स्थित हैं यह से दूर दूर तक सूंदर नज़ारा देखा जा सकता है यह से शिमला, चायल,कसौली और बर्फ से ढकी पहाड़िया ओर धौलाधार रेन्ज भी नज़र आती है वही दूसरी ओर से चंडीगढ़ ओर अन्य मैदानी क्षेत्र भी देखें जा सकते है 





             हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है और यह पर कई ऊंचे ऊंचे पहाड़ ओर टिब्बे बने हुए है और इनमें कई सदियों से बहुत सी गुफाये बनी हुई है कहा जाता है कि आदिमानव काल मे मनुष्य गुफाओ में रहकर ही अपना जीवन निर्वहा करते थे परंतु यह पर कुछ ऐसी गुफाये है जो बहुत प्राचीन है और जिनका सम्बन्ध पुराणिक घटनाओं से है ऐसी ही कहानी कारोल के टिब्बे की है 

करोल के टिब्बे से जुड़ी कुछ कहानिया 

                                कहा जाता है कि इस गुफा का सम्बन्ध पांडवों से है जनश्रुतियों के अनुसार इस गुफ़ा को पांडवों द्वारा बनाया गया था कहा जाता है जब पाण्डव कौरवों द्वारा खेल में पराजित हो गए थे तब कोरवों ने पांडवो को दंड के रूप में 11 साल का वनवास ओर 1 साल का अज्ञातवास दिया था जब पाण्डव अज्ञात वास के दौरान लाक्षाग्रह में जो पिंजोर में स्थित है पांडवों को जलाने का षड्यंत्र रचा था जब लाक्षाग्रह को आग लगा दी गई उस समय पांडव उसी लाक्षाग्रह के अंदर थे खुद को आग से बचाने के लिए उन्होंने अंदर से एक गुफा बनाई जिसके द्वारा वह बच कर वह बाहर आये कहा जाता है कि यहा वहीँ गुफा है हालांकि इसके कोई पुख्ता सबूत तो अभी तक नही मिल पाए है परंतु कहा जाता है कि पांडव पिंजोर से इसी गुफा के जरिये इस करोल टिब्बे पर आए थे और उन्होंने 1 वर्ष का अपना अज्ञातवास करोल के ही घने जंगलों में बिताया था इसी कारण इस गुफ़ा को पाण्डव गुफा के नाम से भी जाना जाता है भाषा एवं सांस्कृतिक विभाग सोलन द्वारा 1996 में प्रकाशित " हमारा सोलन नामक " पुस्तक में भी करोल पांडव गुफा का इतिहास के नाम से उलेखित है

                                    



                  करोल के टिब्बे से जुड़ी एक ओर कहानी भी है जिसके अनुसार इस गुफा का सम्बंध जामवंत से भी रहा हैं जामवंत हनुमान की सेना में था कहा जाता है कि लंका के युद्घ के बाद जब भगवान राम ने सबको विदाई दी तो जामवंत ने कहा कि है प्रभू मेने इस युद्ध मे बड़े बड़े वीरू से मलयुद्ध किया परंतु मुझे अभी भी संतुष्टि का अनुभव नही हुआ तब भगवान राम ने जामवंत की यह इच्छा द्वापर युग मे पुरी होने की बात कहीं थी कहा जाता है कि इसके बाद द्वापर युग के इंतजार में जामवंत ने इसी गुफा में अपना समय व्यतीत किया था और जब द्वापरयुग आया तब भगवान कृष्ण से जामवंत का युद्ध हुआ जिसमें जामवंत को हार का सामना करना पड़ा तब भगवान कृष्ण ने त्रेतायुग में की गई उनकी इच्छा के बारे मे जामवंत को याद कराया जिसे जामवंत को अपनी भूल का एहसास हुआ उन्होंने उन सब के लिए भगवान से माफ़ी मांगी संस्कृति भाषा मे करोल का शाब्दिक अर्थ रीछ की गुफा है 

                             एक मान्यता यह भी  है कि हिमालय से जब भगवान हनुमान जी लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी का पहाड़ उठा कर ले जा रहे थे तब उस पहाड़ में से कुछ हिस्सा टुट कर इसी करोल के टिब्बे पर गिरा था जिसके कारण यह माना जाता है कि आज भी इस टिब्बे पर कही न कही संजीवनी बूटी होने की बात कहीं जाती हैं

                        कहा जाता हैं कि इस गुफा का दूसरा सिरा पिंजोर निकलता है क्योंकि कहा जाता है कि इस गुफा से बह कर जाने वाले बान के पते पिंजोर के मुहाने पर निकलते है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि बाण के पेड़ करोल के टिब्बे से आगे और कही भी नही लगे हुए है कहा जाता है की करोल गुफा के रहस्य जानने के लिए कई समय से खोजे हो रही है लेकिन कोई भी सही तरीके से इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नही करा पाया है 

                               इस मन्दिर में प्रवेश करते ही प्राचीन ठाकुरद्वारा मंदिर है जहाँ आसाढ़ माह के पहले रविवार को एक बड़ा मेला लगता है कहा जाता है कि इसी दिन श्री कृष्ण जी का जामवंती से इसी गुफा में विवाह हुआ था इस गुफा में अंदर केवल 50 फीट तक ही परिवेश किया जा सकता हैं क्योकि इसके अंदर पानी होने के कारण काफी फिसलापन आ गया है और इस गुफा के अंदर काफ़ी अँधेरा है जिसके कारण अंदर कुछ दिखाई नही देता कुछ लोगो का कहना है कि इस गुफा में बहुत से जहरीले कीडे बिच्छू सांप आदि होने का भी डर है कहा जाता है की कुछ  लोगो ने जबरदस्ती घुसने की कोशिश की तो उनके साथ कुछ असामान्य घटनायें घटित हुई  जब आप गुफा में परिवेश करते है तो परिवेश करते ही शिवलिंग, शेषनाग जेजी आकृतियां दिखने लगती है जो बहुत ही सुंदर और मनोहोरक है

    यहाँ तक पहुंचने का रास्ता 




                   करोल तक पहुँचने के दो रास्ते है एक रास्ता सोलन के चंबाघाट से होकर जाता है और दूसरे रास्ते कालका शिमला एनएच पर डेड घराट क्षेत्र के पास से पांडव गुफा के नाम से एक जंगल से होकर गुजरता है यह तक पहुचने के लिए आपको लगभग 5 से 6 किलोमीटर की ऊंची चढ़ाई का सफर पथ यात्रा कर के तय करनी पड़ती है यह तक किसी वाहन तक नही पहुँचा जा सकता आपको पैदल चल कर ही यह तक पहुचना पड़ेगा 

      

                        हमे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधर के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए |

                                                                                                                          धन्यवाद 

                                   


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