Maa brahamcharini (माँ ब्रह्मचारिणी )

नमस्कार दोस्तों,
                              आज नवरात्रि का दूसरा दिन है आप सभी को नवरात्रों की शुभकामना | आज माता ब्रह्मचारणी माता का दिन है | आज में अपने ब्लॉग में आपको ब्रह्मचारणी माता के बारे में बताने वाली हुं | ब्रह्मचारणी का अर्थ है तप की चारणी  यानि जो देवी तप का पूरा आचरण करती है  इस देवी का रूप बहूत ही सुंदर और भव्य है | इन देवी के दाएँ हाथ में जप की माला है  और बाएँ हाथ में इन्होंने एक कमंडल ग्रहण किया हुआ है |

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माता से जुड़ी कथा और मान्यताए    

                                            कहा जाता है की पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय राज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था |यह भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी | इसीलिए नारद जी के उपदेश के अनुसार माता ने घोर तप किया | कहा जाता है कि एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल फूल ही खाए और कई वर्षो तक ये खुले आसमान के नीचे बिजली बारिश में  केवल ज़मीन पर ही सोई कई वर्षो तक इन्होंने वृक्ष से नाचे गिरे बिलव्  पत्र  खा कर  अपना जीवन निर्वाह किया कुछ समय तक इन्होंने पेड़ से गिरे सूखे पते भी खाए  इसके बाद तो इन्होंने सब कुछ खाना पीना छोड़ दिया और बहुत कठिन तप किया | कई वर्षो तक यह निर्जल और निराहार होकर तप करती रही सूखे पतों को खाना छोड़ देने के कारण इनका नाम अपर्णा भी पड़ा कठिन तपस्या के कारण इनका शरीर एक दम क्षीण हो गया था सभी देवी देवताओं ऋषि मुनियों ने माता की तपस्या की बहुत सराहना की और उनकी स्तुति करते हुए कहा


                     " है देवी आज तक किसी ने भी इतनी घोर तपस्या नहीं की यह केवल आप ही हो जिसने इस असंभव को भी संभव कर दिखाया | आप की हर मनोकामना अवश्य पूरी होगी आपको शिवजी भगवान पति के रूप में ज़रुर प्राप्त होंगे | अब आप यह तपस्या छोड़ कर अपने घर वपिश लौट जाओ जल्द ही आपके पिता  आपको लेने आएँगे | माता के इस रूप की पूजा करने से ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है |


माता का उच्चारण मंत्र 

       1. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
 
2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई 
ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।


माँ ब्रह्मचारिणी - मंत्र एवं स्तोत्र


!! मंत्र !!


ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः ॥

ॐ ब्रां ब्रीं बौं ब्रह्मचारिणीय नमः ॥

दधाना कपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।


!! स्तोत्र !!


तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम् ।

ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम् ॥

नवचक्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम् ।

धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम् ॥

शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति – मुक्ति दायिनी ।

शान्तिदामानदा, ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्




 

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                                                                                   धन्यवाद 

                                 

                                                                                  



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