story of skand mata rani ( स्कन्द माता की कथा )

 नमस्कार दोस्तों,

                             आज नवरात्रि का पाँचवाँ दिन  है यानि स्कन्द माता का दिन  स्कन्द माता की पूजा करने से आदमी को ज्ञान की प्राप्ति होती है | माता की स्तुति  जो सच्चे दिल से करता है उसे कभी भी त्वचा संम्बधी कोई रोग नहीं होता ना ही उसे कभी स्वास्थ्य संम्बधी रोग होते है इन देवी की चार भुजाए है माता के दाई की और  ऊपर वाली भुजा में स्कन्द बैठा हुआ है | और निचली भुजा में कमल का फूल है माता ने अपनी बाई भुजा में वरदमुद्रा धारण कर रखी  है और दुसरी भुजा में कमल का फूल | स्कन्द माता का वाहन सिंह है | और स्कन्द माता का आसन कमल का फूल है कहा जाता है की जो भी माता की स्तुति सच्चे दिल से करता है उसकी सारी  मनोकामना पूरी होती है | स्कन्द माता ब्रह्मांड की आधिष्ठात्री देवी है 


                                                                        



स्कन्द माता की कथा 

                                  पुराणिक कथा के अनुसार तारक सुर नामक एक महाबलशाली राक्षस था जिसने चारो और बहूत आतक मचा रखा था कोई भी उसका अंत नहीं कर सकता था उसका अंत केवल शिव पुत्र के हाथो ही संभव था तब माता पार्वती  जी ने अपने पुत्र स्कन्द जिसे कार्तिक के नाम से भी पूजा जाता है को  युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए माता पार्वती  ने स्कन्द माता का रूप धारण किया था और अपने पुत्र स्कन्द को लड़ने का प्रशिक्षिण दिया जिसके कारण स्कन्द ने तारक असुर का अंत किया था | स्कन्द माता देवी पार्वती का रूप ही है हिमालय की यह पुत्री पैदा होने पर इन्हे महेश्वरी और गोरी के नाम से भी जाना जाता है 


                                                                                     जय माता दी 

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                                                                                   धन्यवाद 

                             

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