कहानी
वर्मा जी सरकारी विभाग में काम करते थे | और अक्सर इसी कारण उनकी बदली अलग अलग जगह पर होती रहती थी | वर्मा जी के दो बच्चे थे | दोनों अपनी पढ़ाई कर रहे थे | उनकी बड़ी बेटी चाहत अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए दूसरे शहर में होस्टल में रहा करती थी और एक बच्चा अपने माँ बाप के साथ रह कर ही अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहा था| तभी वर्मा जी का ट्रान्सफर आर्डर आ गया | ना चाहते हुए भी उन्हें आखिर दूसरे शहर जाना ही पड़ा परन्तु सबसे बड़ी समस्या यह थी की वो कभी भी अपने परिवार के बिना नहीं रहे | परन्तु इस बार समस्या यह थी की उनके बच्चों की परीक्षा का समय नज़दीक था ऐसे में वह किसी और जगह जाकर दूसरे स्कूल में दाख़िला नही ले सकते थे | इसी कारण वर्मा जी को अकेले ही काम के लिए दूसरी जगह जाना पड़ा | कुछ समय तक वो वह अकेले रहे परन्तु वह उनका मन नही लगा क्योंकि वो कभी भी अपने बच्चों और परिवार के बिना नहीं रहे | परन्तु कुछ समय बाद उनकी बड़ी बेटी चाहत अपने पापा के साथ रहने आ गई क्योंकि उसके स्कूल में छुट्टियाँ हो गई थी | क्योंकि वर्मा जी एक अच्छे ओहदे पर काम करते थे इसलिए उन्हें रहने के लिए बड़ा सुंदर घर मिला हुआ था | रोज़ की तरह वर्मा जी काम पर जा रहे थे और उन्होंने अपनी बेटी को उठा कर खाना खाने को कहा और वो ऑफ़िस को चले गये उनकी बेटी आराम से उठी और रोज़ाना की तरह अपने काम काज में लग गई | थोड़े समय बाद जब उसका सारा काम घर का खत्म हो गया तो वो सोफे पर लेट कर टीवी देखने लग गई | अचानक उसे महसूस हुआ की अंदर उसके कमरे से कुछ आवाज़े आ रही है वो हैरान हो गई क्योंकि उस घर में उसके और उसके पापा के अलावा और कोई नही रहता था | उसने सोफे से उठ कर देखने की कोशिश की की आखिर वो आवाजें किस की है परन्तु जब वो उस कमरे में गई तो उसने देखा की वह तो कोई भी नहीं था उसे थोड़ी हैरानी हुई परन्तु उसने सोचा की हो सकता है की ये आवाज़े पास के घरों से आ रही हो | ऐसे ही कुछ और समय बीत गया | एक दिन चाहत रोज़ की तरह अपना सारा काम खत्म करके अपने कमरे में अपनी पढ़ाई कर रही थी की उसे अचानक से ऐसा महसूस हुआ की उसके पीछे कोई बैठा हुआ है | परन्तु जब उसने पीछे पलट कर देखा तो कोई नही था | उसे बहुत अजीब सा लगा परन्तु वो दोबारा से अपने काम मे जुट गई की उसे अचानक से महसूस हुआ की जैसे कोई उसके साथ बैठा हुआ है उसे किसी के सांसों की आवाज़ साफ साफ सुनाई दे रही थी उसने पलट कर इधर उधर देखा परन्तु वह कोई नही था वो थोड़ा डर सी गई और तुरंत उठ कर अपने पापा के पास गई उसके चेहरे का रंग कुछ उड़ सा गया था वर्मा जी का ध्यान अचानक से अपनी बेटी की और गया उन्होंने कहा क्या हुआ बेटा तुम्हारा चेहरा पीला क्यों हो गया है चाहत ने सारी बात अपने पापा को बताई |
वर्मा जी को ये सब सुनकर हंसी आ गई और उन्होंने मज़ाक में अपनी बेटी के सर पर ज़ोर से हाथ रखते हुए कहा की तुम तो पागल हो तुम्हें हर जगह कुछ न कुछ अजीब लगता रहता है यह कह कर वो शाम की शेर पर अपने दोस्तों के साथ चले गये | चाहत को भी लगा की शायद उसके पापा ठीक ही कह रहे है भला इतने बड़े शहर में ऐसी सारी बातें केसे हो सकती है | अगले दिन चाहत भी पड़ोस के बच्चों के साथ घूमने के लिए चली गई | वर्मा जी सोफे पर लेट कर टीवी देखने लग गए और टीवी देखते देखते उनकी आँख लग गई अचानक उन्हें महसूस हुआ की किसी की सांसों की हवा उनके गालो से आकर टकरा रही है तभी अचानक से उन्हें एक औरत की आवाज़ सुनाई देती है की तुम्हारी हिम्मत केसे हुई लड़की पर हाथ उठाने की वर्मा जी अचानक से चोक कर उठ गये | उन्हें एक परछाईं अंदर के कमरे में जाते हुई दिखाई दी वो दोड कर उस कमरे की और भागे परन्तु जब वह उस कमरे में गए तो उन्होंने देखा की उस कमरे में कोई भी नही था | थोड़ी देर बाद चाहत घर वापिस आई उसने अपने पापा को देखा वो किसी गहरी सोच में खोये हुए थे चाहत ने अपने पापा से पूछा कि क्या हुआ आपको आप क्या सोच रहे हो परन्तु वर्मा जी ने अपनी बेटी को कुछ नही बताया कही वो डर न जाए | कुछ समय बीत गया चाहत अपने होस्टल वापिस चली गई वर्मा जी की बीवी बच्चे भी अपनी परीक्षा देकर वर्मा जी के पास रहने आ गए | थोड़े समय बाद चाहत भी अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने ममी पापा के पास आ गई एक दिन जब चाहत कमरे में सोई हुई थी और उसकी ममी रसोई में काम कर रही थी तो उसकी ममी को लगा की चाहत ज़ोर ज़ोर से आवाजें मार रही है वो जल्दी से अपनी बेटी के कमरे में भाग कर गई और पूछा क्या हुआ तुझे तो इतनी ज़ोर ज़ोर से आवाज़े क्यों मार रही थी चाहत ने हैरान होकर अपनी माँ की और देखा और कहा मैने तो कोई आवाज़ नही मारी में तो पढ़ाई कर रही थी उसकी माँ हैरान होकर दोबारा रसोई में गई तो उन्होंने देखा की अचानक से गैस का पाईप निकल गया और उसमे आग लग गई उन्होंने जल्दी से सिलेंडर से पाईप निकाली और जलती हुई पाईप को बहार फेका वो बहुत डर गई परन्तु उनकी होशियारी से आग लगने से बच गई वह डर कर सोफे पर बेठ गई और सोचने लगी की आखिर ये सब केसे हो गया गैस तो बंद थी फिर अचानक से आग केसे लग गई तभी उन्हें एक औरत के हँसने की आवाज़ सुनाई दी उन्हें सुनाई दिया की जैसे कोई उन्हें उस घर से निकल जाने की धमकी दे रहा हो | तभी चाहत अपने कमरे से बहार आई उसने देखा की उसकी माँ कुछ गहरी सोच में डूबी हुई है उसने अपनी माँ से पूछा की आपको क्या हुआ ममी तब उसकी माँ ने उसे सारी बात बताई तब उसने भी अपने साथ हुए वाक्य अपनी माँ को बताए | इतने में वर्मा जी भी ऑफ़िस से वापिस आ गये चाहत ने आज हुई सारी घटना अपने पिता को बताई तब पिता ने भी अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया वो सब डर से गये की आखिर उनके साथ ये सब कुछ क्या हो रहा है | वर्मा जी ने ऑफ़िस में अपने साथ काम करने वाले साथी जो उनसे पहले उस घर में रहा करता था उसे पूछा की उसने वो कमरा क्यों छोड़ा परन्तु उसने मुस्कुराते हुए कहा ऐसे ही सर वह मेरा दिल नही लगा वर्मा जी ने उसे अपने साथ हुई सारी घटना के बारे में बताया और उसे सच कहने को कहा तब उसने बताया की उसे भी उस कमरे में एक औरत की परछाईं दिखाई देती थी जो उसे वहा से चले जाने के लिए कहती थी परन्तु जब मैने उसकी बात नहीं मानी तो एक दिन उसने मुझे सीडियो से धक्का दे दिया जिसे मेरी दोनों हाथों की हड्डी टूट गई और में तीन महीने तक हॉस्पिटल मे एडमिट रहा | उस कमरे को छोड़ कर चले जाओ | वर्मा जी ने जल्द ही कमरा बदलने की अर्जी दे दी | और कुछ ही समय बाद वो दूसरे घर में रहने चले गए | पर चाहत के दिल में हमेशा ये सवाल उठता रहा की आखिर वो कोन थी और उसने उसके पापा को उस पर कभी हाथ ना उठाने के लिए क्यों कहा आस पास पूछने पर पता चला की एक औरत उस घर में रहती थी वो प्रग्नेंट थी एक दिन उसका पति शराब पीकर घर आया उनके बीच लड़ाई झगड़ा हुआ और अचानक लड़ते लड़ते उसका पैर सीडियो से फिसला और उसकी मोंत हो गई | लोगो का कहना है की उसी औरत की आत्मा उस घर में अपने अजन्मे बच्चे के साथ रहती है और किसी को भी उस घर में नही रहने देती |
2 टिप्पणियाँ
Very nice 👍👍👍
जवाब देंहटाएंVery nice 👍👍👍
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