कहानी
सुरेश एक बहुत अच्छा और मेहनती लड़का था । बचपन से ही उसे आर्मी में भर्ती होने का बहुत शोक था । वह बचपन से ही आर्मी में एक बड़े ओदे पर भर्ती के सपने देखा करता था । ओर जल्द ही उसका यह सपना साकार हो गया है। सुरेश जल्द ही ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए घर से चला गया । सुरेश आप के मा बाप का बहुत ही लाडला बेटा था उसके जाने के बाद उसके माँ को उसकी बहुत याद आती थी । वो अक्सर ही अपने बेटे के बारे में सोचती रहती थीं कि पता नही मेरे बेटे ने कुछ खाया होगा कि नही पता नही वह ठीक से सोता होगा कि नही ।
जल्द ही सुरेश छुटी पर घर आ गया माँ ने सुरेश को कहा कि बेटा अब तो तुमने अपना सपना सच कर लिया अब तुम अपनी जिंदगी में अच्छे ढंग से सेटल हो गये हो । अब मेरा भी एक सपना है उसे भी पूरा कर दो सुरेश ने बड़े प्यार से अपनी माँ की गोद मे सर रख कर पूछा बताओ माँ तुम्हारा ऐसा कौन सा सपना है जो अभी तक पूरा नही हुआ । मा ने कहा में अब तुम्हारा घर बसा हुआ देखना चाहती हु । तुम्हारे बच्चों को अपने गोद में खेलाना चाहती हूं माँ की ये बात सुन कर सुरेश मन ही मन खुश हुआ ओर शरमाते हुए अपनी माँ की ओर देख कर बोला कि जैसा आपको ठीक लगे जल्द ही सुरेश की शादी हो गई रानी एक अच्छी लड़की थी औऱ बिल्कुल सीधी साधी थी । जल्द ही सुरेश के घर एक प्यारी सी लड़की ने जन्म लिया । और ऐसे ही देखते देखते सुरेश 2 बेटियों का बाप बन गया । वह अपने बच्चों से बहुत प्यार करता था । एक दिन सुरेश जब छुटी पर घर आया हुआ था तो सुरेश के साथ पढ़ने वाला एक मित्र उसके घर आया । वह शुरू से ही सुरेश से जलता था । वह अक्सर सुरेश से मिलने उसके घर आता था । और अक्सर उसे नीचा दिखने के लिए अपनी ओर अपने परिवार और अपने बेटों की तारीफ करता रहता था । उसकी बातें सुनकर सुरेश को भी लगता कि काश उसके भी एक बेटा होता यह सोच सोच कर वह बहुत उदास रहेने लगा यह देख कर एक दिन उसकी माँ ने उसे उसकी उदासी का कारण पूछा सुरेश ने सारी बातें अपनी माँ को बताई मा ने उसे समझाया कि बेटा बेटा बेटी सब एक समान हैं । अगर तु अपनी बेटियों को बेटी नही बेटा समझ कर पालेगा तो ये भी बेटा बन कर ही तुम्हारी सेवा करेगी । सुरेश ने अपनी माँ की कहि बात मानी और अपने परिवार के साथ खुशी खुशी रहेने लगा । बेटिया देखते देखते बड़ी हो गई सुरेश ने अच्छे घर मे अपनी बेटियों की शादी की बेटियां अक्सर अपने माँ बाप को देखने घर आती रहती थी रोज फोन पर अपने माँ बाप के हाल चाल पूछा करती थी । वही दूसरी ओर सुरेश का दोस्त के बच्चे भी बड़े हो गये उनकी शादी हो गई और वह अपने बीवी बच्चों के साथ अलग घर मे रहेने लग गए । वो न कभी अपने माँ बाप का हाल पूछते न कभी घर आते । एक दिन अचानक सुरेश का दोस्त उसे मिला और उसके हाल चाल पूछे सुरेश ने उसे सब बताया यह सुन कर वह दिल ही दिल मे काफी जलाऔर सुरेश का हस्ते हुए ताना देना लगा कि अगर तुम्हारे आज बेटा होता तो तुम मजे से रह रहे होते पर सुरेश ने हँस कर उसकी बात का जवाब दिया कि मेरे दो बेटिया नही बल्कि वो मेरे लिए मेरे बेटे हैं । जो हमेशा मेरा ख्याल रखते है । यह सुन कर सुरेश का दोस्त बहुत जल गया । और बोला कि वक़्त ही बताएगा कि आखिर में कौन तुम्हारे काम आएगा ।
अचानक सुरेश एक दिन बहुत बीमार हो गया । जैसे ही सुरेश की बेटियों को पता चला वो तुरंत अपने पिता को अस्पताल ले कर गई वहा जाकर पता चला कि उनके पिता महामारी से ग्रसित हो गए है । बाद में सुरेश की पत्नी रानी भी महामारी से ग्रसित हो गई । सुरेश ने तुरंत अपनी बेटियों को कहा कि बेटा तुम हमे यहाँ छोड़ कर अपने घर चले जाओ तुम्हारे छोटे बच्चे है में नही चाहता कि मेरी वजह से तुम पर कोई आंच आये परंतु सुरेश की बेटियों ने उन्हें अकेला छोड़ने से मना कर दी और कहा कि पिताजी आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए हम सब एक परिवार है । हम सब मिल कर इस चनोती का सामना करेंगे । सुरेश की बेटियों ने ओर दामादों ने मिल कर सुरेश ओर रानी की खूब सेवा की ओर उनका ध्यान रखा । जल्द ही वो दोनों ठीक हो गए एक दिन जब सुरेश अपने घर से घूमते हुए अपने दोस्त के घर के पास से गुजर तो उसने देखा कि उसका दोस्त बहुत रो रहा था । और पास में उसके पत्नी की लाश पड़ी हुई थी जिसकी महामारी से मौत हो गई थी । लेकिन उसे कंधा देने वाला कोई नही था । सुरेश ने उसे रोते हुए देख कर पूछा कि तुम ऐसे क्यो रो रहे हो और तुम्हारे बेटे कहा गए तब सुरेश के दोस्त ने उसे सारी बात बताई की किस तरह उसके बेटो ने उन्हें अकेला छोड़ दिया । क्योंकि उनका कहना था कि हमारा भी परिवार है बच्चे है अगर उन्हें कुछ हो गया तो क्या होगा । आप ने तो अपनी जिंदगी काट ली आप चाहें आज मरो या कल क्या फर्क पड़ता है । पर हम आपकी देखभाल नही कर सकते । आज मेरी पत्नी मर गई पर इसे कंधा देने तक कोई नही आया । सुरेश की आंखे भी भर गई । उसने अपने दोस्त से कहा कि परिवार में चाहे बेटी हो या बेटा इस बात से कोई फर्क नही पड़ता फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि बुरे वक्त में कौन आप का साथ देता है । जो बुरे वक्त में आप का साथ दे वही असली परिवार है ।
जब हम बात परिवार की करते है तो हमारे आंखों के आगे एक हंसते खेलते परिवार की तसवीर आ जाती हैं । जब आप खुश होते हो तो सब आपके साथ होते है परंतु आप जब कष्ट में होते है तब आपको उस परिवार की असलियत पता चलती है कि असलियत में आपका अपना कौन हैं और बेगाना कौन हैं । और आज जिस समय से हम सब गुजर रहे है उसने तो हर किसी का असली चेहरा सबके सामने ला दिया है ।
मेरी इस कहानी का मकसद किसी के दिल को ठेस पहुचना नही है अपितु सिर्फ यह बताना है । कि इस समय हर इंसान को उसके परिवार और प्यार की जरूरत है परिवार का प्यार ही है जो इस समय हमें इस समय इस बीमारी से लड़ने की शक्ति देता हैं । परिवार ही वो आधार है जिसके बलबूते पर इंसान किसी भी बुरी स्थिति से निपट सकता हैं । अतः आप अपने परिवार का साथ दे ।
धन्यवाद
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