नमस्कार दोस्तों,
आज में फिर एक नए ब्लॉग के साथ आपके पास आई हुं | भारत वर्ष में हजारों देवी देवताओं के मंदिर स्थापित है |और इसमे हिमाचल का नाम सबसे पहले आता है | हिमाचल को देवी देवताओं का घर भी कहा जाता है | हिमाचल में सैंकड़ो की संख्या मंदिर स्थापित है | और सभी मंदिरों की अपनी अपनी कहानी है | और सब की अपनी अपनी मान्यता है इन सभी मंदिरों के पीछे अदभुत और रोचक तथ्य छुपे हुए है | पर शायद बहुत कम लोग जानते होंगे की हिमाचल में स्थित कई इसे मंदिर है जो बहुत रहस्यमय है और जिनकी पीछे छिपे रहस्यों को वैज्ञानिक भी सुलझा नहीं पाए | आज में आपको ऐसे ही एक और मंदिर के बारे में बताने जा रही हुं | यह मंदिर हिमाचल के एक सुंदर जिले मंडी में स्थित है और सब इसे शिकारी देवी के नाम से जानते है | कहा जाता है की आज तक कोई भी इस मंदिर की छत को बनवा नहीं पाया है |
( शिकारी देवी मंदिर ) |
शिकारी देवी माता का मंदिर बहुत ही सुंदर है | यह मंदिर हिमाचल के मंडी जिले में स्थित है | यह मंदिर एक बहुत ही ऊँची चोटी पर स्थित है जिसकी ऊंचाई लगभग 2580 मीटर है | आज भी लोगो के लिए यह मंदिर रहस्य का विषय है |
पुरानी मान्यताओं के अनुसार महर्षि मार्कण्डेय जी ने यह कई सालों तक कठिन तपस्या की थी जिनकी तपस्या से खुश होकर माँ दुर्गा जी अपनी शक्ति रूप में यह प्रकट हुई थी और बाद में इसी स्थान पर विराजमान हो गई |
इस मंदिर से जुड़ी एक और कहानी भी है। कहा जाता हैं कि पाण्डव अपने अज्ञातवास के दौरान यह आए थे । और कौरवों से युद्ध में जीत हासिल करने के लिए उन्होंने यह पर शिकारी देवी की तपस्या की थी ।कहा जाता है कि पांडवों की तपस्या से खुश होकर माता दुर्गा स्वयं यह प्रकट हुई और माता ने पांडवों को युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद दिया । कहा जाता हैं कि माता के आशीर्वाद से पांडव युद्ध मे विजयी रहे और उन्होंने यह माता शिकारी देवी के मंदिर की स्थापना करवाई । परंतु किसी कारणों वश वो इस मंदिर का कार्य पूरा नही करा पाए ।पांडवों ने इस मंदिर में माता की एक पत्थर की प्रतिमा की स्थापना करवाई ओर उसके उपरांत वो यह से चले गए । कहा जाता है कि उसके बाद कई लोगों ने इस मंदिर की छत बनवाने की कोशिश की परंतु आज तक कोई भी इस कार्य मे सफल नही हो पाया । माता यह पिंडियो के रूप में आज भी विराजमान है |
माता के नाम के पीछे की कहानी
माता का मंदिर एक ऊँचे पहाड़ पर स्थित है माता के मंदिर के चारों और ऊँचे और घने जंगल है । यहां चारों और जंगली जीव जन्तु भी बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते है । कहा जाता हैं कि अत्यधिक जंगली जानवर होने के कारण कई शिकारी यहाँ जानवरों का शिकार करने के लिए यह आते थे और शिकार करने से पहले वह यहां माता के दर्शन करने और उनसे आशीर्वाद लेने आते थे । और कहा जाता है कि माता के आशीर्वाद के बाद वह अपने शिकार के खेल में विजयी भी रहते थे । कहा जाता हैं कि इसी के बाद इस मंदिर का नाम शिकारी देवी मंदिर पड़ा ।
माता के नाम से जुड़ी एक ओर कहानी भी है।
कहा जाता हैं कि जब पांडव अपना अज्ञातवास काट रहे थे तब वह इस क्षेत्र में आए थे और उन्होंने अपना कुछ समय यही पर बिताया था । कहा जाता है की एक दिन पांचों पांडव वन मैं भ्रमण कर रहे थे तो उन्हें एक सुंदर मर्ग दिखाई दिया वह पांचो भाई उस मर्ग का शिकार करने के लिए उसके पीछे भागे परन्तु वह उसका शिकार नही कर पाए जब मर्ग उनकी पहुँच से दूर भाग गया तो वह आपस मे वार्ता करने लगे कि शायद यह मर्ग मायावी था इसलिए यह हमारी पकड़ में नही आया । तभी वह आकाशवाणी हुई कि में इस पर्वत पर रहने वाली शक्ति हुं मैने तुम्हें पहले भी जुआ ना खेलने के लिए सावधान किया था परंतु तुमने मेरी बात नही मानी जिसके फलस्वरूप आज तुम वनवास भोग रहे हो यह सब बातें सुनकर पांडवो को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने माता से क्षमा प्रार्थना की माता ने उन्हें क्षमा करते हुए बताया कि में इस पर्वत पर दुर्गा के रूप मे विराजमान हुं । मेरी प्रतिमा इसी पर्वत के अंदर है अगर तुम मेरी उस पर प्रतिमा को बाहर निकाल कर स्थापित कर दोगे तो तुम्हें अपना सारा राज्य वापिस प्राप्त हो जाएगा । पांडवों ने माता के कहे अनुसार पूरे विधि विधान से माता की प्रतिमा वह स्थापित कर दी । क्योंकि माता पांडवों को एक मायावी मर्ग के शिकार के समय मिली थी इसीलिए इस माता को शिकारी देवी के रूप में पूजा गया ।
इस मंदिर से जुड़ी सबसे चमत्कारी घटना
इस मंदिर कि एक ओर चमत्कारी घटना यह है कि जब सर्दियों में यह खूब बर्फ़ गिरती है तो वह बर्फ केवल मंदिर के आसपास ही गिरती है कहा जाता हैं कि जो बर्फ माता की मूर्ति पर गिरती है वो एक दम पिघल जाती है और मूर्ति के चारों और जमा हो जाती हैं ।पर माता की पिंडियों पर कभी बर्फ़ नही जमती यह एक बहुत बड़ा चमत्कार है और इसके पीछे का रहस्य आज तक कोई पता नही लगा पाया।
( शिकारी देवी मंदिर परिसर ) |
मंदिर से जुडी कुछ मान्यताएं
कहा जाता है कि हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के मंदिर में आते है और माता के दर्शन करते है । कहा जाता हैं कि जो भी सच्चे मन से माता के चरणों मे अपना शीष झुकता है माता उसकी सारी इच्छा पूरी करती है । अधिक बर्फ बारी में माता के कपाट करीब तीन माह के लिए बंद कर दिए जाते है ।
जय शिकारी देवी माता
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