कहानी
मोहित एक अच्छा इन्सान था उसका एक भरा पूरा परिवार था उसके परिवार में उसकी पत्नी सुधा उसके दो बच्चे रीना और सूरज और उसका भाई और उसका परिवार सब साथ मिलकर रहते थे सब एक साथ बहुत खुश थे | मोहित एक अच्छी कम्पनी में एक उच्च पद पर कार्यरत था | सब एक साथ बहार घूमने जाते थे | परन्तु धीरे धीरे सब कुछ बदलता जा रहा था | अब सब अपने में मस्त थे अब किसी के पास भी एक दूसरे के लिए समय ही नही था सब फोन पर या कंप्यूटर पर या टीवी देखने में व्यस्त थे किसी के पास इतना समय भी नही था की कोई किसी के हाल चाल पूछ ले | सब अपनी जिन्दगी में व्यस्त थे मोहित भी अपने काम में व्यस्त था | परन्तु आज सुबह से ही मोहित की तबियत कुछ ठीक नही लग रही थी | उसे सीने में कुछ दर्द सा महसूस हो रहा था उसने अपनी पत्नी सुधा को ये बात बताई पर उसने यह कह कर बात टाल दी की आजकल सब का यही हाल है हमारे आसपास इतनी नकरात्मकता फैली हुई है की हमे छोटी छोटी बातों से डर लगता है और भ्रम हो जाता है की हमे भी कुछ हो रहा है | और अपने फोन में गेम खेलने लग गई | मोहित ने भी सोचा की शायद सुधा सच ही बोल रही होगी | यह सोच कर मोहित ऑफ़िस को निकल गया | ऑफ़िस पहुंच कर वह अपने काम में लग गया | परन्तु उसे कुछ ठीक नही लग रहा था | उसके साथ काम करने वाले राकेश को भी महसूस हुआ की आज मोहित कुछ गुमसुम सा है | उसने मोहित को पूछा की क्या बात है हमेशा मुस्कुराने वाला मोहित आज इतना चुप चाप केसे है मोहित ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया की नही कोई बात नही है बस आज तबियत कुछ ठीक सी नही लग रही राकेश ने मोहित का माथा छुआ अरे तुम्हें तो तेज़ बुख़ार है | तुम ऐसा करो घर जाओ और आराम करो और दवाई ले लो | मोहित ने डॉक्टर को ना दिखाते हुए केमिस्ट की दुकान से दवाई ली और घर चला गया | घर पहुँचकर देखा तो सब अपने अपने फोन में लगे हुए थे किसी के पास ये तक पूछने का समय भी नही था की कोई मोहित को पूछ ही ले की वो आज ऑफ़िस से इतनी जल्दी क्यों आ गया | मोहित अपने कमरे में चला गया और दवाई खा कर सो गया पर कुछ समय बाद उसे महसूस हुआ की उसकी तबियत ज्यादा खराब हो रही है | उसे महसूस हो गया की शायद उसे दिल का कोई रोग हो रहा है | थोड़ी देर बाद उसे अचानक से बहुत पसीने आने लगा वह तुरंत उठा और तैयार होकर अस्पताल के लिए निकलने लगा उसने सुधा को कहा की वो अस्पताल जा रहा है उसे कुछ ठीक नही लग रहा किसी ने भी उसे कुछ नही पूछा सुधा भी फ़ोन में देखते हुए ही बोली की ठीक है आराम से जाना मोहित को बहुत दुःख हुआ की कहेने को मेरे पास इतना बड़ा परिवार है पर उसके साथ चलने को कोई भी नही कह रहा वो बेचारा घर से नीचे जाकर स्कूटर स्टार्ट करने लगा पर स्कूटर स्टार्ट नही हुआ वह उसे किक मारकर चलाने की कोशिश करने लगा | इतने में सामने से श्याम आया उसने मोहित को देखा और बोला साहब आप कुछ ठीक नही लग रहे | ऐसे में स्कूटर को किक नही मारते आप हटो स्कूटर में चला देता हुं उसने स्कूटर स्टार्ट किया और स्कूटर पर बेठ कर बोला बेठो साहब में आपको अस्पताल छोड़ देता हुं शायद उसे मोहित की हालत का आदेशा हो गया था मोहित ने उसकी और देखा और बोला तुम मेरे साथ चलोगे श्याम ने कहा हाँ बेठो साहब मोहित रास्ते में जाते हुए सोचने लगा की मेरा इतना बड़ा परिवार है पर किसी को मेरी कोई चिंता नही और ये बेचारा श्याम अजनबी होते हुए भी इसे मेरा दर्द महसूस हो गया | जैसे ही वह अस्पताल पहुचे श्याम भागता हुआ गया और व्हिल्चैर ले आया उसने मोहित को उस पर बिठाया और अस्पताल ले गया अंदर जाते ही जैसे डॉक्टर ने उसे चेक किया और उसे तुरंत ऑपरेशन करने के लिए कहे दिया | मोहित सोचने लगा की मेरे साथ तो कोई नही है में केसे ऑपरेशन करवाओ उसने डॉक्टर से थोड़ा समय माँगा परन्तु डॉक्टर ने कहा की आपके दिल की नालिय बंद हो गई है अगर जल्द ऑपरेशन नही किया तो आपका बचना मुश्किल है | श्याम ने ये सुनते ही मोहित से कहा साहब आप चिंता मत करो आप ऑपरेशन करवाओ में आपके घर फोन करके सब को बुलाता हुं | डॉक्टर द्वारा मंगवाई गई सभी चीजे श्याम लेकर आया | वह वही खड़ा रहा जब तक में ऑपरेशन थियेटर में नही गया | वह मुस्कुराते हुए मुझे धेर्य दे रहा था की साहब आप डरो मत सब ठीक हो जायेगा | उसका मुस्कुराता हुआ चहेरा मेरी आँखों के आगे घूमता रहा | और कब मेरी आंखे बंद हुई मुझे पता भी नही चला | जब मेरी आँखें खुली तो मैने देखा की सब मेरे सामने खड़े थे | कोई भी मुझसे आंख नही मिला पा रहा था सुधा मेरे पास आई और बोली अब केसा लग रहा परन्तु मेरी आँखे तो श्याम को ढूंढ रही थी मैने उनसे पूछा की श्याम कहा है तब उन्होंने बताया की उसके पिता की तबियत अचानक से खराब हो गई है वह अपने गाँव के लिए निकल गया | में ठीक हो कर घर वपिस आ गया परन्तु उस दिन मुझे महसूस हुआ की इन्सान ने ये टेक्नोलॉजी अपनी सहूलत के लिए बनाई थी परन्तु आज इन्सान इसका ग़ुलाम बन गया है | हमने ये सारी चीजे इसलिए इजात की ताकि हम जल्द काम खत्म करके अपने परिवार के साथ समय बिताये परन्तु इन्सान ने ये चीजे अपने उपर इतनी हावी कर ली है की अब इन्सान इसके बिना एक पल नही रह सकता अब उसके पास इतना समय भी नही है की वो एक दूसरे से उसके हाल चल भी पूछ सके |
आज के इस समय में हमे एक दूसरे की जरूरत है | पहले लोग कम बीमार पड़ते थे | क्योंकि वो अपना काम खुद किया करते थे पहले कभी किसी को भी माइग्रेन जेसी कोई बीमारी नही होती थी क्योंकि पहले लोग आपस में बात चित किया करते थे समय बिताते थे उनके पास ज्यादा कुछ सोचने का समय हि नही था | सब मिलजुल कर समय बिताते थे हस्ते थे परन्तु आज के इस समय में ये सब बातें कही गुम सी हो गई है | हमे एडवांस टेक्नोलॉजी की नही बल्कि अपनों की जरूरत है अपने लोगो के प्यार की जरूरत है | अत आप जितना हो सके अपने परिवार को समय दे |
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