नमस्कार दोस्तों,
आज में फिर एक नए ब्लॉग के साथ आपके पास आई हुं | आज में आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रही हुं वह मंदिर जम्मू जिले के कटरा नामक पहाड़ियों में स्थित है | इन पहाड़ियों को त्रिकुटा पहाड़ी भी कहा जाता है | यह मंदिर माता वैष्णो देवी माता को समर्पित है | और यह भारत में स्थित सभी पूजनीय स्थलों में से एक है | हर साल लाखों की संख्या में माता के भगत माता के दर्शन करने के लिए यह आते है |
वैष्णो देवी |
मंदिर से जुड़ी पुराणिक कथा ;-
माता के मंदिर से जुड़ी कई पुराणिक कथाए प्रचलित है | कहा जाता है की एक बार त्रिकुटा की पहाड़ी पर एक बहुत ही सुंदर कन्या को देख कर भैरवनाथ जी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दोड़े परन्तु देखते ही देखते वो कन्या वायु के रूप में बदल गई और त्रिकुटा पर्वत की और उड़ चली | परन्तु भैरवनाथ जी ने फिर भी उनका पीछा नही छोड़ा और उनके पीछे पीछे भागते रहे | कहा जाता है की तभी माता की रक्षा के लिए पवन पुत्र हनुमान जी वह प्रकट हुए | कहा जाता है की माता ने भैरव जी से बचने के लिए नो महीने एक गुफा में गुजारे और वह तपस्या की और हनुमान जी ने उसी गुफा के बहार खड़े होकर पहरा दिया | और कुछ समय बाद भैरव जी भी वहा आ गए | उन्हें रास्ते में एक साधू जी ने दर्शन दिए और उन्हें सावधान किया की तू जिस कन्या के पीछे भाग रहा है वह कोई साधारण कन्या नही है बल्कि आदि शक्ति माता है अगर तू अपना भला चाहता है तो वापिस लौट जा | परन्तु भैरव जी ने उनका कहना नही माना और उस गुफा में घुस गये माता उस गुफा के दूसरे छोर से बहार निकल गई | यह गुफा आज भी यही पर स्थित है जिसे अर्दकुमारी या गर्भजुन के नाम से जाना जाता है | कहा जाता है की इस स्थान पर माता के चरण पादुका भी स्थित है कहा जाता है की यही खड़े होकर माता ने मूड कर भैरव नाथ जी को देखा था | कहा जाता है की माता ने देखा की भैरव जी उस गुफा से बहार निकलकर फिर से माता का पीछा करना शुरू कर दिया तब माता ने कन्या रूप त्याग कर माता का रूप धारण कर लिया और भैरव को वापिस जाने को कहा परन्तु भैरव जी ने माता की बात न मानी और फिर भी माता का पीछा करता रहा बाद में माता ने महाकाली का रूप धारण किया और भैरव का वध कर दिया कहा जाता है की अपने वध के समय भैरव जी को अपनी भूल का पछतावा हुआ और उसने माता से उसे क्षमा करने का आग्रह किया माता वैष्णो देवी जी ने भैरव जी का आग्रह मान लिया और उसे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्रदान की और उन्हें वरदान देते हुए कहा की मेरे दर्शन तब तक पुरे नही माने जाएंगे जब तक कोई भगत मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नही करेगा | तब से जो भी भगत माता के दर्शन करने के लिए वैष्णो देवी जाता है वह माता के दर्शन करने के बाद भैरव जी के दर्शन करने जरुर जाते है |
माता से जुड़ी एक और कथा भी प्रचलित है ;-
माता से जुड़ी एक और कथा भी प्रचलित है माना जाता है की माता वैष्णो देवी जी का एक भगत थे जिनका नाम श्रीधर था | जो कटरा से कुछ दूरी पर स्थित एक गाँव जिसका नाम हंशाली में रहते थे | वो बहुत ही ग़रीब था और उसके कोई संतान भी नही थी | वह हमेशा माता वैष्णो देवी का भंडारा करने की सोचता था | यही सोच रखते हुए वो एक दिन गाँव में भंडारे के लिए खाद्य सामग्री एकत्रित करते हुए और सभी को भंडारे का न्यौता देते हुए अपने घर पहुचे वह आकर उन्होंने देखा की उनके द्वारा एकत्रित किया हुआ समान काफी नही है क्योंकि मेहमानों की संख्या बहुत अधिक है यही सोच कर वो रात भर सो नही पाए की अब कल वो कैसे भंडारा करेगे | यही सोचते हुए सुबह हो गई | वह बहार बैठ कर माता का स्मरण करने लगे की है माता मुझे तो बस अब तेरा ही सहारा है | थोड़े देर बाद मेंहमानों का आना शुरू हो गया श्रीधर को पूजा करते हुए देख सभी मेहमान उसकी छोटी सी कोटिया में इधर उधर बैठ गए | पूजा खत्म करने के बाद जब श्रीधर ने अपनी आँखे खोली तो देखा की सभी मेहमान आ चुके थे उन सभी को देखकर श्रीधर मन ही मन सोचने लगा की अब में इन सभी को केसे भोजन करवाउंगा यही सोचते हुए जब वह कोटिया के अंदर आया तो उसने देखा की सभी लोग खाना खा रहे है और एक छोटी सी लड़की उन सभी को खाना बाँट रही है और थोड़ी ही देर में सभी ने खाना खा लिया और अपने घर को चले गये | श्रीधर भागते हुए उस लड़की के बारे में जानने के लिए उसके पीछे दोड़े परन्तु वह लड़की अचानक से गायब हो गई और उसके बाद फिर किसी को भी दिखाई नही दी श्रीधर काफी समय तक उसके बारे में सोचता रहा की आखिर वो लड़की कोन थी तभी एक दिन उन्हें सपने में वही लड़की दिखाई दी और उन्हें सपने में माता ने उन्हें अपना नाम बताया जिसका नाम वैष्णो देवी था | माता ने उसे अपनी गुफा के बारे में बताया और पुत्र प्राप्ती का वरदान भी दिया | श्रीधर ने उस गुफा को ढूंडा और माता की पिंडी के दर्शन किये तभी से हर साल लाखों की संख्या में लोग माता के दर्शन करने के लिए जाने लगे |
माता की उत्पति की कथा
हिन्दू धर्म के अनुसार माता वैष्णो देवी जी देवी माता का ही रूप है | हिन्दू महाकाव्य के अनुसार माँ वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर नामक एक व्यक्ति के घर में जन्म लिया था | और भगवान् विष्णु जी के वंश में जन्म लेने के कारण उनका नाम वैष्णवी पड़ा |
मंदिर के बारे में जानकारी
वैष्णो देवी का निकटतम बड़ा शहर है जम्मू आप जम्मू तक रेलमार्ग , बस परिवहन और हवाई यात्रा करके पहुचा जा सकता है उसके बाद जम्मू से कटरा तक आप वह की लोकल बस से मंदिर के गेट तक पहुच सकते है उसके बाद कटरा से मंदिर तक पहुचने के लिए कटरा से वैष्णो देवी की पैदल चढाई लगभग 13 किलोमीटर और उसके आगे भैरो मंदिर तक 14.5 किलोमीटर है | आप माता के दरबार तक पथ यात्रा करके जा सकते है रस्ते के साथ साथ सीडिया भी बनवाई गई है जिनकी संख्या लगबग 3200 से अधिक है जो लोग पैदल नही चल सकते उनके लिए घोड़े की सवारी या पालकी की सवारी करके भी माता के दरबार तक पहुच सकते है | इसके अलावा कटरा से सांझीछत जोकि भवन से 1.5 किलोमीटरदुरी पर हेलीकाप्टर सेवा भी शुरू हो चुकी है जिसका किराया अब तक की जानकारी के अनुसार 1730 पर सवारी है | जो समय के साथ ज्यादा और कम होता रहता है
हमे उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताए ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधर के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए |
जय माता दी
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