नमस्कार दोस्तों,
आज में फिर एक नये लोग के साथ आपके पास आई हुं | हिमाचल बहुत ही सुंदर राज्य है और उतने ही सुंदर है यहाँ पर बने मंदिर | हिमाचल में बने कई मंदिर काफी सदियों पुराने है जिनकी अपनी बड़ी दिलचस्प कहानियाँ है और उन कहानियो का वर्णन हमारे कई पुरानी किताबों मे लिखित है | आज में आपको इसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रही हुं जो बहुत ही पुराना और बहुत ही सुंदर है | इस मंदिर का इतिहास पांडवों के समय से जुडा हुआ है | आज में आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रही हुं यह मंदिर हिमाचल की सुंदर नगरी मनाली में स्थित माता हिडिम्बा देवी का मंदिर है |
कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण 1553 इसवी में महाराजा बहादुर सिंह जी ने करवाया था |यह मंदिर बहुत ही सुंदर है इस मंदिर के निर्माण की शैली पगोडा है और यही इस मंदिर की सबसे खास बात है | इस मंदिर की छत लकड़ी से बनी हुई है जिनकी संख्या 4 है | नीचे की 3 छतों का निर्माण देवदार की लकड़ी के तख्तो से किया गया है | और सबसे उपर की छत का निर्माण ताम्बे और पीतल से किया गया है | इस मंदिर की छत का निर्माण अदभुत ढंग से किया गया है मंदिर की दीवारों से लगती हुई छत सबसे बड़ी है और उसे उपर की छत उसे छोटी और उसे उपर वाली छत उसे भी छोटी और सबसे उपर पीतल और ताम्बे से बनी छत सबसे छोटी है जो देखने में बहुत ही मन्होरक लगती है | और इस मंदिर की दीवार पत्थर की है | इस मंदिर के प्रवेश करते ही आप इसकी दीवारों पर उस समय की बनी सुंदर नंकाशी के दर्शन कर सकते है | इस मंदिर में कोई मूर्ति नही है अपितु एक बड़ी शीला है जिसे देवी का रूप मानकर पूजा जाता है | इस मंदिर में भीम पुत्र घटोत्कच का भी मंदिर है जिसे माता हिडिम्बा और पांडव पुत्र भीम का बेटा माना जाता है | यह हर साल जेष्ठ के महीने में बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है |
हिडिम्बा देवी माता की कहानी
कहा जाता है की माता हिडिम्बा एक राक्षस जाती से सम्बन्ध रखती थी | और वह एक राक्षसी थी उन्ही के बड़े भाई हिडिम्ब का राज उस समय पुरे मनाली और उसके आसपास के क्षेत्रो पर था | कहा जाता है की उनकी शादी पांडव पुत्र भीम से हुई थी | कहा जाता है की माता हिडिम्बा ने ये प्रण ले रखा था की वे केवल उसी युदा से शादी करेगी जो उसके भाई हिडिम्ब को युद में पराजित करेगा | कहा जाता है की जब पांडव अपना अज्ञात वास का समय व्यतीत कर रहे थे | उस समय वह अपना अग्यात्वास का कुछ समय काटने के लिए मनाली के जंगलों में पहुचे और चलते चलते वो राक्षसों के क्षेत्र में पहुच गये अधिक थक जाने के कारन वह उसी जंगल में विश्राम करने लगे पांडव पुत्र भीम उनके लिए पानी की तलाश में इधर उधर भटकने लग गये जब वह पानी लेकर वापिस अपने भाइयो और माता कुंती के पास आये तो उन्होंने देखा की उनके बही और माता थक क्र उसी जंगल की जमीन पर सो चुके थे | उसी समय हिडिम्ब ने अपनी बहन हिडिम्बा को भोजन की तलाश में जंगल में भेजा हिडिम्बा की नज़र भूमि पर सो रहे पांचो पांडवो और माता कुंती पर पड़ी पांडव भीम को देखते ही हिडिम्बा को उसे प्यार हो गया और अपने प्रेम के कारणवश वह उन्हें नही मार पाई जब हिडिम्ब ने यह सब देखा तो उसे ये बात अच्छी नही लगी और उसने सोये हुए पांडवो पर हमला कर दिया यह देख भीम को बहुत क्रोध आया और उसने हिडिम्ब से युद आरम्भ कर दिया जिसमे हिडिम्ब मारा गया | हिडिम्ब के मारे जाने के बाद माता हिडिम्बा ने पांडव पुत्र भीम से शादी करने की इच्छा जाहिर की और अपने प्रण के बारे में भी बताया परन्तु भीम ने शादी करने से इंकार कर दिया परन्तु बाद में माता कुंती के कहेने पर भीम ने हिडिम्बा से शादी की और अपना प्रण पूरा किया था | बाद में भीम और माता हिडिम्बा का एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम घटोत्कच रखा गया था | लोककथाओ के मुताबिक जब पांडवो और कोरवो के बीच युद हुआ तब माता हिडिम्बा के कहने पर ही घटोत्कच ने अपने चाचा अर्जुन को कर्ण के बानो से बचाने के लिए अपनी जान दी थी | उसी समय से माता हिडिम्बा देवी को लोग माता के रूप में पूजने लग गये थे |
हिडिम्बा देवी मंदिर |
पांडव पुत्र भीम से विवाह के बाद हिडिम्बा बन गई थी मानवी
कहा जाता है की पांडव भीम से विवहा करने के बाद हिडिम्बा राक्षसी से मानवी बन गई और कालांतर में मानवी से देवी बन गई | माना जाता कहा जाता है की माता हिडिम्बा का मूल स्थान चाहे जहाँ का भी हो पर जहाँ पर उनका देविकर्ण हुआ वह स्थान मनाली है |
इसे जुड़ी एक और कहानी भी है
मनाली में माता को दुंगरी देवी भी कहा जाता है इसका मुख्य कारण यह है की माता का मंदिर मनाली में स्थित एक भव्य मंदिर है | मंदिर के भीतर एक प्राक्रतिक चट्टान है जिसके नीचे देवी का स्थान माना जाता है | चट्टान को स्थानीय भाषा में ढूग कहा जाता है माता हिडिम्बा को वह की ग्राम देवी के रूप में भी पूजा जाता है |
माना जाता है की जो भी सच्चे मन से माता के मंदिर में कोई भी मनन्त मांगता है माता उसकी सभी इछाए पूरी कर देती है |
मंदिर तक पहुचने का मार्ग
माता के मंदिर तक पहुचने के लिए तीनों मार्ग खुले है आप बस द्वारा ,ट्रेन द्वारा हवाई यात्रा द्वारा पहुँच सकते है | मनाली पहुचने के बाद आप आसानी से माता हिडिम्बा के दर्शन कर सकते है |
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जय माता दी
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