काँगड़ा देवी मंदिर

 नमस्कार दोस्तों,

                                    आज फिर में आपके पास एक नए ब्लॉग के साथ आई हुं | हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि है | यहाँ पर अनेक देवी  देवताओं के पवित्र स्थल है जिनके दर्शन करने के लिए लोग दूर दूर से आते है | आज में आपको एक ऐसे ही पवित्र स्थल के बारे में बताने जा रही हुं | जो हिमाचल के काँगड़ा जिले में स्थित माता काँगड़ा देवी के नाम जाना जाता है | असल मे ये मंदिर माता ब्रिजेस्वरी माता का है | ब्रिजेस्वरी माता का यह रूप माता दुर्गा का ही एक रूप है | ब्रिजेस्वरी माता को नगर कोट देवी के नाम से भी जाना जाता है |और यही कारण है की इस मंदिर को नगरकोट धाम भी कहा जाता है | 

                             ब्रिजेस्वरी माता का यह मंदिर 51 शाक्तिपिठो मे से एक है | यह मंदिर बहुत ही भव्य और सुंदर है | इस मंदिर में माता भगवान शिव के भैरव नाथ रूप के साथ विराजमान है | माना जाता है की यह माता का दाहिना वक्ष गिरा था |


काँगड़ा देवी मंदिर 


माता के उद्गम की कहानी 

                     कहानी कुछ इस तरह है की भगवान शिव की शादी माता सती से हुई थी माता सती  के पिता का नाम राजा दक्ष था वो भगवान शिव को अपने बराबर नहीं मानता था | एक बार महाराज दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ का आयोजन किया उन्होंने सभी देवी देवताओं की निमंत्रण भेजा किन्तु भगवान शिव और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा गया | यह देखकर माता सती को बहुत क्रोध आया और उन्होंने वह जाकर अपने पिता से इस अपमान का कारण  पूछने के लिए  उन्होंने शिव भगवान से वह जाने की आज्ञा  मांगी किन्तु भगवान शिव ने उन्हें वह जाने से मना की किन्तु माता सती के बार बार आग्रह करने पर शिव भगवान ने उन्हें जाने दिया | जब बिना बुलाए यज्ञ में पहुंची तो उनके पिता दक्ष ने उन्हें काफी बुरा भला कहा और साथ ही साथ भगवान शिव के लिए काफी बुरी भली बातें कही जिसे माता सती सहन नहीं कर पाई और उन्होंने उसी  यज्ञ की आग में कूद कर अपनी जान दे दी | यह देख कर भगवान  शिव को बहुत क्रोध आया और  उन्होंने माता सती  का जला हुआ शरीर  अग्नी कुंड से उठा कर चारों और तांडव करने लग गये जिस कारण सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया यह देख कर लोग भगवान विष्णु के पास भागे तब भगवान  विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े किये ये टुकड़े जहाँ जहाँ गिरे वह पर शक्ति पीठ बन गए | माना जाता है की यह माता का दाहिना वक्ष गिरा था |


प्रवेश द्वार


इस  मंदिर से जुड़ी कुछ कथाए और  मान्यताये है ।  

                   माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण महाभारत के समय पांडवों द्वारा कराया गया था | बताया जाता है की पांड्वो एक दिन माता ने स्वप्न में दर्शन दिए|  माता ने पांडवों को बताया की वह नगरकोट नामक स्थान पर स्थित है और यदि वो खुद को सुरक्षित रखना चाहते है तो उन्हें उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण करवाना चाहिए | अन्यथा उनका नाश हो जायेगा |उस के उपरांत पांड्वो ने इस मंदिर का निर्माण करवाया | किन्तु 1905 में यह मंदिर एक भयानक भूकंप में नष्ट हो गया था जिसके बाद सरकार द्वारा पुन इसका निर्माण करवाया गया | 

       ब्रिजेस्वरी माता का यह मंदिर कई बार लूटा गया है | 1009 में मुहमद गजनवी ने इस मंदिर को लुट कर नष्ट कर दिया था | उसके बाद 1337 में मुहमद बीन तुगलक ने इस मंदिर को लूटा और उसके बाद सिकंदर लोदी ने भी इस मंदिर पर आक्रमण कर इस मंदिर को लूटा था | और इस मंदिर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था | मन जाता है की उसके बाद अकबर का शासन आया और उसने इस मंदिर को दोबारा बनाने में सहयोग दिया |  किन्तु 1905 में यह मंदिर एक भयानक भूकंप में नष्ट हो गया था जिसके बाद सरकार द्वारा पुन इसका निर्माण करवाया गया | 

मंदिर माँ की पिंडिया 

          ब्रिगेस्वरी माता के इस मंदिर में माता पिंडियो के रूप में विराजमान है | यहा पर माता की तीन पिंडिया स्थापित है पहला रूप माता सरस्वती का माना जाता है दूसरा रूप माता महालक्ष्मी का माना जाता है और तीसरे रूप महाकाली के रूप में पूजा जाता है | मंदिर के गर्भ ग्रह में भी तीन पिंडिया स्थापित है पहली माँ ब्रिजेस्वरी की दूसरी माता भद्रकाली की और तीसरी सबसे छोटी पिंडी एकादशी की है | 

 मंदिर की सरचना 

       ब्रिजेस्वरी माता का मंदिर बहुत ही सुंदर और भव्य है | इस मंदिर की सरचना बहुत ही सुंदर ढंग से की हुई है | माता के मंदिर के उपर तीन गुबंद नुमा है जो मंदिर में मोजद तीन धर्मों का प्रतीक है पहला गुबंद हिन्दू धर्म का प्रतीक है दूसरा गुबंद सिख सम्प्रदाय का है और तीसरा मुस्लिम समाज का प्रतीक है | माता के इस मंदिर में केवल हिन्दू धर्म के लोग ही नही  अपितु अन्य धर्म के लोग भी माता के मंदिर में दर्शन करने के लिए भरी संख्या में आते है | 




भविष्य की घटनाओ के बारे में पहले ही जानकारी 

                इस मंदिर की सबसे खास बात यह है की माता भविष्य में होने वाली  घटनाओ के बारे में पहले ही आगह कर देती है | कहा जाता है की यहाँ आसपास अगर कोई बड़ी समस्या आने वाली हो तो मंदिर में स्थापित भैरव जी की  मूर्ति जो पांच हजार साल पुरानी है उस मूर्ति की आँखों से अपने आप ही आँसू गिरने शुरू हो जाते है | भैरव बाबा के मंदिर में किसी भी महिलाओ के जाने पर पूरी तरह से रोक है 

मुराद पूरी करने वाली माता 

                   इस मंदिर से जुड़ी भी बहुत सी मान्यताये है कहा जाता है की  इस मंदिर की यह मान्यता है की जो भी भगत यहाँ सच्चे मन से मुराद मांगता है माता उसकी हर मुराद पूरी करती है माता के भगतो का कहना  है की माता बहुत से चमत्कार करती है कई लोग जो बहुत दुखी होकर  माता के पास आते है माँ उनके सभी दुःख दूर कर देती है | यह भी माना जाता है की एकादशी के दिन चावलों का प्रयोग नही किया जाता पर इस मंदिर में माँ स्वयं एकादशी के रूप में विराजमान है | इसीलिए माता को प्रसाद के रूप में चावल ही चढाये जाते है |  

मंदिर तक पहुचने का मार्ग 

                                       माता के मंदिर तक पहुचने के लिए तीनों मार्ग खुले है आप बस द्वारा ,ट्रेन द्वारा हवाई यात्रा द्वारा पहुँच सकते है | 

             हमे उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताए ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधर के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए |

                                                                         जय माता दी 

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