बदला एक आत्मा का -2

  कहानी


वो पिंकी के कमरे मे आई और उसके आगे हाथ जोड़ कर प्राथना करने लगी कि वो भगवान के लिए अपना मुँह बंद रखे वरना उसकी बेटी जिसका नाम आशा था कि पूरी जिन्दगी बर्बाद हो जाएगी । पिंकी ने अपने माँ के हाथ पकड़ उन्हें गले लगा लिया और जोर जोर से रोने लगी आप बिल्कुल चिंता मत करो मे ये बात किसी को नहीं बातओगी मे आपको अपनी माँ मानती हो और आशा को मे अपनी बहन मानती हूँ और उसे बहुत प्यार करती हूँ आप चाहे मुझे पसंद नहीं करती पर मैंने हमेशा आपको अपनी माँ माना है यह सुनकर सुनीता जोर जोर से पिंकी के गले लग कर रोने लगी । आशा जो उन दोनों कि बातें सुन रही थी उसने उनकी पूरी बातें ना सुनते हुए अधूरी बात सूनी और अपने कमरे मे जाकर रोने लगी इतने मे ही सुरेश कमरे मे आया उसने आशा को रोते देख उसे पूछा तुम किस बात पर अपना गला फांड कर रो रही हो गलती तो तुम्हारी बहन ने कि है फिर तुम क्यों आशू बहा रही हो आशा ने आसु पुछ्ते हुए सुरेश कि आँखों मे देखते हुए पूछा कि क्या सच मे सारी गलती पिंकी कि है या कोई और भी गुनहगार है । सुरेश ने आंखे चुराते हुए कहा तुम्हारे कहने का मतलब क्या है आशा ने सुरेश को देख कर कहा कि तुम्हें विल्कुल शर्म नहीं आई मेरे पीछे उस बत्तमीज लड़की से ये सब करते हुए वो तो है हि बेशर्म पर तुम्हें तो शर्म आनी चाहिए थी तूमने मूझ से शादी कि है फिर उसके साथ क्यों ? सुरेश ने आशा को पीछे धकेलते हुए कहा मैंने पिंकी से बदला लेने के लिए तुमसे शादी कि मैंने शादी के लिऐ पिंकी को पसंद किया पर उसने मेरा मजाक उड़ाया और शादी से इंकार कर दिया इसलिए मैंने तुमसे शादी कि और उसे अपना बदला लिआ । ना मे तुमसे प्यार करता हूँ और ना तुमसे शादी करना चाहता था । यह कह कर सुरेश कमरे से चला गया । यह सुनकर आशा को बहुत घुसा आया वो पिंकी के पास गई और उसे थपड मारते हुए बोली तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आई अपनी बहन का घर बर्बाद करते हुए पिंकी उसे बताने लगी कि उसकी कोई गलती नहीं है पर आशा ने उसकी एक ना सूनी वो कमरे मे जाकर सोचने लगी कि



 मैं इन दोनों को छोड़ोगी नहीं वो रसोई मे जाकर हाथ मे चाकु लेकर पिंकी के कमरे कि और जाने लगती है कि उतने मे हि उसका पैर फिसल जाता है और वो सीडीओ से नीचे गिर जाती है और सर मे ज्यादा चोट लगने के कारण वही उसकी मौत हो जाती है । सब भाग कर आते है और उसे अस्पताल लेकर जाते है पर डॉक्टर उन्हें बताता है कि वह मर चुकी है सब रोने लग जाते है । घरवाले उसका सब कुछ करके घर आ जाते है । ऐसे हि कुछ महीने बीत जाता है सुनीता सुरेश को आखिरकार सब सच बताती है कि कैसे उसने सुरेश से पिंकी के बारे मे झूठ बोला था । सुरेश को अपनी गलती का एहसास होता है वो पिंकी से अपनी कि गई गलती के लिए माफ़ी मांगता है सुनीता भी पिंकी और अपने पति रमेश से और सुरेश से अपनी कि गई गलती कि माफ़ी मांगती है सब ठीक हो जाता है सुरेश पिंकी से शादी करने के लिए रमेश और सुनीता से उसका हाथ मांगता है । सब खुश हो जाते है कि अब सब ठीक हो जाएगा और अब सब मिलकर खुशी से रहेंगे । रात को सब मिलकर खाना खा कर शादी कि तैयारी कि बात करते है । कि इतने मे हि दरवाजे पर किसी कि आहट होती है रमेश कहता है इतनी रात को कौन आया होगा सुनीता दरवाजा खोलती है पर दरवाजे पर कोई नहीं होता उन्हें लगा शायद हमारा बहम होगा सब अपने अपने कमरे मे सोने के लिए चलें जाते है । जब सुरेश अपने कमरे मे सोया हुआ था तो उसे आशा कि आवाज़ सुनाई दी कैसे हो दूल्हे राजा मुझे मारकर खुद खुशियाँ मनाई जा रही है । सुरेश डर कर अचानक उठ जाता है और कमरे मे चारों और देखने लगता है पर उसे कोई दिखाई नहीं दिया उसने सोचा शायद ये उसका कोई बहम होगा । जैसे हि वह फिर से सोने कि कोशिश करने हि लगता है कि उसे अपने पास खडी आशा कि आत्मा दिखाई देती है । वो डर कर आचानक से खड़ा हो गया तुम तुम यहाँ तुम तो मर चूकी हो ना फिर तुम यहाँ कैसे आशा हसते हुए कहती है हां मे मर चुकी हूँ पर मेरी आत्मा नहीं मरी क्योंकि मुझे अभी तुमसे अपनी मौत का बदला लेना है । सुरेश उसे कहता है कि मैंने कुछ नहीं किया तुम मुझसे किस बात का बदला लेना चाहती हो आशा कहती है बदला अपनी मौत का सुरेश कहता है पर तुम्हारी मौत तो सीढ़ियों से गिरने के कारण हुई इसमें हमारी क्या गलती । गलती तुम्हारी है तुम्हारी और पिंकी कि वजह से हि मेरी जान गई मै तुम दोनो को मारने के लिए रसोई से चाकु लेने गई थी पर मेरा पैर फिसल गया और मै मर गई पर मेरी आत्मा नहीं मरी मुझे तब तक शांति नहीं मिलेगी जब तक मैं तुम दोनों को मार नहीं डालती । सुरेश उसे कहता है कि तुम चाहो तो मुझे मार डालो पर पिंकी को छोड़ दो उसकी कोई गलती नहीं है आशा हसते हुए कहती है तुम उसकी चिंता मत करो मे जल्द हि उसे भी तुम्हारे पास भेज दूंगी यह कह कर वो सुरेश को खिड़की से नीचे धक्का मार देती है जिसे सुरेश कि मौके पर ही मौत हो जाती है । सब आवाज सुनकर वहां आ जाते है सब हैरान हो जाते है कि यह सब कैसे हो गया पिंकी भी जोर जोर से रोने लगती है । ऐसे हि कुछ दिन बीत जाते है एक दिन जब पिंकी अपने कमरे मे बैठकर कुछ सोच रही होती है तभी उसे किसी के हसने कि आवाज आती है जब वह पीछे मुड़ कर देखती है तो आशा कि आत्मा वहां खड़ी हुई होती है । पिंकी उसे देखकर डर जाती है । और जोर जोर से चिरलाने लगती है उसकी आवाज़ सुनकर उसके माता पिता भी वहां आ जाते है ।आशा कि आत्मा को देख वो भी डर जाते है आशा अपने माँ बाप से कहती है कि आप दोनों हमें अकेले छोड़ दो मै इसे अपना बदला लुंगी इसकी वजहा से मेरा घर बर्बाद हुआ इसने मुझ से मेरा पति छिना मे मर गई इसलिए मे अब इसे भी मार कर अपना बदला लुंगी । रमेश और सुनिता उसे समझाते है कि इसमें पिंकी कि कोई गलती नहीं है। गलती हमारी थी सुनीता उसे पूरी सचाई बताती है पर आशा कि आत्मा कुछ भी सुने को तैयार नहीं थी । वो पिंकी को हवा मे उडा कर उसे नीचे फेंक रही थी सुनीता और रमेश जोर जोर से भगवान को पुकार रहे थे कि कोई उनकी मदद करें इतने मे हि आशा कि आत्मा पिंकी को खिड़की से बाहर फेकने लगती है इतने मे हि सुरेश कि आत्मा वहा आ जाती है । और पिंकी को पकड़ लेता है । और उसे बचा लेता है ये देख कर आशा कि आत्मा को और भी घुसा आ जाता है  वह जोर जोर से पिंकी के ऊपर हमला करने लगती है पर सुरेश कि आत्मा उसे बचा लेती है । अखिरकार वो हार जाती है और रोने लगती है सुरेश उसके पास आता है और उसे कहता है कि सुनो आशा पिंकी कि इसमें कोई गलती नहीं है वो और सुनीता उसे पूरी बात बताते है सुरेश उसे कहता है कि मेरी गलती थी और मुझे मेरी गलती कि सजा मिल गई ये सब सुनकर आशा रोने लगी और पिंकी से माफ़ी मांगने लगी । और आखिरकार आत्मा का बदला पूरा हो गया आशा ने सब से माफ़ी मांगी और अखिरकार उसकी आत्मा को शांति मिल गई सुरेश भी अपने कि गई गलतियो कि माफ़ी माँग कर आशा के साथ गायब हो गया उसके बाद वो कभी दिखाई नहीं दिए और कुछ समय बाद पिंकी ने दो जुडवां बच्चो को जन्म दिया एक बेटा और एक बेटी और सब ख़ुशी खुशी रहने लग गए ।


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