आज फिर में एक नए ब्लॉक के साथ आपके पास आई हूं । सभी जानते हैं कि हिमाचल एक बहुत सुंदर राज्य है। इसके चारों और सुंदर ऊंचे ऊंचे पर्वत है । चारों और बहती कल कल करती नदिया बहुत सुंदर है। ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से गिरते हुए झरनें इसकी सुंदरता मे चाँद चाँद लगा देते है । यहां पर स्थापित मंदिर और उनकी चित्रकला को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। आज मैं आपको एक ऐसे ही सुंदर मंदिर के बारे में बताने जा रही हूं। यहाँ मंदिर हिमाचल के 12 जिलों मे से एक कुल्लू जिले मे स्थित है । यहाँ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है । यहाँ मंदिर 18000 फिट कि उंचाई पर स्थित है इस मंदिर को सभी श्रीखंड महादेव के नाम से जानते है । यहाँ एक पहाड़ कि सबसे ऊंची चोटी पर स्थित महादेव शिव का मंदिर है ।
श्री खंड महादेव |
श्री खंड महादेव मंदिर से जुड़ी कहानी
इस मंदिर से जुड़ी कहानी बहुत ही रोचक है । कहा जाता है कि एक राक्षस था जिसका नाम भस्मासुर था वह शिव का बहुत बड़ा भगत था एक बार उस राक्षस ने बहुत घोर तपस्या कि और शिव भगवान से वरदान माँगा कि वह जिसके सर पर भी अपना हाथ रखे वह उसी समय भस्म हो जाए भगवान शिव ने उसे उसका मन चाहा वरदान दे दिया । कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां उस राक्षस ने गौर तपस्या कर शिव से वरदान प्राप्त किया था ।
कहते है कि वरदान प्राप्त करने के बाद उस असुर को अपने ऊपर बहुत अहंकार हो गया उसने सोचा कि भगवान शिव ने जो यह वरदान मुझे दिया है उसे देखने के लिए क्यों ना मे इसका प्रयोग भगवान शिव पर कर के देखो । यह सोच कर वह भगवान शिव के पीछे दौड़ा । भगवान शिव को अपने प्राण बचाने कर लिए इसी पहाड़ कि गुफाओं मे छिपना पड़ा । परन्तु बाद मे उनकी जान बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर उस असुर को उसी के दिए वरदान से भस्म कर दिया । कहते है कि यह सब देख माता पार्वती कि आँखों से आंसू झलक पड़े कहते है कि उनकी आँखों से गिरे उन अश्रुओं से यहाँ एक झील का निर्माण हुआ जिसे नयना सरोवर के नाम से जाना जाता है । कहा जाता है कि जो भी भगत श्री खंड महादेव के दर्शन करने यहाँ जाता है वह इस सरोवर मे जाना नहीं भूलता ।
झील |
इस मंदिर से जुड़ी एक और कहानी भी है ।
माना जाता है कि जब पांडवो को जुए मे हारने के कारण 13 वर्ष का वनवास मिला था तब उन्होंने अपने वनवास का कुछ समय इसी जगह बिताया था । कहा जाता है कि जिस समय वह अपने वनवास कर दौरान इस स्थान पर रह रहे थे उस समय यहाँ के जंगलों मे एक बहुत हि भयानक राक्षस रहा करता था वह उन सभी लोगों को अपना भोजन बना लेता था जो भगवान के इस मंदिर के दर्शन के लिए आता था । कहा जाता है कि उस राक्षस का वध भीम ने किया था और आज भी उस राक्षस का लाला रक्त जिस जिस स्थान पर गिरा था वह आज भी उस धरती का रंग लाल ही है ।
कई लोगों का यह भी कहना है कि यहाँ आज भी कई चमत्कारी जड़ी बूटियां पाई जाती है जो रात के समय चमकती है । कई लोग यहाँ भी दावा करते है कि इसमें से कई बूटियां संजीवन बूटी भी है ।
जब आप इस स्थान पर आते है तो उस दौरान रास्ते मे एक बड़ा बागीचा भी इस रास्ते मे आता है । जिसे पार्वती बाग़ के नाम से जाना जाता है । कहा जाता है कि इस बाग़ मे बहुत हि रंग बिरंगे सूंदर फूल खिलते है जो इस बाग़ के इलावा और कहीं पाये नहीं जाते ।
मंदिर तक पहुंचने का मार्ग
इस मंदिर तक पंहुचना आसान नहीं है । यहाँ पहुंचने के लिए पहले आपको शिमला जिले के रामपुर होते हुए कुल्लू जिले के निरमंड होकर बागिपुल और जाओ तक बस या गाड़ी द्वारा पहुचना होगा और यहाँ से आगे 25 किलोमीटर कि पैदल यात्रा करनी पड़ेगी जो एक दम खड़ी चोटी है । जो कि खुद अपने आप मे किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं है । यही कारण है कि इस यात्रा को बहुत दुर्गम माना जाता है । यह यात्रा इतनी कठिन है कि इस यात्रा पर कई लोगों कि मृत्यु तक आधे रास्ते मे हो चुकी है माना जाता है कि जो कोई सही सलामत इस मंदिर के दर्शन कर पाता है उसे जीते जी मोक्ष कि प्राप्ति हो जाती है ।
श्री खंड महादेव पहुंचने जी रास्ते मे कई और पावन स्थल और मंदिर है । जिसमें माता पार्वती , श्री गणेश । कार्तिक भगवान आदि कि प्रतिमाये शामिल है ।
मान्यता
इस मंदिर कि मान्यता है कि जो भी सच्चे दिल से बाबा के इस मंदिर मे आता है भगवान उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है । भगवान शिव अपने भगतो के सभी कष्ट हर लेते है । और अपने भगतो के जीवन मे खुशीयों कि वर्षा कर देते है ।
जय शिव महादेव
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