नमस्कार दोस्तों,
आज मे फिर आपके पास एक नए ब्लॉग के साथ आई हूँ । आज मे आपको जिस मंदिर के बारे मे बताने जा रही हूँ यह मंदिर हरियाणा के पंचकुला नामक स्थान पर स्थापित है । यह मंदिर माता मनसा देवी को समर्पित है । यह मंदिर उत्तरी भारत मे स्थित प्रमुख मंदिरो मे से एक है । यह मंदिर 100 एकड़ मे फैला एक विशाल मंदिर है । यह बहुत ही सूंदर और एकांत वातावरण वाला स्थान है ।
मंदिर का इतिहास
माना जाता है कि मनसा माता का इतिहास लगभग 200 साल पुराना है । मनसा देवी मंदिर कि स्थापना मणि मांजरा के राजा गोपाल सिंह द्वारा 1811 इसवी मे शुरू किया था । इस मंदिर को पूरा होने मे पूरे 4 साल लग गए और 1815 इसवी मे यह मंदिर तैयार हो गया ।
माता के उद्गम की कहानी
माता मनसा देवी माता सती का हि रूप है । माता सती का यह मंदिर 51 शक्ति पीठ मे से एक है । कहा जाता है कि कहानी कुछ इस तरह है की भगवान शिव की शादी माता सती से हुई थी माता सती के पिता का नाम राजा दक्ष था वो भगवान शिव को अपने बराबर नहीं मानता था | एक बार महाराज दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ का आयोजन किया उन्होंने सभी देवी देवताओं की निमंत्रण भेजा किन्तु भगवान शिव और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा गया | यह देखकर माता सती को बहुत क्रोध आया और उन्होंने वह जाकर अपने पिता से इस अपमान का कारण पूछने के लिए उन्होंने शिव भगवान से वह जाने की आज्ञा मांगी किन्तु भगवान शिव ने उन्हें वह जाने से मना की किन्तु माता सती के बार बार आग्रह करने पर शिव भगवान ने उन्हें जाने दिया | जब बिना बुलाए यज्ञ में पहुंची तो उनके पिता दक्ष ने उन्हें काफी बुरा भला कहा और साथ ही साथ भगवान शिव के लिए काफी बुरी भली बातें कही जिसे माता सती सहन नहीं कर पाई और उन्होंने उसी यज्ञ की आग में कूद कर अपनी जान दे दी | यह देख कर भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने माता सती का जला हुआ शरीर अग्नी कुंड से उठा कर चारों और तांडव करने लग गये जिस कारण सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया यह देख कर लोग भगवान विष्णु के पास भागे तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े किये ये टुकड़े जहाँ जहाँ गिरे वह पर शक्ति पीठ बन गए | माना जाता है की यह माता का मस्तक गिरा था जिस कारण माता का नाम मनसा माता पड़ा ।
मंदिर का निर्माण
मनसा माता के मंदिर का निर्माण मणि माजरा के राजा गोपाल सिंह ने करवाया था । यहाँ मन्दिर लगभग 200 साल पुराना है । मनसा देवी मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो यह मंदिर मुख्य रूप से दीवारों और छत पर पुष्प डिजाइनों के अलावा, दीवार चित्रों के मुख्य मंदिर के साथ बनाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में, लक्ष्मी और सरस्वती के साथ मुख्य देवता मनसा देवी की पूजा की जाती है। उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध शक्ति मंदिरों में से यह एक है। हर साल लांखो कि संख्या मे भगत माता के मंदिर के दर्शन करने आते है ।
मन्दिर से जुड़ी मान्यता
कहा जाता है कि यदि कोई भी 40 दिन तक माता कि पूजा अर्चना सच्चे मन से करें तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होगी ।
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1 टिप्पणियाँ
Very nice Jai mata di
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