ड्रीम टैम्पल चायल

 नमस्कार दोस्तों, 

                            आज मे फिर एक बार आपके पास नए ब्लॉग के साथ आई हूँ । सभी जानते है कि हिमाचल प्रदेश एक बहुत हि सूंदर राज्य है इसकी चारों और केवल सुंदरता ही सुंदरता फैली हुई है । ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने चारों और अपनी सुंदरता कि चादर फैला रखी हो । परन्तु कई बार कुछ इंसान इस प्रकृति मे अपना सहयोग देकर इसमें चाँद चाँद लगा देते है । आज मे आपको ऐसी ही एक जगह और ऐसे हि इंसान के बारे मे बताने जा रही हूँ । जिसने अपनी महेनत से एक सुनसान पड़ी जमीन को स्वर्ग सा सूंदर बना रखा है ।  आज मे आपको ऐसी हि जगह के बारे मे बताने जा रही हूँ । जिसे सब चायल के ड्रीम टेम्पल या शिव कुम्भ मन्दिर के नाम से जानते है|


ड्रीम टेम्पल


ड्रीम टेम्पल कि हिस्ट्री 

                               एक सपने से प्रेरित होकर, 64 वर्षीय सत्य भूषण नाम के व्याक्ति ने 38 वर्षों में शिव मंदिर का निर्माण किया । उन्होंने 1980 में अपनी पुश्तैनी संपत्ति पर इस मंदिर का निर्माण करना शुरू किया था और उस मंदिर को "मेरे सपने में मंदिर" का नाम दिया । मंदिर का निर्माण पिछले 38 वर्षों में 64 वर्षीय सत्य भूषण द्वारा अकेले, थोड़ा-थोड़ा करके किया जा रहा है । भूषण के मुताबिक उन्होंने सपने में शिव मंदिर देखकर 1980 में अपनी पुश्तैनी जायदाद पर यह मंदिर बनाना शुरू किया था। मंदिर को "मेरे सपने में मंदिर" भी कहा जाता है

मंदिर कि बनवाट

                     इस मंदिर का निर्माण केवल सीमेंट और धातु के तारों से बना होने के कारण यह मंदिर रंगहीन है। चाहे वह शिव कि सीमेंट से बनी हुई मूर्ति हों या फिर उनके शरीर को घेरने वाले सांप हों या यहां तक ​​कि गेंदे के आकर मे बने फूल या आप उसे रुद्राक्ष कि माला भी कह सकते है जो बहुत हि सूंदर दिखते है मंदिर को एक सजावटी स्पर्श देते थे, सब कुछ ग्रे सीमेंट से बना है। मंदिर में एक भूमिगत गुफा भी है।

सत्य भूषण जी द्वारा दिए गए एक इंटरव्यूह

                     उनके द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू मे उन्होंने बताया कि मैंने 1980 में एक मंदिर का सपना देखा था और उसके बाद से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैंने अपने स्कूल के दिनों में ही मिट्टी की मूर्तियां और लकड़ी की नक्काशी बनाना सीख लिया था, और वास्तव में, मेरे सहपाठियों ने स्कूल में कला का अध्ययन करने के लिए उनका मजाक उड़ाया था। मेरे सपने ने मुझे एक मंच दिया और मुझे यह मंदिर बनाने के लिए प्रेरित किया। शुरुआत में इसकी जानकारी स्थानीय लोगों को ही थी। वे यहां आए और चंदा दिया। अब तक, इसके निर्माण पर लगभग 15 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जो अभी भी प्रक्रिया में है, ”भूषण कहते हैं, उसी जमीन की 1980 में ली गई एक तस्वीर को पकड़े हुए, जहां अब मंदिर है। मैने  खुद मंदिर के लिए कुछ पैसे लगाए और बाकी भक्तों ने मंदिर में दर्शन किए। जब भी मैं अपनी खिड़की से किसी को मंदिर की ओर आते देखता हूं, तो मैं दौड़ता हूं और बिजली चालू करता हूं। यह शिव की मूर्ति के नीचे फव्वारे की तरह पानी का झरना बनाता है और एक संगीत प्रणाली पर भजन बजता है जिसे मैंने स्थापित किया है, ”भूषण कहते हैं, यह केवल बिजली कनेक्शन के लिए था कि उन्होंने एक स्थानीय की मदद मांगी।

मन्दिर तक पहुंचने का मार्ग 

                               आप इस मंदिर तक बस से अपनी गाड़ी से पहुँच सकते है । आप सोलन से चायल पहुँच कर चायल से कुफरी कि और जब जाएंगे तो चायल से 3 किलोमीटर आगे जनेगडा नाम कि जगह से एक मोड़ आगे आकर आपके बाई साइड कि और से एक मार्ग ऊपर कि और आएगा बस वही से 1 किलोमीटर कि ऊंची चढ़ाइ चढ़ कर आप मंदिर तक पहुँच सकते हैं आप कि गाड़ी मंदिर तक जा सकती जा सकती है ।

                    हमे उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताए ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधार के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए |

                                        



     



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