हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं कि भूमि है और यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश का दुसरा नाम देवभूमि भी है यहाँ के प्रतेक राज्य में कोई ना कोई पावन स्थल ज़रूर स्थापित है । ऐसा ही एक पावन स्थल हिमाचल प्रदेश कि एक छोटी सी नगरी कसौली स्थान पर स्थापित है । यह स्थान कसौली से 3 किलोमीटर कि दुरी पर स्थित है । यहां मंदिर बाबा बालकनाथ जी को समर्पित है
बाबा बालक नाथ मंदिर मंदिर गड़खल |
बाबा बालकनाथ जी कौन थे ।
बाबा बालकनाथ के जन्म को लेकर काफी कहानियाँ प्रचलित है | परन्तु ऐसा माना जाता है की बाबा बालकनाथ जी का जन्म लगभग 700 साल पहले 2 जून को गुजरात के एक गाँव में त्रयोदसी को हुआ था | उनका बचपन का नाम देव था उनकी माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम वैष्णो था | बचपन से ही बाबा जी का ध्यान पूरी तरह से आध्यात्मिकता में ही लीन था | यह देखकर उनके माता पिता को उनकी बहुत चिंता होती थी | यह सब देखकर उनके माता पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय किया परन्तु बाबा जी को उनकी ये बात ठीक नही लगी और उन्होंने अपना घर छोड़ कर परम सिद्धि प्राप्त करने का निश्चय किया | यही सोच कर वो घर से निकल गये चलते चलते वह जूनागढ़ की पहाड़ी गिरनार में स्वामी दतात्रेय से मिले और वही पर उन्होंने स्वामी दतात्रेय से सिद्धि की बुनियादी शिक्षा ग्रहण करी और सिद्ध बाबा बने और वही से बाबा जी को बाबा बालकनाथ जी के नाम से जाना जाने लगा |
मान्यताएं
इस मंदिर कि बहुत मान्यता है । माना जाता है कि जो कोई भी सच्चे मन से आकर भगवान के चरणों मे अपना शीश झुकता है भगवान उसकी सभी इच्छाएं पूरी करते है इस मंदिर को लेकर एक और सबसे बड़ी मान्यता यह है कि जो कोई भी जिसके कोई संतान नहीं होती यहाँ पर उन लोगों कि झोली भरी जाती है । भगवान के आशीर्वाद से उन्हें माता पिता बनने का सुख प्राप्त होता है।
मंदिर का निर्माण
यह मंदिर बहुत ही सुन्दर है यह एक ऊंची चोटी पर स्थित है । इस मंदिर में हर रविवार को भगतो का ताँता लगना शुरू हो जाता है । लोग बहुत दूर दूर से बाबा जी के दर्शन करने के लिए आते है । नवरात्रों में भी यहाँ बहुत ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है हर साल अष्टमी नवरात्रे को मंदिर मे बहुत बड़ा भंडारा आयोजित किया जाता है । मेले लगाए जाते है । बांबा जी के भजन से सारे भगत खुशी से नाच उठते है ।
मंदिर का मुख्य द्वार |
कहा जाता है की बाबा जी का जन्म हर युग में हुआ है चाहे वह द्वापर युग हो त्रेता युग या द्वापर युग हो हर एक युग में उनके अलग अलग नाम हुए है परन्तु अपने हर अवतार में उन्होंने गरीबो की सहायता करके उनके दुःख दर्द को दूर किया हर एक जन्म ने उन्होंने शिव की भक्ति की और उनके बड़े भगत कहलाये।
मंदिर तक पहूँचने का मार्ग
आप मंदिर मे किसी भी तरह से आसानी से पहुँच सकते है । कसौली से 3 किलोमीटर सोलन कि और है । आप यहां बस से गाड़ी से किसी भी तरह से पहुच सकते है ।
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