हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं का स्थल है । यहां पर स्थित कई चमत्कारी मंदिर है जिनके बारे मे बहुत कम लोग जानते है । आज मे आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे मे बताने जा रही हूँ जहाँ आज भी चमत्कार होते है । यह मंदिर हिमाचल कि गोद मे बसे सूंदर सा शहर अर्की मे स्थित है यह मंदिर शिव भगवान को समर्पित है शिव भगवान के अनेको रूप हैं । यह शिव अपने लुटरु रूप मे विराजमान है ।
मन्दिर का इतिहास
माना जाता है कि इस स्थान पर सतयुग मे अगस्त्य मुनि ने घोर तपस्या कि थी और उन्हीं के नाम के ऊपर हि इस शहर का नाम अर्की पड़ा था उन्हीं कि तपस्या के फल स्वरूप भगवान शिव शिवलिंग के रूप मे यहां प्रकट हुए । इस मंदिर का निर्माण बाघल रियासत के राजा ने 1621 इसवी मे किया था । माना जाता है कि एक दिन राजा के स्वप्न मे भोलेनाथ के आने पर राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था इस मंदिर कि लम्बाई 61 फीट है और चौडाई 31 फीट है । यह मंदिर विशाल गुफा में बना है जिसकी लंबाई लगभग 61 फीट और चौड़ाई 31 फीट है। इस गुफा के भीतर स्वयंभू शिवलिंग बना है। शिव लिंग पर शिव की लटाएं हैं। दाहिनी ओर गुफा के ठीक ऊपर करीब 5 मीटर के गोलाकार का छेद बना है जहां से सूर्य की किरणें आती हैं शिवलिंग पर भी पड़ती हैं।
लुटरू महादेव मंदिर |
इस मन्दिर से जुडी एक और मान्यता है ।
मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि अनादिकाल में जब शिव पार्वती विवाह हुआ तो सभी देवता शादी में शामिल होने के लिए कैलाश की ओर चल पड़े। सभी देवताओं के एक तरफ आने से धरती का संतुलन बिगड़ने लगा। ऐसे में भगवान शिव ने लुटरू महादेव की गुफा में तपस्या कर रहे अगस्तय ऋषि को आदेश दिया कि वह दक्षिण की ओर चले जाएं ताकि धरती का संतुलन बना रहे। लुटरू महादेव मंदिर में बनी गुफाएं भी अद्भुत हैं।
इस मंदिर मे होते हैं कई चमत्कार
माना जाता है कि इस शिवलिंग पर बनी जाटाऐ भगवान शिव की लटाएं हैं। जिसमें से पुराने समय मे दुध बहा करता था । परन्तु एक दिन एक गडरिए ने यह चमत्कार देखा उसे उन लटाओ को छूएं बिना रहा नहीं गया और उसने उन्हें छू दिया उस दिन के बाद उन लटाओ से दूध कि जगह पानी निकलना शुरू हो गया ।
भगवान शिव को आज भी चढ़ाई जाती है भाँग से भरी सिगरेट
आज भी भगवान शिव को भगत भाँग से भरी सिगरेट चढ़ाते हैं । इस मंदिर मे भगवान को फल फूल दूध तो अर्पण करते ही है पर साथ साथ एक छेद मे भगवान शिव के लिए भाँग से भरी सिगरेट भी जला कर रखते है कहा जाता है कि यह सिगरेट देखते देखते अपने आप खत्म हो जाती है। माना जाता है कि यदि शिव भगवान को यह सिगरेट अर्पण नहीं कि जाए तो वह नाराज हो जाते है और आस पास कोई ना कोई अनहोनी घटनाएं शुरू हो जाती है।
सकरान्त के दिन होता है चमत्कार
इस मंदिर में आज भी होते है चमत्कार कहा जाता हैं कि सकरान्त वाले दिन इस मंदिर मे सुबह के समय अपने आप चारों और गूंजती है ओम नाम कि ध्वनि और उसी दिन के खास मौके पर दूध की धारा बहती है। इस चमत्कार को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इसी दिन भगवान शिव के मंदिर से थोड़ी दूरी पर बने शक्नी नामक शिव स्थान पर बने जलाशय में कोयले और राख पानी में घुले हुए दिखाई देते हैं। यह कहां से आते कोई नहीं जानता ।
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