भरमौर मन्दिर एक ऐसा मन्दिर् जहां मोत के बाद तो आना पडेगा

                          सब जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश अपनी खूबसूरती के लिए  जाना जाता  है हर साल लाखो की संख्या में लोग हिमाचल प्रदेश घूमने आते है अपनी खूबसूरती के साथ साथ लोगो को यह जगह अपनी सूंदर जगहो और यहां पर स्थित प्राचीन मंदिरो की और आकर्षित करती है शायद ही हिमचाल प्रदेश में कोई ऐसी जगह होगी जहा कोई ना कोई प्राचीन मंदिर स्थापित ना हो हिमचाल का दूसरा नाम ही देव भूमि है यही  कारण है की हिमचाल प्रदेश को देवी देवताओ का गड भी कहा जाता है और यह कहना गलत भी नहीं होगा क्योकि हिमचाल प्रदेश में सबसे प्राचीन मंदिर स्थित है यहां पर स्थित हर मंदिर की अपनी खूबसूरती और अपनी एक रोचक कहानी हैं आज में आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रही हु जो बहुत प्राचीन तो हैं ही पर उसे भी रोचक इस मंदिर की कहानी हैं 


भरमौर मन्दिर 


                       सब जानते हैं की हिमचाल में लाखो देवी देवताओ के हज़ारो मंदिर हैं पर आज जिस मंदिर के बारे में आज में आपको बताने जा रही हो वो मंदिर पुरे  देश में एक अकेला मन्दिर हैं यहां मन्दिर मृत्यो के देवता कहे जाने वाले यमराज का मन्दिर  हैं 

                    यहां मन्दिर भरमौर में चौरासी मन्दिर के नाम से जाना जाता हैं सबने कभी ना कभी अपने बुजुर्गो से यह कहानी अवश्य सुनी होगी की मरने के बाद हमारी आत्मा यमराज के दरबार में जाती हैं जहा हमारे किये गए कर्मो के फल स्वरूप हमे स्वर्ग या नर्क में भेजा  जाता हैं और उस बात का निर्णय यमराज जी करते हैं यहां मन्दिर उन्ही को समर्पित हैं 

मन्दिर का निर्माण 

                     यहा मन्दिर हिमचाल प्रदेश के चम्बा जिले के भरमौर नमक स्थान पर स्थित हैं माना जाता हैं की यहां मन्दिर लगभग 1400 साल पुराना हैं कहा जाता हैं की यहां मन्दिर एक बड़े शिवलिंग पर स्थित हैं  जिसमे चैरासी कमरे बने हुए हैं इसी कारण इसे चौरासी  मन्दिर के नाम से जाना जाता हैं




               माना जाता हैं की इस मन्दिर का निर्माण भरमौर के राजा साहिल वर्मन ने 84 सिदको के नाम पर करवाया था ये सब सिद पुरुष  कुरुक्षेत्र से आये थे ये सब कैलाश की और भगवन शिव के दर्शन के लिए जा रहे थे 

मन्दिर से जुडी रोचक कहानी 

                 कहा जाता हैं की इन 84 कमरों में से एक कमरा चित्रगुप्त का हैं जो महाराजा  यमराज के सचिव हैं माना जाता हैं की हर इंसान के जन्म से  मृत्यु तक का सारा लेखा जोखा  चित्रगुप्त के पास ही होता हैं उन्ही के लिखे गए लेख के अनुसार यमराज जी यहां फैसला करते हैं की मरने के बाद इंसान की आत्मा  स्वर्ग में जाएगी या नर्क में कहा जाता हैं की यहां सब चित्रगुप्त के देखने के बाद उन्ही के कमरे के ठीक सामने यमराज  की कचरी का एक कमरा हैं जिसे यमराज की कचहरी के नाम से जाना जाता हैं कहा जाता हैं की इस मन्दिर में चार दरवाज़े स्थित हैं जो एक सोना  एक चाँदी  एक लोहे और एक ताम्बे का हैं किन्तु इन दरवाज़ों को aam इंसान नहीं देख सकता इन्हे केवल आत्माएं ही देख सकती है 




मन्दिर से जुडी मान्यता 

इस मन्दिर से जुडी यहां मान्यता हैं की पताल लोक में विराज मान भगवान शिव शिवरात्रि के दौरान अपने  कैलाश की और  प्रस्थान करते हुए विश्राम करने के लिए इसी मन्दिर में रुकते हैं उस दिन का इस  मन्दिर में खास महत्व हैं उस दिन सरधालु दूर दूर से इस मन्दिर में आते हैं पूरी रात भजन होते हैं आरतिया गाई जाती हैं पूरा भरमौर भगवान के भजनो और घंटियों से गूंज उठता हैं 

इस मन्दिर से जुडी एक और मान्यता हैं 

                   कहाँ जाता हैं की जीते जी इस मन्दिर में जरूर आना चाहिए माना जाता हैं की जीते जी जो नहीं आता मरने के बाद तो इस मन्दिर में आना ही पड़ता हैं 

                         हमे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधार के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए |

                                                                                                                        धन्यवाद 

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