Hindu marriage act section 13 B

नमस्कार दोस्तों ,

                आज से मैं अपने ब्लॉग में एक नया पेज जोड़ रही हु जिसमे में आपको भारतीय कानून से जुडी जानकरी दूंगी। अक्सर जब में कोर्ट जाती हूं तो मैंने देखा है की लोग कोर्ट में जाने से बहुत डरते हैं कानून की पूरी जानकारी ना होने के कारणों से कोर्ट नहीं जाते और सरकार द्वारा बनाए गए न्यायिक व्यावस्थ का लाभ नहीं उठाते ।





                      आज कल जो सबसे बड़ी समस्या हमारे समाज में है तलाक। लोग पूरी जानकारी ना होने के कारण या तो अनचाहें रिश्ते मे फंसे रहते हैं या कोइ ना कोई ग़लती कर देते है । आज मैं उन लोगों के लिए Hindu marriage act 1955 का sec 13 B के बारे मे जानकारी दुगी अगर आप भी किसी केस या कोर्ट के किसी सेक्शन को लेकर कोई जानकारी चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में अपने सवाल पुछ सकते है । आज में जिस section की जानकारी देने वाली हूं वो हिंदू मैरिज एक्ट कि धारा 13 B है ।



आखिर section13 B है क्या ? आप कैसे तलाक फाइल कर सकतें हैं इसकी क्या प्रक्रिया है इसमे कोन से दस्तावेज होने जरुरी है?


                        धारा 13 B - इस 13 B हिंदू विवाह अधिनियम का अर्थ है आपसी सहमति से तलाक । इसमे दोनो पार्टी का मतलब है पति और पत्नी आपसी सहमती से कोर्ट में तलाक का केस दर्ज कर सकते हैं । पर court में केस दर्ज करने से पहले आपको कुछ जरुरी बातो का ध्यान रखना जरुरी है ।








आपसी सहमति से तलाक लेने की शर्तें

1) तलाक लेना के लिए कम से कम 1 साल या ज्यादा समय से पति या पत्नी अलग रह रहे हो यानी वो दोनो एक छत के नीचे नहीं रहते हैं उनमे आपस में पति पत्नी जैसा कोई रिश्ता नहीं हो।
 2) दोनो आपसी सहमती से तलाक ले रहे हो। किसी की कोई जोर जबर्दस्ती ना हो । 

 Court में केस file करने कि प्रक्रिया

1)  सबसे पहले किसी वकिल द्वारा divorce कि petition तैयार होगी उसके बाद उस petition पर दोनों partiyo के हस्ताक्षर होगे और फिर case court मे file हो जाएगा ।
2) court मे case file होने के बाद judge के द्वारा एक date दी जाएगी । उस date पर दोनो पक्षो को judge के सामने पेश होना होता है ।
3) judge के सामने दोनो पक्षो के बायान दर्ज होगे । और divorce लेने की वजहा भी दर्ज होगी ।
4) इसी बायान मे बच्चों और सम्पत्ति को लेकर भी बायान दर्ज होते हैं ।
5) दोनो पक्षो की बात सुनकर judge साहब उन्हे 6 महिनें का समय पुन विचार करने के लिए देते है ।
6) अगर उस समय के बीच में दोनों पक्षो कि आपस में सुलहा हो जाती है तो वो एक अर्जी दे कर उस case को खारीज करा सकते है ।
7) अगर आपसी सलाह ना हो पाए तो 6 महीने के बाद दी गई तारीख पर judge के सामने पेश हो जाए ।
8) divorce decree होने के बाद कम से कम 1 महीने के wait करने के बाद ही दूसरी शादी कर सकते है ।
9) अब इस कानून मे एक नया amendment के अनुसार आप 6 महीने से पहले एक aplication दे कर उस समय को कम करा सकते हैं और अगर judge साहब को सब ठीक लगे तो वो divorce decree पास कर सकते हैं ।




जरुरी दस्तावेज


1) दोनों पक्षो के affidavit जो उनके द्वारा हस्ताक्षर होने चाहिए ।
2) दोनो की एक साथ photo जो विवाह के समय ली गई हो ।
3 ) दोनो का id proof होना चाहिए ।
4) दोनो का residence proof होना चाहिए।

                 दोस्तों इसी के साथ मै अपने लेख को समाप्त करती हु मै आशा करती हु कि आपको मेरा लेख पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा । Section 13B in The Hindu Marriage Act, 1955 की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी । कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश की हैं।

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