देवी मां भंगायणी

                       हिमाचल प्रदेश का हर स्थान बहुत ही सुन्दर और पुजनीय हैं । यहां पर साल के बारहा महीने सैलानियों का तान्ता लगा रहता है । हर साल बहुत से लोग हिमाचल सिर्फ यहां पर बने सुन्दर और आकर्षक मंदिरो के दर्शन करने के लिए आतें हैं । हिमाचल प्रदेश के हर जिले मे कोइ न कोइ मन्दिर है जिसकी अपनी सुन्दरता और अपनी एक कहानी है । यहा पर आने वाले सभी लोगों का यही कहना है की यहा पर आकर उन्हे एक अद्भुत सी शांति का एहसास होता है । आज में आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे मे बताने जा रही हूँ । जहां लोग सिर्फ अपनी मनोकामना पूर्ण करने ही नही जाते अपितु न्याय मागने भी जाते है । 


देवी मां भंगायणी हरीपुर धार


                    जी हा न्याय मांगने सुने मे आपकों अजीब लग रहा होगा कि न्याय मांगने तो लोग कोर्ट में जाते है तो फिर इस मंदिर में उन्हे कैसे न्याय मिलेगा ये बात हैरान करने वाली तो है परन्तु बिलकुल सत्य है । देवी मां भंगायणी को सब न्याय की देवी के नाम से भी जानते है । माता को अन्य नामो से भी पुकारा जाता है। कोइ इन्हे माता दुर्गा का रूप कहता है कोइ सिरमोरी माता के नाम से तो कोइ धारा वाली माता के नाम से माता के अनेको नाम है

मन्दिर का निर्माण

                          माना जाता है। कि एक बार गांव के ग्वाले खेलते हुए एक ऊची चोटी पर गए वहां जाकर उन्होंने एक नुकिला पत्थर देखा वह उस पत्थर से खेलने लग गए उन्होंने पत्थर का नुकीला हिसा ज़मीन मे दबा दिया और उससे खेलने लग गए  वह जितना उस पत्थर को जमीन मे दबाते वह थोड़ी देर में फिर बहार निकल आता यह देख ग्वाले डर गए उन्होंने उस पत्थर को चोटी से नीचे फेंक दिया । परन्तु अगले दिन वह पत्थर दुबारा उसी चोटी पर वापस आ गया ये देख गवालो ने सारी बात गांव वालो को बताइ गांव वालो ने सारी बातें एक पुरोहित को बताइ उन्होंने गांव वालो को बताया कि इस स्थान पर किसी शक्ति का वाश है उन्होंने गांव वालो को वह मन्दिर का निर्माण करने को कहां गाव वालो ने वहां मंदिर का निर्माण किया और उस पत्थर को पिंडी के रूप मे स्थापित किया । 




                                      देवी मां भंगायणी का मन्दिर हिमाचल के सिरमोर जिले के हरिपुर धार नामक स्थान पर स्तिथ है । पुराने समय के महाराजा हरिप्रकाश जी ने हरिपुर किले का निर्माण किया गया उसी से 2 किलोमीटर दूर माता का मन्दिर स्थापित है । जहां माता खुद साक्षात्कार रुप मे विराजमान है । 

माता के प्रकट होने कि कहानी

                            पुरानी मान्यताओं के अनुसार कहां जाता है। कि एक बार शिरगुल देवता जी अपनी सेना के और अन्य देवताओं के साथ दिल्ली दौरे पर गए । उन्हें एक बर्तन कि दुकान दिखाई दी वह बर्तन बर्तन खरिदने के लिये उस दुकान पर गए । दुकान द्वार ने सारे बर्तन अपने तोलने वाले तराजू मे रख दिए और दूसरी और अपना बाटा रख दिया परन्तु बाटा ऊपर चढ़ा ही नही यह देख दुकान द्वार को बडी हैरानी हुई । दुकान द्वार ने शिरगुल देवता पर आरोप लगाया कि वह किसी शक्ति का प्रयोग कर रहे है । और वह जोर जोर से शिरगुल देवता पर चिल्लाने लगा । यह देख दुकान के सारे बर्तन अपने आप सडक पर गिरने लगे । 




                              उस समय दिल्ली पर तुर्को का शासन था वह खुद को शक्ति मे सर्व श्रेष्ठ मानते थे । दुकान द्वार भागता हुआ तुर्क राजा के पास गया और उसे आप बिती सारी बात बताइ । तुर्क राजा ने अपनी सेना को शिरगुल देवता को पकड़ ने पकड़के लिए भेजा परन्तु शिरगुल देवता जी ने अपनी शक्ति से पुरी सेना को पल मे हरा दिया यह देख तुर्क राजा घबरा गए । उन्होंने छल से शिरगुल देवता को चमडे की छाल से बाध दिया और जैल मे डाल दिया । शिरगुल देवता की सहायतार्थ आए बागड़ देश के महाराज गूगा जाहर पीर ने वहां भंगिन के रूप में कार्यरत माता भंगायणी की मदद से शिरगुल देवता को मुक्त कराया। कारागार से मुक्त होने पर शिरगुल देवता माता भंगायणी को अपने साथ ले आए और उन्हें हरिपुरधार की चोटी पर निवास होने के लिए कहा और स्वयं चूड़धार पर लीन हो गए।

शिरगुल देवता की धर्म की बहन

                      देवी मां भंगायणी शिरगुल देवता जी की धर्म की बहन भी है । यह माना जाता है देवी भंगायणी यदि कभी किसी कारण से क्रोधित हो जाए तो उन्हे मनाने का केवल एक ही रास्ता है शिरगुल देवता की शरण ।

मन्दिर तक जाने का रास्ता

                 आप मन्दिर तक आसानी से अपनी गाड़ी से बस के द्वारा पहुंच सकते हैं । मंदिर तक पहुंचने का मार्ग बहुत ही सुन्दर और मनमोहक है चारों ओर देवदार बाण के पेड लगे हुए है बुराशं के फूलो से सजा हुआ मार्ग ऐसा लगता है मानो फूल खुद आपका स्वागत कर रहें हो । 


बुराशं के फुल



रहने और खाने का इंतजाम

                 इस मंदिर में शनिवार और इतवार के दिन भंडारे का खास इंतजाम किया जाता है। रहने के लिए आस पास होटल और धर्मशाला भी है । नवरात्रो के समय तो इस मंदिर में भगतो की लाइने लग जाती है लाखो की सख्या मे भगत माता के दर्शन करने के लिए आतें हैं ।

                            मे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधार के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए ।


                    

                    

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