सावन का महीना क्यों महत्व्पूर्ण है ।

 नमस्कार दोस्तों,

                              हम सब जानते हैं कि भारत देवी देवताओं की भूमि है मुझे नहीं लगता है कि भारत में कोई भी राज्य या जिला ऐसा होगा जहां किसी देवी-देवताओं के मंदिर और उससे जुड़ी पौराणिक कथाएं और मान्यता ना हो। हम भारतीय अपने धर्म को हमेशा प्रथम प्राथमिकता देते हैं हमारा दिन भगवान के नाम से ही शुरु होता है । भारत देवी देवताओं के साथ प्रकृति से भी जुड़ा है हम हर चीज को अपने देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ मानते हैं । 



                            मनुष्य ने अपनी प्रकृति को भी चार ऋतुओं में बांटा हुआ है और हर ऋतु किसी ना किसी देवी देवता के साथ जुड़ी हुई है। आप सोचेंगे कि मै प्रकृति और देवी-देवताओं की बातें क्यों कर रही हूं आज मैं आपके पास जिस नए ब्लॉग के साथ आई हूं वहां भगवान और प्रकृति से जुड़ा हुआ है । आज मैं सावन के महीने और उससे जुड़ी भगवान शिव की कहानी को लेकर आपके पास आई हूं।

सावन में शिव भगवान की पूजा क्यों की जाती है।

                           शिव वह देवता जो हिमालय के पर्वत में निवास करता है जिसे सारी दुनिया शिव, शिवजी, भोलेनाथ और ना जाने किन किन नामों से संबोधित करती है मैं भी एक शिव भक्त हूं माना जाता है कि जो कोई भी शिव शंकर भगवान को दिल से और सच्चे मन से याद करता है  भगवान उनकी हर इच्छा पुरी करते हैं। भगवान शिव जी के सोलह सोमवार के व्रत से आपकी सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी हो जाती है         

                            लेकिन माना जाता है कि सावन का महीना शिव जी भगवान को सबसे अधिक प्यारा है। सावन के महीने में ऐसा लगता है मानो सारा संसार भगवान शिव जी के रंग में रंगा हुआ हो। चारों और से बस बम भोले बम भोले की आवाजें सुनाई देती है ऐसा लगता है मानो सारा आकाश भगवान शिव के बम भोले की आवाजों से गूंज रहा हूं । 

                  माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है इस महीने में जो कोई भी भगवान को सच्चे मन से याद करता और पूजा-अर्चना करता है वह आसानी से भगवान शिव को प्रसन्न कर सकता है।  सावन का महीना भगवान शिव का महीना है और सावन में आने वाले सोमवार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।



सावन का सोमवार इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

                          इसे जुड़ी कुछ पुरानी कहानियां है जिनके अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव की शादी माता सती से हुई थी माता सती के पिता का नाम राजा दक्ष था वो भगवान शिव को अपने बराबर नहीं मानता था | एक बार महाराज दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ का आयोजन किया उन्होंने सभी देवी देवताओं को निमंत्रण भेजा किन्तु भगवान शिव और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा गया | यह देखकर माता सती को बहुत क्रोध आया और उन्होंने वह जाकर अपने पिता से इस अपमान का कारण  पूछने के लिए  उन्होंने शिव भगवान से वह जाने की आज्ञा  मांगी किन्तु भगवान शिव ने उन्हें वह जाने से मना किया किन्तु माता सती के बार बार आग्रह करने पर शिव भगवान ने उन्हें जाने दिया | जब बिना बुलाए यज्ञ में पहुंची तो उनके पिता दक्ष ने उन्हें काफी बुरा भला कहा और साथ ही साथ भगवान शिव के लिए काफी बुरी भली बातें कही जिसे माता सती सहन नहीं कर पाई और उन्होंने उसी  यज्ञ की आग में कूद कर अपनी जान दे दी । माना जाता है कि इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती जी के रूप में जन्म लिया और पार्वती जी ने इस जन्म में भी भगवान शिव को ही अपने पति के रूप में चुना और उन्हें पाने के लिए बहुत ही कठोर तप किया ।

                            कहा जाता है कि जब भगवान ने माता पार्वती के तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए तो वह सावन का ही महीना था और इस तरह माता पार्वती और शिव भगवान का विवाह हुआ । तब से सावन महीना शिव जी और माता पार्वती दोनों जी के लिए बहुत ही प्रिय हो गया क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है तो इसीलिए इस महीने में पढ़ने वाले सोमवार का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

                         माना जाता है कि जो सावन के सोमवार का व्रत रखता है भगवान उसकी हर मनोवांछित इच्छा पूरी करते हैं । अगर कुंवारी लड़की इस व्रत को करती है तो उसे सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है और अगर कोई सुहागन महिलाएं इस व्रत को करती है तो उसे सौभाग्यवती और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है । 

श्रावण में शिव की पूजा क्यों की जाती है ?

                    भगवान शिव को भोले नाथ बम भोले  नीलकंठ और ना जाने किस किस नाम से पुकारा जाता है । भगवान शिव ने अपने सिर पर चंद्रमा का अर्धचंद्र धारण कर रखा है गले में शेषनाग धारण कर रखा है और माता गंगा को उन्होंने अपने शीश पर विराजमान किया है यही कारण है कि सावन मास में भगवान शिव जी के ऊपर पवित्र जल चढ़ाकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है ।

सावन के महीने में क्या करना चाहिए ।

                        सावन के महीने में हमें रोज सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए । साफ-सुथरे वस्त्र पहने चाहिए । शिवलिंग पर पवित्र गंगा जल, दूध, दही आदि चढ़ाना चाहिए और शिव भगवान को फल फूल पत्ते आदि चढाकर उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए ।



सावन के महीने में क्या नही करना चाहिए ।

                     सावन का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है इसमें हमें मांस, मछली, मदिरा आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए ।

सावन के महीने में औरतें हरी चूड़ियां वा हरे वस्त्र क्यों पहनती हैं?

                           सावन को हरियाली का महीना भी कहा जाता है । इस महीने में हरियाली तीज भी मनाई जाती है । इस मौसम में चारों और बस हरियाली ही हरियाली नजर आती है ऐसा लगता है मानो पूरी धरती हरे रंग के वस्त्र धारण कर सिंगार कर रही हो । यह महीना सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है ।

                                  माना जाता है कि हरा रंग प्रेम प्रसन्न चित्त और खुशी का प्रतीक है इसी कारण महिलाएं सावन के महीने में हरे रंग के वस्त्र चूड़ियां धारण कर भगवान शिव और प्रकृति का धन्यवाद करती है ।

                               माना जाता है कि हरा रंग भगवान शिव को भी बहुत प्रिय है यह भी कहा जाता है कि सावन मास में हरे रंग की चूड़ियां वस्त्र और मेहंदी लगाने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान भी प्राप्त होता है इसी कारण सावन के महीने में महिलाएं हरी चूड़ियां हरे वस्त्र और मेहंदी लगा कर सोलह सिंगार करती हैं  ।

                                      मे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधार के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए ।

            

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