नमस्कार दोस्तों,
जब भी हम भारत का नाम सुनते है तो हमारे आँखों के आगे सुंदर वातावरण ,रीतिरिवाज,त्योहारों से भरा पूरा एक देश उभर के सामने आ जाता है | भारत जितना सुंदर और मनोहर है उतने ही सुंदर यहा के त्यौहार है हर त्यौहार का अपना एक महत्व है और उन्हें मनाने के पीछे एक प्रेरणादायक कहानियां है | आज में आपको भारत में मनाने वाले एक बहुत ही सुंदर त्यौहार के बारे में बताने जा रही हु जिसे हम रक्षा बंधन के नाम से जानते है |
रक्षा बंधन यानि भाई बहन का त्यौहार | रक्षा बंधन का त्यौहार दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है रक्षा और बंधन हमारी संस्कृत भाषा के अनुसर रक्षाबंधन का मतलब है एक ऐसा बंधन जो की रक्षा प्रदान करता हैं यह पर रक्षा का मतलब अपनी बहन को रक्षा प्रदान करना और बंधन का अर्थ है भाई के हाथ पर बंदी एक डोर जो बहन भाई के हाथ पर बांधती है जिसके बदले भाई बहन की हमेशा हर स्थिति में रक्षा करने का वादा करता है |
भारत में रक्षा बंधन का त्यौहार बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है बहन तैयार होकर अपने भाई के हाथ पर राखी बाँधती है और भगवन से हमेशा अपने भाई की लम्बी आयु और खुशी की प्राथना करती है और बदले में भाई अपनी बहन को उपहार और उसकी रक्षा करने का वादा करता है | रक्षा बंधन भाई बहन के प्यार का प्रतिक है यह त्यौहार भाई बहन के पवित्र रिश्ते को जताता है |
रक्षाबंधन क्यों मनाते है ।
ये सवाल हम सभी के मन में आता है की रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? आखिर सबसे पहले ये त्यौहार किसने मनाया होगा? आखिर इस त्यौहार को मनाने के पीछे की कहानी क्या होगी ? आज में इन्ही सब सवालों का जवाब लेकर आपके पास आई हु |
यह त्यौहार इसलिए मनाया जाता है ताकि एक भाई का अपनी बहन के प्रति जो कर्तव्य है यह त्यौहार उसे जाहिर करता है | इस त्यौहार को केवल सगे भाई बहन ही नही अपितु हर वो इन्सान मना सकता है जो इस पर्व की अहमियत और इसकी मर्यादा को समझता है |
रक्षा बंधन का इतिहास
रक्षा बंधनधन का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसे हर भारतवासी पुरे हर्षे उलास से मनाता है यह त्यौहार एक एसा त्यौहार है जिसे चाहे कोई धनी हो या गरीब हर कोई इस त्यौहार को प्यार से मनाता है | इस त्यौहार को मनाने के पीछे बहुत सी कहानिया है जिनमे से कुछ इस तरह है |
1. रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ
माना जाता है की रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की कहानी के अनुसार जब राजपूतों को मुस्लमान राजाओ से युद करना पडा था | उस समय भी राखी का बड़ा महत्व था | माना जाता है उस समय चितोर की रानी कर्णावती हुआ करती थी वो एक विधवा रानी थी | एक बार गुजरात के सुल्तान बहादुर सहा ने उनपर हमला कर दिया चितोर की प्रजा अपनी रक्षा करने में असमर्थ थी इसलिए रानी ने अपने राज्य को बचाने के लिए हुमायु को राखी भेजी और अपनी बहन की रक्षा करने की गुहार लगाई हुमायु ने तुरंत अपनी बहन की रक्षा के लिए सेना की एक टुकड़ी चितोर के लिए रवाना कर दी । जब बहादुर शाह को यह पता लगा कि हुमायूं ने अपनी एक सेना यहां पर भेजी है तो उन्हें पीछे हटना पड़ा।
2. यम और यमुना की कहानी
मृत्यु के देवता यम ने करीब 12 सालों तक अपनी बहन यमुना से कोई संबंध नहीं रखा ना ही वहां उसके पास गए इस बात से यमुना बहुत ही दुखी थी एक बार यम गंगा माता से परामर्श लेने के लिए गए कि वहां क्या करें तब कम गंगा माता ने उन्हें समझाया कि तुम्हें अपनी बहन के पास जाना चाहिए अपने भाई के आने की खुशी से यमुना बहुत ही खुश हुई और उन्होंने उनके आने पर उनका खूब आदर सत्कार किया इस बात पर यह बहुत ही खुश हुए और उन्होंने कहा कि मांगों यमुना तुम क्या मागती हो तो उन्होंने इच्छा जाहिर की कि है मेरे भाई मैं चाहती हूं कि मैं बार-बार आपसे मिलूं इस पर उन्होंने उसके इच्छा पूरी की और यमुना को हमेशा के लिए अमर कर दिया
3. संतोषी मां की कहानी
माना जाता है कि एक बार भगवान गणेश के दोनों पुत्र जिनका नाम शुभ और लाभ था इस बात के लिए भगवान से जिद करने लगे कि रक्षाबंधन पर उन्हें भी एक बहन चाहिए जो उनके हाथ पर राखी बांधे इस बात पर वह अपने पिता से खूब जिद करने लगे इस पर नारद जी के हस्ताक्षर करने पर बांधय होकर भगवान श्री गणेश जी ने संतोषी माता को उत्पन्न किया तब दोनों भाइयों शुभ और लाभ ने संतोषी माता से अपने कलाई पर राखी बांधी और रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया
4. माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी
माना जाता हैं कि असुर सम्राट बलि एक बहुत ही बड़ा भक्त था भगवान विष्णु का बलि की इतनी ज्यादा भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने बलि के राज्य की रक्षा स्वयं करनी शुरू कर दी। ऐसे में माता लक्ष्मी इस चीज़ से परेशान होने लगी क्यूंकि विष्णु जी ज्यादातर वैकुंठ म्यूजिक नहीं रहते थे । एक दिन माता लक्ष्मी जी ने एक ब्राह्मण औरत का रूप लेकर बलि के महल में रहने लगी । वही बाद में उन्होंने बलि के हाथों में राखी भी बांध दी और बदले में उनसे कुछ देने को कहा । अब बलि को ये नहीं पता था की वो औरत और कोई नहीं माता लक्ष्मी है इसलिए उन्होंने उसे कुछ भी मांगने को कहा इस पर माता ने बलि से विष्णु जी को उनके साथ वापस वैकुंठ लौट जाने का आग्रह किया । इस पर चूँकि बलि से पहले ही देने का वादा कर दिया था इसलिए उन्हें भगवान विष्णु को वापस लौटना पड़ा । इसलिए राखी को बहुत से जगहों में बलेव्हा भी कहा जाता है।
ऐसी बहुत सी कहानियां है । जो हमें इस त्यौहार कि अहमियत को बताते है ।
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लेना होता है। इससे मन और शरीर दोनों ही पवित्र हो जाता है । फिर सबसे पहले भगवान की पूजा की जाती है। पुरे घर को साफ कर चरों तरफ गंगा जल का छिडकाव किया जाता है ।
अब बात आती है राखी बांधने की इसमें पहले राखी की थाली को सजाया जाता है। रक्षाबधंन के प्रवित्र त्याहार के दिन पितल की थाली मे ऱाखी ,चंदन ,दीपक ,कुमकुम, हल्दी,चावल के दाने नारियेल ओर मिठाई रखी जाती है।
अब भाई को बुलाया जाता है और उन्हें एक साफ़ स्थान में नीचे बिठाया जाता है। फिर शुरू होता है राखी बांधने की विधि सबसे पहले थाली के दीये को जलाती है। फिर बहन भाई के माथे पर तिलक चन्दन लगाती है वही फिर भाई की आरती करती है।
उसके बाद वो अक्षत फेंकती हुई मन्त्रों का उच्चारण करती है । और फिर भाई के कलाई में राखी बांधती है। वहीँ फिर उसे मिठाई भी खिलाती है। यदि भाई बड़ा हुआ तब बहन उसके चरण स्पर्श करती है वही छोटा हुआ तब भाई करता है।
अब भाई अपने बहन को भेंट प्रदान करता है । जिसे की बहन खुशी खुशी लेती है। एक बात की जब तक राखी की विधि पूरी न हो जाये तब तक दोनों को भूका ही रहना पड़ता है इसके पश्चात राखी का रस्म पूरा होता है।
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