मसरूम मंदिर

 नमस्कार दोस्तों ,

                                हम सभी जानते है की हिमाचल प्रदेश बहुत ही खुबसुरत है | हिमाचल प्रदेश में 12 जिले है जो बहुत ही सुंदर है हर जिले का अपना महत्व है | हर जिले में देखने के लिए बहुत ही सुंदर जगहे है | हिमाचल प्रदेश में बहुत सी सुंदर ऐसी जगह है जिसे इंसानों ने नहीं बल्कि खुद प्रक्रति ने बनाया है | परन्तु कुछ ऐसी देखने लायक जगहे  भी है जिन्हें इंसानों ने बड़ी कड़ी महेनत से तेयार किया है | यह पर बसे हर शहर और उसमें बने हर मंदिर का अपना महत्व है | आज में आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रही हु जो अपने आप में किसी रहस्य से कम नहीं है | यह मंदिर कांगड़ा में स्थित है और सब इसे मसरूम मंदिर के नाम से जानते है |   




                 यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा से 32 किलोमीटर दूर स्थित है यह मंदिर मज्बोटी ऊँची चटानो से बना हुआ है जिन्हें करिगिरो ने कट क्र एक सुंदर और अद्भुत मंदिर कि शक्ल दी है | यह मंदिर 2500 फीट की ऊंचाई पर स्थिओत है | इस म,अन्दिर को विश्व के अजुबू में से एक माना जाता है | `यह मंदिर 15 शिखर मंदिरो की सरचना गुफाओ के अंदर स्थित है जो मसरूम आकर का दिखी देता है इसिलिय्ते लिए इसे मसरूम मंदिर के नाम से जान जाता है | स्थानीय लोगो के अनुसार इसे हिमालय का परामीड भी कहा जाता है |  

मंदिर के बारे में मान्यता 

                                           एक लोकप्रिय पुराणिक कथा के अनुसार महाभारत में पांडवओ के अनुसार अपने वनवास के दोरान इसी जगह पर निवास किया था ओपर एस मंदिर का निर्माण कित्य था | क्योकि यह एक गुप्त निर्वासन स्थल था इसीलिए वे अपनीं पहचान उजागर होने से पहले ही कही और जाकर रहेने लगे |  इसीलिए यह मन जाता है की इस मंदिर का कार्य पूरा ना हो सका और यह मंदिर पिच्लिऊ तरफ से आज भी अधुरा है | 

             मुख्यत यह मंदिर एक शिव मंदिर है परन्तु यह पर श्री राम , लक्ष्मण और सीता जी की मुर्तिया भी स्थित है आप जेसे ही इस मंदिर के अंदर प्रवेश करते है आप वास्तुकला कोप देख कर दग रह जायेगे इस मंदिर की दीवारों में कोई जोड़ नही है केवल; पहाड़ काट कर ही मंदिर का मुख्य गर्भ ग्रह , मुर्तिया , सीडीया  और दरवाजे बनाए गये है हलाकि यह शेली पश्च्मि और दक्षिणी भारत के कई प्राचीन मंदिरों में देखने को मिल जाती है पर भारत के उतरी भाग में कुछ अलग और आदित्य है | मंदिर की वास्तुकला की बात की जाये तो यह बहुत ही सुंदर और बारीकी से की गई है 

                  इस मन्दिर का निर्माण कोन सी सदी में हुआ है इस बात का कोइ पुख्ता सबूत या जानकारी उपलब्ध नहीं है पर यह माना जाता है की यह मंदिर 100 साल पुराना है । आज तक कोइ भी कारीगिर इस तरह कि कला क्रिति नही बना पाया है । 



मसरूम झील

                           मसरूर झील, मंदिर के बिल्कुल सामने ही स्थित है जो मंदिर की खूबसूरती में चार-चांद लगाती है। झील में मंदिर के कुछ अंश का प्रतिबिंब दिखाई देता है जो किसी करिश्मा से कम नहीं । कहा यह भी जाता है कि इस झील को पांडवों ने ही अपनी पत्नी द्रौपदी के लिए बनवाया था। यहां कई ऐसे चौखट हैं जो भगवान शिव के सम्मान में मनाए जाने वाले त्यौहारों को दर्शाते हैं। छोटे छोटे कलाकृतियों में भी भगवान शिव के लीलाओं को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है।




                       मे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधार के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए ।


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