नमस्कार दोस्तों.
आज में फिर आपके पास एक नए ब्लॉग के साथ आई हु | सभी जानते है कि हिमाचल देवी देवताओं कि भूमि है प्राचीन समय से ही हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है । हर साल कई सैलानी यहाँ पर खास कर प्राचीन समय के बने सूंदर मंदिरो और उसमें कि गई भव्य अलौकिक कि गई नकाशी को देखने के लिए आते है जितने पुराने यहाँ के मंदिर है उतना ही पुराना उनका इतिहास है।
आज मे आपको एक ऐसे ही प्राचीन मंदिर के बारे मे बताने जा रही हूँ । इस मंदिर कि अपनी मान्यता और अपना इतिहास है । यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है | यह मंदिर सुंदर पहाडियों के बीच बसे शहर धर्मशाला में स्थित है इस मंदिर को कुनाल पत्थरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है इस स्थल पर माता सती का कपाल गिरा था इसी कारण इस मंदिर का नाम कपालेश्वरी भी है इस मंदिर को और भी कई नामो से जाना जाता है | इस मंदिर में माँ के कपाल के ऊपर एक बहुत बड़ा पत्थर विराजमान है जिसके चलते इसे माँ कुनाल पत्थरी मंदिर भी कहा जाता है |
माँ के उद्गम की कहानी
कहानी कुछ इस तरह है की भगवान शिव की शादी माता सती से हुई थी माता सती के पिता का नाम राजा दक्ष था वो भगवान शिव को अपने बराबर नहीं मानता था | एक बार महाराज दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ का आयोजन किया उन्होंने सभी देवी देवताओं की निमंत्रण भेजा किन्तु भगवान शिव और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा गया | यह देखकर माता सती को बहुत क्रोध आया और उन्होंने वह जाकर अपने पिता से इस अपमान का कारण पूछने के लिए उन्होंने शिव भगवान से वह जाने की आज्ञा मांगी किन्तु भगवान शिव ने उन्हें वह जाने से मना की किन्तु माता सती के बार बार आग्रह करने पर शिव भगवान ने उन्हें जाने दिया | जब बिना बुलाए यज्ञ में पहुंची तो उनके पिता दक्ष ने उन्हें काफी बुरा भला कहा और साथ ही साथ भगवान शिव के लिए काफी बुरी भली बातें कही जिसे माता सती सहन नहीं कर पाई और उन्होंने उसी यज्ञ की आग में कूद कर अपनी जान दे दी | यह देख कर भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने माता सती का जला हुआ शरीर अग्नी कुंड से उठा कर चारों और तांडव करने लग गये जिस कारण सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया यह देख कर लोग भगवान विष्णु के पास भागे तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े किये ये टुकड़े जहाँ जहाँ गिरे वह पर शक्ति पीठ बन गए | इसी स्थान पर माता के शरीर से उनका कपाल गिरा था | इसी कारण से इस स्थान का नाम कपालेश्वरी मंदिर पडा ।
यहा पर मिलने वाला प्रसाद भी अनोखा है |
माँ कपालेश्वरी मंदिर में मिलने वाला प्रसाद भी अनोखा है | माँ के कपाल के उपर बना एक पत्थर हमेशा पानी से भरा रहता है माना जाता है की इस पत्थर का पानी कभी नही सुखता है यदि कभी इस पत्थर का पानी कभी सुखने भी लगे तो वर्षा से ये पत्थर फिर भर जाता है | माँ कभी भी यहा का पानी कम नही होने देती इसी पानी को प्रसाद के रूप में दिया जाता है तो कई सरधालो इस पानी को अपनी बीमारी को ठीक करने के लिए बोतल भर कर अपने साथ ले जाते है |
इस मंदिर की मानयता
इस मंदिर को लेकर लोगो की बहुत मान्यता है सब का मानना है की माता के मंदिर से मिलने वाले प्रसाद से कई तरह की बीमारियाँ दूर हो जाती है
मंदिर तक पहुचने का रास्ता
कुनाल पत्थरी मंदिर धर्मशाला से तिन किलोमीटर की दुरी पर स्थित है और काँगड़ा हवाई अड़ा इस मंदिर से 10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है आप यह हवाई जहाज से भी आ सकते है आप अपनी गाडी से बस से किसी भी तरह से यहाँ पहुच सकते है |
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