एक ऐसी गुफ़ा जिसमे छिपे है रहस्य

 नमस्कार दोस्तों, 

                                  आज में फिर आपके पास एक नये ब्लॉग के साथ आई हु | हिमाचल प्रदेश में बहुत सी सुंदर जगह है जिनमे अधिकतर मंदिर है परन्तु आज में आपको हिमाचल प्रदेश में बनी एक ऐसी गुफ़ा के बारे में बताने जा रही हु जहा छिपे है कई रहस्य | प्राचीन काल में ऐसी बहुत सारी गुफाए और जगह है जिन्मे बहुत से रहस्य छिपे हुए है जिनका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया | 

                              आज में आपको एक ऐसी ही एक गुफ़ा के बारे में बताने जा रही हु जिसका सम्बंध महाभारत काल से माना जाता है | ये रहस्यमय गुफा उतराखंड के माणा नामक गाँव में स्थित है | इस गाँव को हिंदुस्तान का आखरी गाँव के नाम से भी जाना जाता है |




                               उसी गाँव में स्थित है यह गुफा जिसे सब व्यास गुफ़ा के नाम से जानते है | माना जाता है की यह गुफ़ा 5300 साल पुरानी है | देखने में तो यह एक बहुत छोटी सी गुफ़ा है लेकिन इसके बारे में यह माना जाता है की हजारो साल पहले इसी गुफ़ा में रहकर महर्षि वेद व्यास जी ने वेदों और पुरानो का संकलन किया था परन्तु इसे जुडी एक कथा यह भी है की इसी गुफ़ा में वेद व्यास जी ने भगवान श्री गणेश जी की सहायता से महाकाव्य महाभारत की सरचना की थी | 

गुफ़ा की बनावट 

                             इस गुफ़ा की सबसे महत्वपूर्ण चीज इस गुफ़ा की अनोखी छत है | इस गुफ़ा की छत की बनावट की चर्चा देशभर में होती है | इस छत की बनावट कुछ इस तरह की है की इसे देख कर ऐसा लगता है मानो बहुत सारे कागजों के पेज एक के उपर एक रखे हुए हो | यहा गुफा एक बड़े क्षेत्रफल में फेली हुई है | इस गुफ़ा में वेद व्यास की प्रतिमा भी स्थापित है |इसमें स्थित छत को लेकर यह भी मान्यता है कि महाभारत की कहानी का वो हिस्सा है जिसके बारे में महर्षि वेद व्यास और भगवान गणेश के अलावा और कोई नहीं जानता है | यहा गुफ़ा सरस्वती नदी के तट पर स्थित है इसी के समीप अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम भी होता है |




                           इस गुफ़ा को लेकर एक यह भी मान्यता है की महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश से महाभारत के कुछ पन्ने लिखवाए थे परन्तु उनमे से कुछ पन्नो को महाकाव्य में शामिल नही किया और उन पन्नो को अपनी शक्ति से पत्थर में बदल दिया |आज दुनिया पत्थर के इन रहस्यमई पन्नो को व्यास पोथी के नाम से जानती है | 

                         कुछ लोगो का मानना यहा है की ऐसा कोई राज था जिसे महर्षि वेद व्यास जी दुनिया को नही बताना चहाते थे | यहा हर साल गुरु पूणिमा पर भव्य आयोजन होते है | 

मन को शांति 

                       माना जाता है की इस गुफ़ा में प्रवेश करने पर आपको शांति और आत्मिक सुख की अनुभूति होती है | इस गुफ़ा में बहुत अँधेरा है परन्तु इस अँधेरे को दूर करने के लिए यह एक दीपक हमेशा प्रज्वलित रहेता है | जो इस बात का सबुत है की वेदव्यास जी के द्वारा दिए गये ज्ञान की रौशनी से संसार में छाया हुआ अंधकार को दूर करने का महान कार्य इसी गुफ़ा में किया गया था | 




स्वर्ग का रास्ता 

                     ऐसा कहा जाता है की व्यास गुफ़ा के पास से होकर ही स्वर्ग लोक का रास्ता गुजरता है माना जाता है की इसी रास्ते से पांडव स्वर्ग की और जा रहे थे परन्तु बहुत अधिक ठण्ड होने के कारण चारो पांडव और द्रोपती ठण्ड से गल गये किन्तु युधिष्टर धर्म और सत्य का पालन करने के कारण ठण्ड को झेल पाए और अपने शरीर के साथ स्वर्ग पहुंच सके |




                         

मंदिर तक पहुचने का रास्ता

                                             आप ट्रेन से बस से या हवाई यात्रा द्वारा इस मंदिर तक पहुच सकते है |  

                मे  उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी | यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या फिर किसी और मंदिर या जगह की जानकारी लेना चाहते है तो कृपया कोमेंट बॉक्स में लिखे यदि  इस आलेख को लिखते हुए हमसे कोई ग़लती हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा करे और हमे कोमेंट करके ज़रुर बताऐ ताकि हम आपको अपने आने वाले आलेख में एक बहेतरिन सुधार के साथ आपको अच्छी जानकारी उपलब्ध कराए । आप ट्रेन से बस से या हवाई यात्रा द्वारा इस मंदिर तक पहुच सकते है |  

                


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