नमस्कार दोस्तों,
हम सब जानते है इस दुनिया में लाखो ऐसे राज छिपे है जिनके बारे में सुनना तो दूर हम कभी खवाबो में सोच नही सकते है क्या आपने कभी ऐसा सुना है की आपके सामने अरबो का खजाना पडा हुआ है लेकिन आप उसे छू तक नही सकते ? है ना हैरानी वाली बात तो आज में आपको एक ऐसी ही एक जगह के बारे में बताने जा रही हु जहा अरबो रूपये के सोने, चांदी ,हीरे, मोती एक झील में पड़े हुए है लेकिन आज तक किसी ने भी उन्हें निकालना तो छोडो छूने की भी हिम्मत तक नहीं की है |
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कमरुनाग मंदिर |
कमुरुनाग झील जी हा आज में आपको जिस जगह के बारे में बताने जा रही हु उसका नाम है कमरुनाग झील और कमुरुनाग मंदिर जो हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है |
कमरुनाग के बारे में पुराणिक कथा
कमरुनाग मंडी जिले में स्थित एक मंदिर है | पुराणिक कथा के अनुसार यह माना जाता है की भगवान कमरुनाग बारिश के देवता है | भगवान कमरुनाग महाभारत के युद्ध में भाग लेना चाहते थे | उनका कहना था की उन्हें जो भी युद्ध में हारता हुआ प्रतीत होगा वो उसके पक्ष में युद्ध करेगे | माना जाता है की यह इस धरती के सबसे महान योधा थे | भगवान् श्री कृष्ण इस बात से भली भांति परिचित थे की यदि कमरुनाग जी कौरवो के किनारे से युद्ध में भाग लेंगे तो युद्ध में कौरवो का जितना निश्चित है |
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कमरुनाग झील |
अत उन्होंने अपनी चाल चली उन्होंने युद्ध में भाग लेने के लिए कमरुनाग देवता के आगे शर्त रखी जिसके अनुसार हारने वाले को आपना शीश धड़ से अलग करना पड़ेगा और उस शर्त में देवता कमरुनाग की हार हुई और भगवान श्री कृष्ण जीत गये| शर्त के अनुसार कमुरुनाग जी ने अपना शीश काट कर भगवान श्री कृष्ण के हाथो में सोपं दिया | लेकिन अपना शीश काटने से पहल कमरुनाग जी ने भगवान श्री कृष्ण जी से एक अनुरोध किया की वहा भी इस युद्ध को अपनी आँखों से देखना चाहते है भगवान जी ने उनकी इच्छा अनुसार उनके शीश को हिमालय की एक ऊँची चोटी पर रख दिया जहा से वो इस युद्ध को अच्छी तरह से देख सके |
लेकिन शीश काटने के बाद भी युद्ध में उनकी भागीदारी होने लगी | वहा जिस और भी अपनी गर्दन को घुमाते उसी तरफ की सेना विजय की और बढने लगती जब भगवान श्री कृष्ण ने ये सब देखा तो वो चिन्तित हो गये की इस तरह से तो युद्ध का फैसला कभी नही हो पाएगा | अत उन्होंने एक तरकीब सोची उन्होंने कमरुनाग जी के शीश को एक बड़े पत्थर से लटका कर उनके मुह को पांड्वो की और घुमा दिया जिससे पाडंव युद्ध जीत गए | उन्हें पानी की दिकत ना हो इसलिए भीम ने अपने हाथ की चोट से वह एक बड़ा गड्ढा कर उसे एक झील में परवर्तित कर दिया इसी झील को आज सब कमरुनाग झील के नाम से जाना जाता है |
कमरुनाग झील की कहानी
आप सोचेगे की इस झील में फिर इतने सारे गहने और पैसे कहा से आऐ | दरसल इस झील को लेकर बहुत पुरानी मान्यता है उसके अनुसार जो कोई भी इस झील में अपने गहने और पैसे डालेगा उसकी हर इच्छा पूरी होगी सदियों से लोग यह आकर अपने शारीर का कोई भी गहना यह आकर चढ़ा देते है ये झील पैसो और सोने चांदी से भरी पड़ी है लेकिन आज तक कोई भी इन्हें बहार नही निकाल पाया और ना हीं किसी ने ऐसा करने की हिम्मत की है | क्योकि इसके पीछे भी लोगो की यह मान्यता है की इस झील में जितने भी पैसे और गहने है वह देवताओ के है और सीधे पाताल लोक तक जाते है |
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कमरुनाग झील |
लेकिन एक बार एक चोर ने इस झील से सारे गहने निकालने की कोशिश की थी उस चोर ने झील के मुहाने पर छेद करके सारा पानी बहार निकालने की कोशिश की थी लेकिन ये करते हुए अचानक से वह मर गया | माना जाता है की इस झील में पैसे और गहने चढ़ाने की परम्परा सालो पुरानी है | कहा जाता है की कमरुनाग जी खुद अपने इस खजाने की रक्षा स्वयं करते है | कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह सारा खजाना पांडवों ने इस झील में चढाया है
सस्कृतिक और धार्मिक महत्व
इस झील को लेकर लोगो की बहुत सी धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाए जुडी हुई है | इस झील के किनारे देवता कमरुनाग जी का एक बहुत ही सुंदर मंदिर भी स्थापित है हिन्दू कथाओ के अनुसार यक्ष जो धन का देवता है इस स्थान पर निवास करता है |
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कमरुनाग झील मंदिर |
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