आखिर मेरा कातिल कौन ? Part - 1

                             कहानी

   

 

 एक गांव में सुनील नाम का एक आदमी रहा करता था वह बहुत ही आज्ञाकारी बेटा था उसके मां-बाप उससे बहुत खुश थे वह अपने मां बाप की खूब सेवा किया करता था और उनके कहने पर ही हर कार्य को किया करता था अब सुनील के माता-पिता को उसके शादी की चिंता सताने लगी थी वह जगह-जगह उसके रिश्ते की बात करते लेकिन कही बात नही बन पा रही थी उसके मा बाप को उसकी बहुत चिन्ता हो रही थी एक दिन सुनील की एक मासी सुनील के घर आई और वहां पर सुनील की मां ने उसे सुनील के रिश्ते कराने की बात कही ।

      सुनील के मासी ने उन्हें बताया कि उनके गांव में एक लड़की है तो सही और वह बहुत शरीफ है और अच्छी पढ़ी-लिखी है मैं जल्द ही घर जाकर उससे सुनील की शादी की बात करूंगी यह सुनकर सुनील और सुनील के घर वाले बहुत खुश हो गए जल्द ही उनकी शादी हो गई सुनील की बीवी प्रिया बहुत ही अच्छी औरत थी वह हमेशा सुनील और उसके घर वालों का खूब ध्यान रखती थी सुनील का एक छोटा भाई भी था जिसका नाम धीरज था वह बहुत ही चलाक आदमी था वहां चाहता था कि सुनील इस घर से निकल जाए ताकि वहां उस घर पर अपना हक जता सके धीरज की बीवी भी बहुत ही तेज औरत थी वह भी सुनील को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी 

              जल्दी सुनील के घर किलकारी गूंजी वह दो जुड़वा बच्चों का बाप बन गया जिसमें से एक बेटा और एक बेटी थी धीरज के यहां कोई संतान नहीं हुई जिसके कारण धीरज और भी ज्यादा सुनील से चिड़ने लगा वह अक्सर मौका खोजता कि वह कैसे सुनील को नीचा दिखा सके धीरज की बीवी भी प्रिया को बहुत नीचा दिखाती थी हर बात पर उसका कोई ना कोई काम खराब कर देती थी एक दिन जब सुनील अपने दोनों बच्चों को स्कूल छोड़कर आया उसके कुछ समय बाद उसकी बीवी प्रिया का फोन आया कि आज बेटी घर वापस नहीं आई है मुझे बहुत चिंता हो रही है आखिर किरण कहां रह गई यहां सब सुनकर सुनील के भी हाथ-पांव फूल गए वह दौड़ता हुआ घर आया उसने बेटे से पूछा कि तेरी बहन कहां है तो उसने बताया कि पता नहीं पापा वह रास्ते में से ही कहीं और चली गई मैंने उसे चारों ढूंढा लेकिन वह मुझे कहीं नहीं मिली तो मैं वापस अकेला घर आ गया

सुनील और प्रिया ने चारों और अपनी बेटी की खोज जारी कर दी उसका साथ देने के लिए धीरज और उसकी बीवी भी आ गए वह सारी रात गांव में घूमते रहे और अगले दिन पुलिस स्टेशन गए पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखाने के बाद वह घर वापस लौट आए उसके माता-पिता ने उन्हें सांत्वना दी की चिंता मत करो हो सकता वह कभी अपने सहेली के साथ चली गई हो प्रिया ने कहा कि मा जी मेरी बेटी कभी मुझसे पूछे बिना इधर-उधर नहीं जाती है यह कहकर वह फूट-फूट कर रोने लगी और उसे ढूंढने लगे ऐसे ही ढूंढते ढूंढते 2 साल बीत गए प्रिया आज भी अपनी बेटी को याद करती है

आहिस्ता आहिस्ता प्रिया की तबीयत खराब होने लगी सुनील प्रिया और अपने बेटे के साथ जाकर शहर में बस गए बहुत सालों बाद धीरज ने अपने घर में उन्हें किसी प्रोग्राम के लिए निमंत्रण भेजा वह कई सालों बाद गांव वापस आए उन्होंने देखा कि धीरज और उसकी बीवी और उसके मां-बाप उस घर में ना रह कर अलग किसी और घर में रह रहे हैं या देखकर सुनील और प्रिया बहुत हैरान हुए उन्होंने अपने भाई और भाभी से पूछा कि आखिर तुम अपना पुश्तैनी घर छोड़कर यहां क्यों रह रहे हो तब प्रिया के सास ससुर ने बताया कि वहां कोई है जो हमें वहां रहने नहीं देता यह सुनकर प्रिया और सुनील बड़े दंग रह गए उन्होंने कहा कौन आ गया है जो आपको आपके घर में ही नहीं रहने देता तब धीरज ने बताया कि भाई वहां किसी आत्मा का प्रकोप है वह हम में से किसी को वहां रहने नहीं देती और अगर वहां गलती से भी कोई जाए तो उसके साथ कुछ ना कुछ अनहोनी हो ही जाती है यह सुनकर सुनील और प्रिया बड़े हैरान हुए उन्होंने फैसला किया कि वह कल सुबह होते ही वहां जाएंगे और देखेंगे कि आखिर कौन है जो उनके मां बाप और भाई को वहां रहने नहीं दे रहा ।




अगले दिन सुबह उठकर प्रिया और सुनील उस घर में गए तो उस घर की हालत देखकर वह दंग रह गए चारों और मकड़ी के जाले लगे हुए थे चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था ऐसा लग रहा था जैसे कोई भूतिया हवेली हो जैसे ही वहां हवेली के अंदर गए वैसे ही सब कुछ हिलने लगा सुनील और प्रिया यह देखकर बहुत डर गए सुनील ने आखिर हिम्मत कर आवाज लगाइए कि तुम हो कौन और यहां क्या कर रही हो आखिर तुम चाहते को क्या हो तब उसने कहा आ गए मेरे कातिलों  मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी आखिर मैं तुमसे ही बदला लेना चाहती थी यह सुनकर सुनील और प्रिया डर गए उन्होंने कहा कातिल कौन हम हमने भला किस का कत्ल किया हम तो भाग्य के वैसे ही मारे हुए हैं हम भला किस का कत्ल कर सकते हैं यह सुनकर वह आत्मा और क्रोधित हो गई और बोली और किसका मेरा तुमने मेरा कत्ल किया है आखिर मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था यह सुनकर सुनील और प्रिया दोनों डर गए अरे तुम हो कौन आखिर ? तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है हमने कभी किसी का कत्ल नहीं किया उसने जोर से आवाज लगाकर कहा मैं हूं पहचाना नहीं मुझे मैं हूं किरण यह सुनते ही उन दोनों के पैरों तले जमीन खिसक गई उन्होंने कहा किरण किरण मेरी बेटी अरे मैं तो तुम्हें कब से ढूंढ रही थी यह कहकर प्रिया जोर जोर से रोने लगी उसने कहा पागल मैं तो तुम्हें ढूंढ ढूंढ कर पागल हो गई भला मैं तुम्हें कैसे मार सकती हूं और यह सब हुआ कैसे मुझे बताओ यह सुनकर प्रिया रोने लगीं सुनील उसे संभाले लगा सुनील ने कहा बेटा हम हम तुम्हारे मां-बाप हैं हमने तुम्हें पैदा किया है अरे तुम्हारी याद में तो तुम्हारी मां की तबीयत इतनी खराब हो गई थी कि मुझे उसे शहर के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा 6 महीने तक एडमिट रहने के बाद उसे बड़ी मुश्किल से होश आया और तुम कहती हो हमने तुम्हें मारा यह क्या कह रही हो तुम यह सब सुनकर किरण की आत्मा क्रोधित हो जाती है और कहती है हां तुम्ही ने मुझे मारा है मैंने देखा था तुमने ही मुझे मारा है इस मा ने ही मेरा गला घोटकर मुझे मार दिया था यह  सुनकर किरण जोर जोर से रोने लगती है यह सुनकर प्रिया और सुनील भी हैरान हो जाते हैं उन्होंने कहा नहीं बेटा हम तुम्हें नहीं मार सकते तुम तो हमारे जिगर का टुकड़ा था तब किरण एकदम से जोर से आवाज लगाकर कहती है अगर तुमने नहीं मारा तो आखिर मेरा कातिल है कौन ? यह कहकर किरण की आत्मा जोर जोर से रोने लगती है और पूरा घर हिलने लगता है सुनील फटाफट प्रिया को उठाकर घर से बाहर निकल जाता है जब वह दोनों अपने मां-बाप के पास पहुंचते हैं तो वह हैरान हो जाते हैं कि अरे तुम्हें कुछ नहीं हुआ तब सुनील और प्रिया उन्हें सारी बात बताते हैं कि वह आत्मा और किसी की नहीं बल्कि उनकी बेटी किरण की है यह सब सुनकर सब हैरान हो जाते हैं और उसके मां-बाप रोने लग जाते हैं उसका पिता कहता है कि बेटा तुम चिंता मत करो यहां पर एक तांत्रिक है हम उसे उस हवेली में ले जाएंगे वहीं आत्मा को शांति प्रदान करेगा और उसे मुक्ति देगा अगले ही दिन सुनील और प्रिया और उसके माता पिता और चाचा चाची उस हवेली में उस तांत्रिक के साथ जाते हैं तांत्रिक अपन पूजा विधि द्वारा किरण की आत्मा को वहां बुलाता है किरण वहा आती है और जोर-जोर से हंसने लग जाती है कि तुम मुझे इस दुनिया से मुक्ति दिलाओगे जब तक मुझे नहीं पता चलता कि मेरीहमने ने मुझे क्यों मारा है तब तक मैं इस दुनिया से कहीं नहीं जाऊंगी सुनील और प्रिया दोनों जोर जोर से रोने लग जाते हैं और कहते हैं कि बेटा हमने तुम्हें बिल्कुल नहीं मारा यह तुम्हें क्या हो गया है भला हम तुम्हें क्यों मारेंगे तांत्रि प्रिया को कहता है कि आप चुप हो जाइए अभी पता चल जाएगा कि आखिर तुम्हारी बेटी का कातिल है कौन और यह तुम्हें क्यों कातिल बता रही है तांत्रिक किरण की आत्मा को वहां बुलाकर शांत कराता है और पूछता है कि आखिर बताओ मुझे तुम्हारे साथ उस दिन क्या हुआ था तब वह बताती है कि जब मैं स्कूल से वापस आ रही थी तो चाचा ने मुझे आवाज मारी की इधर आ जा मैं तुझे बाइक पर ले चलता हूं मैंने कहा कि भाई भी है लेकिन उसने कहा कि मेरे पास एक ही सीट है भाई आराम से चलता हुआ जाएगा चलो तुम्हारी मां तुम्हें बुला रही है वह मुझे मंदिर के पीछे जंगल में ले जाता है मैंने कहा कि मेरी मां भला इस जंगल में क्या कर रही है तब चाचा ने बोला कि तुम्हारी मां यहां किसी काम से आई थी और उसे चोट लग गई है इसलिए तुम्हे बुलाया है जब मैं जंगल में गई तो मां ने पीछे से आकर मेरा गला घोट दिया मैने देखा था कि वह मेरी मां की साड़ी है यह सब सुनकर प्रिया जोर जोर से रोने लग जाती है और कहती है कि मैं तो कभी किसी जंगल में नहीं गई बेटा मैं तो घर में ही थी और मैं घर में ही तुम्हारा वेट कर रही थी जब तुम्हारा भाई आया तो हमने उससे पूछा कि आखिर किरण कहां रह गई है तो उसने बताया कि मा पता नहीं किरण रास्ते से ही गायब हो गई हमने हर जगह  तुम्हे ढूंढा तुम्हें पुकारा यहां तक कि हम पुलिस स्टेशन में भी गए और तुम्हारी रिपोर्ट लिखाई में टूट चुकी थी अंदर से मेरा दिल तो मरने को करता था बेटा भला मैं तुम्हें कैसे मार सकती हूं तुम ही मुझे बताओ आत्मा क्रोधित होकर बोली नहीं वहां तुम ही थी मुझे याद है कि वह तुम्हारी ही पीली रंग की साड़ी थी जिससे तुमने मेरा गला दबाकर मुझे मार दिया आखिर क्यों मारा मुझे यह सब सुनकर प्रिया और सुनील जोर जोर से रोने लग पड़े तब तांत्रिक ने कहा कि रुको मैं पता लगाता हूं कि आखिर तुम्हें किसने मारा है वह आंखें बंध करके मंतर पड़ता है और कहता है कि जिस किसी ने भी तुम्हें मारा होगा या तो वह खुद सामने आ जाए या फिर मैं बताता हूं कि वह कौन है ? आत्मा जोर से चीखती है आखिर मेरा कातिल कौन  ?

                           ......... TO BE CONTINUE 

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