कहानी
एक बार की बात है एक गाँव मे बहुत ही ज्ञानी साधु था। वह साधु बड़ा ही दयालु और विनम्र स्वभाव का था । वह हमेशा सभी से बड़े ही प्रेम से बात करता था वह अक्सर बैठ कर सभी को भगवान की कहानिया सुनाता रहता था । एक दिन गांव का एक आदमी तलाब के तट पर बैठा हुआ था। इतने मे ही वह साधु भी उस तलाब के तट पर आया और तट पर बैठ कर अपनी तपस्या करने लगा । वह आदमी यह सब देख रहा था । साधु महाराज अपनी तपस्या मे पुरी तरह से खोए हुए थे की तभी वहा पर एक बिच्छू आया और साधु महाराज को काटने लग गया परन्तु साधु महाराज ने बड़े प्यार से उसे उठाकर किनारे पर रख दिया थोड़ी देर बाद वह बिच्छू फिर साधु महाराज के पास आया और उन्हें काटने लग गया फिर साधु महाराज ने उसे उठाया और किनारे पर रख दिया ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ परन्तु हर बार साधु महाराज उसे उठाते और किनारे पर रख देते ये सब तलाब पर बैठा वह आदमी देखता रहा वह हैरान हो गया की आखिर साधु महाराज उस बिच्छू को मार क्यो नही देते आखिरकार वह रह नही पाया और साधु महाराज से जाकर पूछा महराज यह बिच्छू आपको बार बार काट रहा है जबकि आप बार बार इसे बचा कर किनारे पर रख देते है आखिरकार आप इस बिच्छु को मार क्यो नही देते । साधु महराज ने मुस्कुराते हुए उस आदमी से कहा देखो पुत्र इस बिच्छू का धर्म काटना है भगवान ने इसे यही काम देकर इस धरती पर भेजा हुआ है और यह अपना काम बड़ी ही ईमानदारी से कर रहा है जब यहां अपना काम नही छोड़ता तो मेरा काम तो सिर्फ भगवान की भक्ति करना और सब की रक्षा करना है तो भला मे अपना काम कैसे भूलू यहां सुनकर उस आदमी ने उस साधु महराज को प्रणाम किया ।
शिक्षा - हमे इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है की हमे भी अपना काम पुरी ईमानदारी से करते रहना चाहिए ।
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